Crop disease

Phytopathogen detection strategies and their role in disease management फसल के उत्पादनमें भारी नुकसान को कम करने के लिए पादप रोगजनको का पता लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उचित एवं तात्कालिक पादप रोगजनको का पता एवं निदान करने से फसलो मे होने वाले नुकसान में गुणात्मक एवं मात्रात्मक कमी लायी जा सकती है l पादप रोग जनको की प्रारंभिक पहचानसे फसल सुरक्षा उपायों को अधिक उपयुक्त और लक्षित अनुप्रयोगी बनाया जा सकता है l यहाँ, पादप रोगजनको के लिए पारंपरिक और आधुनिक पहचान विधियोको संक्षेप में प्रस्तुत किया है l रोगग्रस्त पौधे के नमूने में संक्रामक रोगज़नक़ों का पता लगाने और निदान के लिए कई विधियो को विकसित किया गया हैl कई वर्षों में...

Effective control measures of Phalaris minor in wheat crop भारत में गेंहूँ की रबी फसल का सबसे खतरनाक खरपतवार मंडूसी है जिसे गुल्ली डण्डा या गेहूँ के मामा भी कहा जाता है। यह धान-गेहूँ फसल चक्र का प्रमुख खरपतवार है इसका जन्म स्थान मेडीटेरियन क्षेत्र में माना जाता है। यह आम धारणा कि गेहूँ के मामा का बीज भारत में हरित क्रांति के लिए मैक्सिको से आयातिक बौनी प्रजातियों के साथ ही साठ के दशक में आया। वास्तविक्ता में गेहूँ के मामा को चालीस के दशक में दिल्ली में आस-पास पशुचारे के रूप में उपयोग करने के सदर्भ भी मिलते है। इस खरपतवार का प्रसार नदियाँ, नहरों तथा सिंचाई जल के अन्य...

फॉल आर्मीवोर्म: भारत में आक्रमक रूप में पाए जाने वाली मक्का की कीट तथा उनका प्रबंधन Invasive pests are non-native or exotic organisms and they are also called introduced species or alien species. The Fall Armyworm, Spodoptera frugiperda, (J. E. Smith) (Lepidoptera: Noctuidae) is an insect native to tropical and subtropical regions of the Americas. The FAW caterpillars feed on the leaves, stems and reproductive parts of more than 100 plant species (CABI 2017). The entry of an invasive pest, Fall Armyworm in India was reported first time by Dr. Sharanabasappa and Dr. Kalleshwara Swamy on 18th May, 2018 in Maize fields at College of Agriculture, University of Agricultural and Horticultural Sciences (UAHS),...

Biological Control of Plant Parasitic nematode फ़ाइलम नेमाटोडा की अधिकांश प्रजातियां मुक्त जीने वाली (फ्री लिविंग) हैं। हालांकि, कुछ सुत्रकृमी महत्वपूर्ण फसलों को आर्थिक रूप से नुकसान कर कृषि मे एक बडी चुनौती बन चुके है। इन सबमें जड़ गाँठ सुत्रकृमी (मेलायडॊगायनीं स्पेसीज) और पुटी सुत्रकृमि (हेटेरोडेरा एवं ग्लोबोडेरा स्पेसीज) कई महत्वपूर्ण फसलों में आर्थिक नुकसान के कारण सबसे अच्छी तरह से अध्ययन किए गए सुत्रकृमि हैं। जड़ गाँठ और पुटी सुत्रकृमी अपना पुरा जीवन पौधे की जड़ क़े अंदर बिताते है। इनका जीवन चक्र दो से तीन सप्ताह से लेकर कई महीनों तक होता है, जो कि सुत्रकृमी की प्रजातियों, मेजबान की उपयुक्तता, मिट्टी और पर्यावरणीय कारकों पर निर्भर करता है। अंडों...

Collar rot (Aspergillus niger) a serious peanut disease मूंगफली (ऐराकिस हायपोजिया ) दुनिया की सबसे प्रमुख तिलहन फसल है। यह लेग्युमिनिएसी  कुल की फसल हैं। भारत में, मूंगफली उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य गुजरात, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और पंजाब हैं तथा राजस्थान में मूंगफली उगाने वाला प्रमुख जिले बीकानेर, चूरू, दौसा, जयपुर, नागौर, सीकर और उदयपुर हैं। यह खाद्य तेल का एक प्रमुख स्रोत है, मूंगफली दाने में 40 से 45 प्रतिशत तेल और 25 से 30 प्रतिशत प्रोटीन होता है। इसमें 18 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट और खनिज जैसे Ca, Mg और Fe उच्च स्तर में उपलब्ध होते हैं। इसका उपयोग हाइड्रोजनीकरण और साबुन उद्योगों में किया जाता है। मूंगफली कई फफुंद, जीवाणु और...

Integrated Insect Pest Management of Sugarcane गन्नेे में समेकित कीट प्रबंधन की विभिन्न क्रियाआ द्वारा फसल की उत्पादकता एवं गुणवता में वृद्वि करने के लिए किसानों को निम्नलिखित बिन्दुओं खेतों में सुनियोजित ढंग से अपनाने की जररुत है। गन्ना को रोपने से कटनी तक साप्ताहिक निगरानी कर छिद्रक कीट एवं उनके मित्रों के बारे में जानकारी रखना। छिद्रक कीटों को नष्ट करने के लिए उन्हीं तकनीकों को अपनायें जिनसे वातावरण प्रदूषित न हो उर्वरकों तथा रसायनों की संस्तुति मात्रा का उचित समय पर प्रयोग। उपयुक्त प्रजाति तथा कीट मुक्त गन्ना का चयन। खेत की गर्मियों में गहरी जुताई करके खुला छोड़ना तथा खरपतवार मुक्त रखना। गन्ना के कीटों की पहचान, जीवन चक्र, आपात का समय एवं लक्षण...

Measures to increase production in rabi crops वर्तमान जलवायु परिवर्तन के दौर में विभिन्न फसलों का अपेक्षित उत्पादन एक गंभीर चुनौती है। मृदा उर्वरता घटने के कारण वर्तमान खाद्यान्न उत्पादन स्तर भी बरकरार रख पाना कठिन प्रतीत हो रहा है। कृषि उत्पादन में बढोतरी के लिए हमारे सामने दो महत्वपूर्ण विकल्प हैं - पहला यह कि हम पैदावार बढा़ने के लिए कृषि योग्य भूमि में वृद्धि करें जो कि लगभग असंभव है। अब हमारे पास सिर्फ दूसरा महत्वपूर्ण विकल्प बचता है कि कम से कम क्षेत्रफल से अधिक से अधिक पैदावार लें। एकीकृत फसल प्रबंधन एक ऐसी विधि है जिससे पर्यावरण संरक्षित रखते हुए अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। दीर्घकालीन...

Production and Contribution of Trichoderma microorganism and its use in Agriculture आज के समय में दिन प्रतिदिन हमारी मृदा प्रदूषित होती जा रही है। इसका मुख्य कारण लगातार रासायनिक कवकनाशी का प्रयोग करना है। जिसके कारण हमारी मृदा में रहने वाले सूक्ष्म लाभकारी जीवो की संख्या में लगातार कमी आती जा रहीं है। जिससे हमारा कृषि उत्पादन घटता जा रहा है। इसलिए आज के समय में कवकनाशी में कमी लाना अति आवश्यक हो गया है। इस कड़ी में मैं एक ऐसे ही सूक्ष्म जीव ट्राइकोडर्मा  कवक के बारे में विस्तार कर रहा हूँ, जो की हमारे मृदा के लिए बहुत ही लाभकारी है। ट्राइकोडर्मा मुख्यतः एक जैव कवकनाशी तथा अरोगकारी मृदापजीवी कवक...

 ग्वार, बाजरे के 8 प्रमुख रोग एवं उनका प्रबंधन Rajasthan is a major producer of Cluster beans (Cyamopsistetragonoloba L) or guar among Indian states. The State produces more than 70% of total guar seed produced in the country. Guar splits, churi and Korma. Guar split is used as a main products for different industrial uses while Churi and Korma are used as cattle feed. Guar gum, also called guaran, is a galactomannan polysaccharide extracted from guar beans that has thickening and stabilizing properties useful in the food, feed and industrial applications. The guar seeds are mechanically dehusked, hydrated, milled and screened according to application. Bajra is a hardy crop grows well, even in...

10 Major Diseases of Tomato and Their Integrated Disease Management 1. आर्द्रपतन इस रोग में रोगजनक का आक्रमण बीज अंकुरण के पूर्व अथवा बीज अंकुरण के बाद होता है। पहली अवस्था में बीज का भ्रूण भूमि के बाहर निकलने से पूर्व ही रोगग्रसित होकर मर जाता है । मूलांकुर एवं प्राकूर बीज से बाहर निकल आते फिर भी वे सड़ जाते है दुसरी अवस्था में बीज अंकुर के बाद कम उम्र के छोटे  के तनों पर भूमि से सटे तनों पर अथवा भूमि के अंदर वाले भाग पर संक्रमण हो जाता है जिससे जलसिक्त धब्बे बन जाते है और पौधा संक्रमित स्थान से टुट कर गिर जाता है पौधों में गलने के...