Crop disease

Integrated management of Major diseases of Okra and Chilli 1. भिण्डी में पाऊडरी मिल्डयू अथवा चूर्ण फंफूदी रोग रोग के लक्षण - यह भिण्डी का एक प्रमुख रोग है जो देरी से बोई गई फसल पर अत्यधिक संक्रमण करता है। रोग के लक्षण की शुरूआत पुरानी पत्तियों पर सफेद चकते के रूप में दिखाई देते है। ये चकते कुछ ही दिनो में ऊपर की और अन्य पत्तियों पर फैल जाते है। संक्रमित पौधों की पत्तियों पर सफेद पाऊडर जैसा रोगजनक देखा जा सकता है जो पत्तियों के दानो तरफ तथा पौधे के सभी भाग पर (जड़ के अतिरिक्त) पर देखा जा सकता है बाद में पौधे का ऊपरी भाग पीला पड़कर सूखने लगता है। पौधे...

Yellow stripe Rust disease of Wheat and its treatment मुख्यतः पीला रतुआ रोग पहाड़ों के  तराई क्षेत्रो में पाया जाता है  परन्तु पिछले कुछ वर्षों से उत्तर भारत के  मैदानी क्षेत्रो में इस रोग का प्रकोप पाया गया है | मैदानी क्षेत्रो में  सामान्यतः गेहूं की अगेती एवं पछेती किस्मों में यह रोग छोटे छोटे खंडो में क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र ,लखनऊ द्वारा रिपोर्ट किया गया है | जनवरी और फरवरी में गेहूं की फसल में लगने वाले पीला रतुआ (यैलोरस्ट) रोग आने की संभावना रहती है। निम्न तापमान  एवं उच्च आर्दता येलो रस्ट के स्पोर अंकुरण के लिए अनुकूल होता है एवं  गेहूं को पीला रतुआ रोग लग जाता...

Mango Malformation disease and its treatment आम का गुच्‍छाा या गुम्‍मा , आम के वृक्षों पर होने वाला एक रोग है | प्रायः इस रोग के कारकों में फुजेरियम सबग्लुट्टीनेन्स नामक फफूंद का उल्लेख होता है | किन्तु अनेक विशेषज्ञों का मत है कि इस रोग का कारण पौधे में होने वाले हार्मोनों का असंतुलन हैं | एक अन्य मतानुसार इस रोग का कारण कुछ पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है | गुम्मा रोग से ग्रसित आम के पेड़ में पत्तियों एवं फूलों  में असामान्य वृद्धि एवं फल विकास अवरुद्ध हो जाता है | इस रोग के कारण आम के उत्‍पादन मे असाधारण कमी होती है।  ऐसा पाया गया है...

Integrated insect and disease management in banana crop दुनिया भर में केला एक महत्वपूर्ण फसल है। भारत में लगभग 4.9 लाख हेक्टेयर में केले की खेती होती है जिससे 180 लाख टन उत्पादन प्राप्त होता है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक केले का उत्पादन होता है। महाराष्ट्र के कुल केला क्षेत्र का 70 फीसदी अकेले जलगांव जिले में है। देशभर के कुल केला उत्पादन का लगभग 24 फीसदी भाग जलगांव जिले से प्राप्त होता है। केले को ‘’गरीबों का फल’’ कहा जाता है। केले का पोषक मान अधिक होने के कारण केरल राज्य एवं युगांडा जैसे देशों में केला प्रमुख खाद्य फल है। केले के उत्पादों की बढती मांग के कारण केले की...

Convent।onal methods of crop pest and disease management फसलों में बीमारीयों तथा कीडों के प्रकोप से उत्‍पादन मे सार्थक कमी होती है। इनके प्रबंधन के लि‍ए रासायनि‍क दवाओं का बहुतायत से प्रयोग कि‍या जाता है परन्‍तू परम्‍परागत तरीके अपनाकर भी फसलों में कीट पतंगों का प्रभावी नि‍यंत्रण कि‍या जा सकता है। इससे रसायनों के अवशिष्ट कूप्ररभाव से बचा जा सकता है।   एक किलो लहसुन कूचल कर 2.5 लीटर पानी में, मिट्टी के बर्तन में तथा 200-250 ग्राम तम्बाकू 2.5 लीटर पानी में मिट्टी के बर्तन में अलग अलग सडायें । सात दिनों के बाद दोनों को छान कर आपस में मिला दें तथा 100 ग्राम सर्फ़ और 95 लीटर पानी में मिलाकर गंधी...

Integrated management of major diseases and insects of spinach पत्ती वाली सब्जिया, मानव आहार की प्रमुख घटक है। हरी पत्ती वाली सब्जियों में आयरन, कैल्सियम, बीटा कैरोटीन, विटामिन सी, राइबोफ्लोबीन एवं फोलिक अम्ल की प्रचुर मात्रा होती है। इसके अतिरिक्त आयरन एवं खनिज तत्व भी पाये जाते हैं। पालक की पत्तियों कोें प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसमें पाये जाने वाले प्रोटीन की गुणवत्ता इसके आवश्यक अमीनो अम्ल विषेश रूप से लाइसिन की अधिक मात्रा होने के कारण अच्छी होती है। पालक का औषधीय महत्व भी है। यह यकृत एवं प्लीहा के रोगों को दूर करने में भी सहायक सिद्ध होता है तथा यह वर्धक (पुष्टई) का भी काम करता...

How to treat seeds in rabi crops. जिस तरह फसल मे बीज चयन महतवपूर्ण है, उसी तरह बीज उपचार करना भी आवश्यक है| आधुनिक समय मे खेती की निरंतर बढ़ती हुई वैज्ञानिक प्रगति से तभी लाभ हो सकता है, जब उन्नत किस्मो के शुद्ध व अच्छी गुणवत्ता वाले बीजो की बुवाई की जावे साथ ही उसे पूर्णतया उपचारित किया जावे| बीजो का अंकुरण बढाने, कीटो व रोगों से सुरक्षा करने के लिए बीजोपचार अति आवश्यक प्रक्रिया है| अधिकांशत: किसान बीजाई बिना बीजोपचार किये ही करते है जिससे फसल उत्पादन 8-10 प्रतिशत कम रहने की सम्भावना रहती है| किसानो द्वारा बीजोपचार की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को अपनाने के लिए प्रचार प्रसार की आवश्यकता है...

Protection of Autumn Planted Sugarcane Crop from Subterranean Pests  गन्ना एक प्रमुख नगदी फसल है जिस पर चीनी उद्योग का अधिकांश भाग निर्भर करता है। गन्ना अन्य फसलों की अपेक्षा लम्बी अवधि की फसल है। यह वर्ष के हर एक मौसम से गुजरते हुए अपना जीवन काल पूरा करती है। गन्ना में विद्यमान मिठास के कारण फसल की रोपाई से लेकर कटाई तक हानिकारक कीटों का आक्रमण होता रहता है। गन्ना को क्षति पहुँचाने वाले कीटों का प्रकार एवं क्षति की सीमा, कृषि जलवायु एवं अपनाएं गई सस्य क्रियाओं पर निर्भर करता है। गन्ना फसल की रोपाई आजकल संसाधन उपलब्ध होने पर वर्ष में किसी भी समय कर सकते हैं। परन्तु सामान्यतया गन्ना की...

Diseases of the jute and its management पटसन का वानस्पतिक नाम कोरकोरस केपसुलेरिस तथा को. आलीटोरियस है जो कि स्परेमेनियोसी परिवार का सदस्य है। विश्‍व में कपास के बाद पटसन दूसरी महत्वपूर्ण वानस्पतिक रेशा उत्पादक वाणिज्यिक फसल है। पटसन की खेती मुख्यतया बंगलादेश, भारत, चीन, नेपाल तथा थाईलैंड में की जाती है। भारत में पश्‍ि‍चम बंगाल, बिहार, असम इत्यादि राज्यों में पटसन कि खेती की जाती है। देश में पटसन का क्षेत्रफल 8.27 लाख हैक्टेयर है। वही इसका उत्पादन 114 लाख गांठ है। पटसन की फसल में कई प्रकार के जैविक व अजैविक कारकों से रेशे के उत्पादन में कमी आती है। जैविक कारकों के अन्तर्गत तना सड़न रोग इसके उत्पादन में सबसे...

Importance of Hosted Plant Resistance (HPR) in Integrated Pest Management (IPM) of Wheat मेजबान पौध प्रतिरोध (Host Plant Resistance, HPR) को रेगिनाल्ड एच. पेईंटर (1951) ने परिभाषित किया है l परिभाषा के अनुसार यह “पौधों के ऐसें गुण हैं, जो उनको कीटों से बचने, या सहन करने की या कीट क्षति के उपरांत आरोग्य होने शक्ति देते हैं, जिन परिस्थितियों में उसी जाति के पौधों को अधिक से अधिक नकुसान हो सकता है” l कीड़ों के प्रति पौध प्रतिरोध एक आनुवंशिक (heritable) गुण है जो पौधों में कीटों द्वारा होने वाली क्षति की परम सीमा को निरधारित करता है l प्रकृति में पोधे तीन प्रकार से अपना प्रतिरोध कीड़ों के प्रति प्रकट...