टमाटर की फसल एवं बीज उत्पादन तकनीकियाँ

टमाटर की फसल एवं बीज उत्पादन तकनीकियाँ

Tomato crop and it’s seed production technologies

टमाटर हिमाचल प्रदेश की एक प्रमुख नकदी सब्जी फसल है । टमाटर की खेती पर्वतीय क्षेत्रों में गी्रष्म-बर्षा ऋतु में होने के कारण टमाटर का उत्पादन पूर्ण रूप से मैदानी क्षेत्रों के लिए बेमौसमी होता है जिससे पर्वतीय किसानों को अधिक लाभ मिलता है । परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी उत्पादकता अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत काफी कम है ।

गुणवता युक्त बीजों की समय पर तथा दुर्गम स्थानों पर अनुपलब्धता, उत्पादन एवं उत्पादकता कम होने का एक प्रमुख कारण है । ऐसी स्थिति में किसान यदि स्वयं ही टमाटर की खेती व बीज का उत्पादन करें तो गुणवत्ता वाले बीज की कमी को काफी हद तक कम किया जा सकता है । इसके अलावा समूह बनाकर या वृहद स्तर पर टमाटर बीज उत्पादन को अपनाकर काफी अधिक लाभ भी कमाया जा सकता है।

सौभाग्यवश टमाटर की बीज फसल की काश्त, सामान्य फसल के लगभग समान ही है । अत: किसान भाई बीज उत्पादन तकनीकी को सहजता से अपना सकते हैं । पर्वतीय राज्यों के निचले एवं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्र टमाटर के बीज उत्पादन के लिए उपयुक्त है।

इन क्षेत्रों के किसानों के लिए टमाटर की खेती व बीज उत्पादन की तकनीकी जानकारी काफी उपयोगी सिध्द हो सकती है। जिसे व्यवसायिक तौर पर अपनाकर वे अपनी आय का एक प्रमुख स्रोत्र बना सकते हैं । हिमाचल प्रदेश में टमाटर की खेती लगभग 9.93 हजार हैक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है जिससे 413.71 हजार मीट्रिक टन पैदावार होती है । 

भूमि का चयन एवं खेत की तैयारी

टमाटर की खेती के लिए ऐसे खेत का चुनाव करें जिसमें पिछले साल टमाटर की फसल व बीजोत्पादन न किया गया हो ताकि पहले से पडे बीजों की मिलावट व मृदा जनित रोगों का सब्जी व बीज फसल पर प्रभाव कम हो ।

टमाटर के उत्पादन में तापमान एक प्रमुख कारक है । टमाटर की खेती के लिए उचित जल निकास वाली दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. मान 6-7 हो उपयुक्त होती है । खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के  उपरांत आवश्यकतानुसार एक से दो जुताई देशी हल से करके पाटा लगाकर ढेले तोड़ने के बाद मिट्टी को भुरभुरा बना लें । तत्पश्चात रोपाई हेतु भूमि को समतल कर लें ।

टमाटर की किस्में

रोमा, सिऑक्स, बेस्ट ऑफ आल, मारग्लोब, पूसा दिव्या, पूसा रूबी, पूसा -120, पूसा गौरव, पूसा षीतल, पूसा उपहार, पूसा सदाबहार, पूसा एर्ली डवार्फ तथा पूसा रोहिणी आदि। इसके अलावा पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाइब्रिड-4 तथा पूसा हाइब्रिड-8 संकर किस्में है जिनको लगाकर किसान भाई अधिक पैदावार ले सकते हैं ।

बेस्ट ऑफ आल                              मारग्लोब      

रोमा                                         सिआक्स    

पूसा दिव्या

टमाटर फसल के लि‍ए जलवायु एवं मिट्टी

टमाटर गर्म मौसम की फसल है । यह फसल पाला सहन नहीं कर सकती है । फल लगने के लिए रात का आदर्श तापमान 15 से 20 डिग्री के बीच रहना चाहिए । ज्यादा गर्मी में फलों के रंग व स्वाद पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है । पौष्टिक तत्व युक्त दोमट भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त है । इसके लिए जल निकास व्यवस्था होना आवश्यक है ।

टमाटर बीजोत्पादन के लिए ऐसे खेत का चुनाव करें जिसमें पिछले साल बीजोत्पादन न किया गया हो ताकि पहले से पडे बीजों की मिलावट व मृदा जनित रोगों का बीज फसल पर प्रभाव कम हो । टमाटर के उत्पादन में तापमान एक प्रमुख कारक है । पौधे की अधिकतम वृध्दि 21-23 डिग्री सेल्सियस तापमान पर होती है । जिन क्षेत्रों मेें रात का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस एवं दिन का 27 डिग्री सेल्सियस तक होता है वहां इसकी खेती व बीज उत्पादन सफलतापूर्वक लिया जा सकता है ।

टमाटर की खेती के लिए उचित जल निकास वाली दोमट एवं बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच. मान 6-7 हो,उपयुक्त होती है । खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के  उपरांत आवश्यकतानुसार एक से दो जुताई देशी हल से करके पाटा लगाकर ढेले तोड़ने के बाद मिट्टी को भुरभुरा बना लें । तत्पश्चात रोपाई हेतु भूमि को समतल कर लें ।

टमाटर फसल बीज की मात्रा

संकर किस्मों के लिए 200-250 ग्राम बीज तथा अन्य किस्मों के लिए 350-400 ग्राम बीज/हैक्टर पर्याप्त होता है । निचले एव मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में फरवरी से मार्च तक पौधशाला में बुवाई एवं 25-30 दिन बाद मार्च से अप्रैल तक पौध रोपण किया जा सकता है ।

टमाटर की पौध तैयार करना

जहां तक सम्भव हो, जाड़ों में  पौध पौलीहाउस अथवा पौलीटनल में ही तैयार करें । पौध तैयार करने हेतु एक मीटर चौड़ी तथा 15 स.ेमी. ऊंची आवष्श्कतानुसार लम्बी क्यारियां बना लें । प्रत्येक क्यारी में आवश्यकतानुसार कम्पोस्ट की सड़ी खाद बारीक करके बीज बुवाई से लगभग 15 दिन पूर्व भली प्रकार मिला दें ।

क्यारी में बीज बुवाई से पूर्व 100 ग्राम यूरिया, 100 ग्रा डी.ए.पी. एवं 70 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में अच्छी प्रकार मिलाऐं । बीज को थायरम फफूंदीनाशक रसायन से उपचारित कर 1-2 से.मी. की गइराई पर 5-7 से.मी. की दूरी पर बनी लाईनों में बुवाई करे । बुवाई के पश्चात बीज को सड़ी गोबर की खाद मिली भुरभुरी मिट्टी की हल्की परत से ढक दें ।

तत्पश्चात सूखी घास या पुआल आदि से ढक कर फव्वारे से हल्की ंसिंचाई करें । बर्षा अथवा पाले की सम्भवना होने पर क्यारियों को शाम के समय पौलीथीन की चादर से ढक दें । निरोग एवं स्वस्थ पौध तैयार करने हेतु थायरम या कैप्टान 2 ग्राम प्रति ली. पानी की दर से पौधशाला को 10वें एवं 20वें दिन तर करें ।

टमाटर में पौध रोपण

टमाटर की 25-30 दिन की पौध रोपाई के लिए अधिक उपयुक्त रहती है । रोपाई से पूर्व पौध की 5-10 मिनट तक 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर पानी के घोल में डुबोकर, शााम के समय रोपाई करें ।

अनिश्चित बढ़वार वाली प्रजाति के लिए रोपाई करते समय, कतार से कतार की दूरी 75-90 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 45-50 से.मी. रखें तथा कम फैलाव वाली प्रजातियों के लिए रोपाई करते समय कतार से कतार की दूरी 60 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी. रखें ।

खाद एवं उर्वरक

टमाटर की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 100 किग्रा नत्रजन, 50 किगा फास्फोरस एवं 50 किग्रा पोटाश एवं 200 कुन्टल कम्पोस्ट की सड़ी खाद प्रति है. देना आवश्यक है । कम्पोस्ट की सड़ी खाद पौध रोपाई के 15-20 दिन पूर्व खेत में समान रूप से बिखेरकर जुताई कर मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला दें ।

रोपाई से पूर्व नत्रजन की आधी मात्रा फास्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा खेत में मिला दें । नत्रजन की बाकी आधी मात्रा दो बराबर भागों में रोपाई के 45 से 60 दिन पश्चात खड़ी फसल में दें ।

खरपतवार नियंत्रण एवं सिंचाई

सामान्तया खरपतवार टमाटर की फसल को पौध रोपण के पश्चात प्रथम 45 दिन तक अधिक हानि पहुंचाते है । अत: इस अवधि तक फसल को खरपतवारों से मुक्त रखना आवश्यक है । पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के 15-20 दिन पश्चात एवं दूसरी 30-35 दिन बाद करें । रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण हेतु पन्डीमिथेलिन 1.0 किग्रा प्रति है. सक्रिय तत्व को 800 ली. पानी में घोलकर रोपाई के बाद छिड़काव करें व 45 दिन पश्चात निराई-गुड़ाई करें । पौध रोपण के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करें । तत्पश्चात बर्षा न होने पर खेत मे नमी का अभाव दिखाई पड़ने पर आवष्श्कतानुसार सिंचाई करें ।

टमाटर की तुड़ाई व उपज

अच्छी तरह से पके फलों की तुड़ाई कर अधपके, सड़े-गले एवं रोगग्रस्त फलों को अलग कर लेना चाहिए । फलों को दूरस्थ स्थानों पर भेजने के लिए तुड़ाई फल को लाल होने के पहले तथा स्थानीय बाजार में भेजने के लिए फलों का रंग लाल होने पर तुड़ाई करें ।

टमाटर की फसल 75 से 100 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है । संकर किस्म की पैदावार 50-55 टन प्रति हैक्टर तथा साधारण किस्मों की 20-25 टन प्रति हैक्टर तक हो जाती है ।

साधारणतया टमाटर के अच्छे प्रकार पके हुए 250-300 किग्रा फलों से 1 किग्रा. गुणवात्ता वाला बीज प्राप्त हो जाता है । टमाटर की उन्नत प्रजातियों का औसतन फल उत्पादन 200-250 कु. प्रति है. होता है ।

कटाई उपरांत प्रौधोगिकी

  • नजदीकी बाजार में भेजने हेतु पूर्ण परिपक्व फलों की तुड़ाई करें ।
  • ग्रेडिंग करके प्लास्टिक के क्रेट में बाजार भेजें या 8-10 डिग्री से. तापमान पर 20-25 दिनों तक भण्डारित करें ।
  • पके फलों से केचअप, चटनी आदि उत्पाद बनाएं ।

टमाटर का बीजोत्पादन

टमाटर के बीज उत्पादन हेतु ऐसे खेत का चुनाव करें जिसमें पिछले साल टमाटर की फसल न लगायी गयी हो तथा पृथक्करण दूरी आधार बीज के लिए 50 मीटर तथा प्रमाणित बीज के लिए 25 मीटर रखें । अवांछनीय पौधों को पुष्पन अवस्था से पूर्व, पुष्पन अवस्था में तथा जब तक फल पूर्ण रूप से परिपक्व न हुए हों, तो पौधे, फूल तथा फलों के गुणों के आधार पर निकाल देना चाहिए ।

फलों की तुड़ाई पूर्ण रूप से पकी अवस्था में करें, पके फलों को तोड़ने के बाद लकड़ी के बक्सों या सीमेंट के बने टैंकों में कुचलकर एक दिन के लिए किंणवन हेतु रखें । अगले दिन पानी तथा छलनी की सहायता से बीजों को गूदे से अलग करके छाया में सुखा लें ।

बीज को पेपर के लिफाफे, कपड़े के थैलों तथा शीषे के बर्तनों में भण्डारण हेतु रखें ।

बीज निकालना

टमाटर के गूदे से बीजों को अलग करने के लिए पूरी तरह से पके फलों को एक प्लास्टिक के बर्तन में निचोड़ा जाता है । इस प्रकार फलों के गूदे को 2-3 दिनों तक उसी बर्तन में छोड़कर सड़ने दें ।

गूदे अलग करने के लिए इसमें पानी मिलाकर निथारा जाता है । इस प्रकिया को कई बार दोहराया जाता है जब तक कि बीज फलों के गूदे से भली प्रकार अलग न हो जाए ।

बीजों को सुखाना एवं रखरखाव

बीजों को सुखाने हेतु उनको साफ कपड़े पर या फिर प्लास्टिक ट्रे इत्यादि में खुली धूप में तथा कम नमी वाले स्थानो में फैलाया जा सकता है । बीजों को 8 प्रतिषत नमी रहने तक सुखाया जाता है । बीजों को सुखाने के पश्चात नमी रहित क्षेत्र में बंद डिब्बों या लिफाफों में 3 से 5 साल तक रखा जा सकता है । 

बीज फसल के न्यूनतम प्रमाणीकरण मानक बीज फसल पृथक्करण मीटर न्यूनतम  अवांछनीय पौधे प्रतिशत अधिकतम फसल निरीक्षण की संख्या आपत्तिजनक बीमारियों से ग्रसित पौधे प्रतिशत अधिकतम टिप्पणी

आधारीय बीज फसल

Foundation seed crop 

50  0.10  0.10  टोवेको मौजेक वाइरस 

प्रमाणित बीज फसल

Certified seed crop 

25  0.20  0.50

 

बीज उपज

गोल फल वाली किस्में : 125-150 कि. ग्रा. बीज /हैक्टर

नाशपाती के आकार के फल वाली किस्में  : 75 – 100 कि. ग्रा. बीज/हैक्टर


Authors:

Dr. R. S. Suman

Sr. Scientist (Agril. Extension)

ICAR – IARI Reg. Station, Katrain

Kullu Valley (HP) – 175129

Email: rssuman8870@gmail.com

Related Posts

Season Tomato Cultivation in Greenhouse
ग्रीनहाउस में सीजन टमाटर की खेती आज बुनियादी खेती में दिलचस्पी...
Read more
Hybrid Seed Production in Tomato
टमाटर का संकर (हाइब्रिड) बीज उत्पादन Tomato (Lycopersicum esculentus) is one...
Read more
Scientific cultivation of tomato
टमाटर की वैज्ञानि‍क खेती Tomato is an inexpensively most important crop...
Read more
Tomato cropTomato crop
टमाटर के 10 प्रमुख रोग एवं उनका...
10 Major Diseases of Tomato and Their Integrated Disease Management 1....
Read more
टमाटर में पौष्टिकता परि‍रक्षण और प्रसंस्करण
Nutritious preservation and processing in tomatoes टमाटर एक सब्जी की फसल...
Read more
Tomato Hybrid Seed production techniqueTomato Hybrid Seed production technique
टमाटर में संकर बीज उत्पादन तकनीक
Hybrid seed production technique of Tomato बीज में शुद्धता का होना, बीजोत्पादन...
Read more
rjwhiteclubs@gmail.com
rjwhiteclubs@gmail.com