Seed production

गेंहू के व्‍यवसायि‍क संकर बीज उत्पादन के लिए गेहूं में मेल स्टेरिलिटी सिस्टम Exploitation of hybrid vigour at commercial level through development of hybrid wheat is considered as one of the promising approach for increasing wheat productivity. Work on hybrid wheat started world over in 1962 and utilization of heterosis through hybrid breeding has given very high dividends in many field crops including horticulture. The discovery of an effective cytoplasmic male sterility and pollen fertility restoration systems in wheat opened up new avenues for commercial hybrid seed production. Kihara (1951) pointed out the possibility of using male sterility by transferring the nucleus of common wheat into the cytoplasm of Aegilops caudata. Among the...

Nursery management of hybrid rice seed production संकर धान बीज उत्पादन की नर्सरी के लिए चिकनी दोमट, 35 पी.एच. वाली मिट्टी उप्युक्त होती है। धान का शुध्द संकर बीज में मिलावट रोकने के लिए पिछले मौसम में उगाये गये धान का क्षेत्र या खेत नहीं होना चाहिए। संकर धान की नर्सरी विधि धान की नर्सरी तैयार करने की कई विधियां होती है। लेकिन संकर बीज उत्पादन के लिए नमी (वैट) या आर्द्र विधि का अपनाना उचित होता है अथवा वहां पानी की समुचित सुविधा होनी चाहिए। नमी क्यारी नर्सरी विधि पारम्परिक विधि के 10 प्रतिशत के मुकाबले एक हैं, क्षेत्रफल के लिए भूमि की कुल आवश्यकता 2.5-3.0 प्रतिशत ही होगी। नमी क्यारी विधि...

तेल ताड (एलियस गिनेन्सिस जैक) के हाइब्रिड बीज उत्पादन की तकनीक Oil palm  (Elaeis guineensis Jacq.) is a perennial crop and cultivation has been expanded rapidly in recent years. It is the highest edible oil yielding crop giving up to 5-6 tonnes of oil per ha per year.  This crop offers viable solution for meeting the ever increasing shortage of vegetable oils in the country. In order to harness the full potential of oil palm, Government of India is keen in increasing the area under oil palm to a tune of 2 million ha by 2025. To achieve this proposed target, nearly twenty lakh germinated seeds need to be produced per year. Public and...

बागवानी में पॉलीएब्रीयोनी या बहुभ्रूणता और इसकाा महत्व में  Polyembryony is the occurrence of more than one embryo in a seed which consequently results in the emergence of multiple seedlings. The additional embryos result from the differentiation and development of various maternal and zygotic tissues associated with the ovule of seed. Earlier, polyembryony is said to have an abnormal feature but now it is considered as a desirable character in citrus, mango, jamun, rose apple, almond, etc. to obtain true to type planting material. In the usual process of plant reproduction, egg cell (female) of ovule fertilizes with the male gamete which in turn culminates in embryo (zygotic). On the other hand, in some of...

Techniques to grow seedlings of vegetable crops अधिकतर सब्जी फसलें जैसे की टमाटर वर्गीय, गोभी वर्गीय व प्याज वर्गीय जिनके बीज छोटे व पतले होते है, उनकी स्वस्थ व उन्नत पौध तैयार कर लेना ही आधी फसल उगाने के बराबर हिता है । स्वस्थ पौध तैयार करने के लिए पौधशाला के स्थान का चयन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है । इससे जुडी हुई अन्य बातें निम्नलिखित हैं : पौधशाला का स्थान पानी के स्रोत के समीप , ऊँचाई पर होना चाहिए जहां से पानी का निकास उचित हो सके तथा भूमि दुमट बलुई होनी चाहिए जिसका पीएच मान लगभग 6.5 हो।  पौधशाला खुले में होना चाहिए जहां सूर्य की पहली किरण पहुचे और स्थान देखरेख की दृष्टि से...

Seed Production Technology of Okra (Bhindi) crop फलदार सब्जियों में भिण्डी का एक प्रमुख स्थान है। भिण्डी में प्रचुर मात्रा में विटामिन्स, प्रोटीन, फास्फोरस व अन्य खनिज लवण उपलब्ध रहते है। इसके बीज में 13-22 प्रतिशत तक खाने योग्य तेल तथा 20-22 प्रतिशत तक प्रोटीन पाई जाती है। भिण्डी गर्म मौसम की फसल है तथा इसके पौधे पाले को सहन करने में असमर्थ होते है। 30-320 सै. तापमान भि‍ंडी के बीज अंकुरण के लिए उत्तम होता है। बीज के पकने के समय अपेक्षाकत सुखे व गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। भिण्डी का उत्तम गुणवत्ता वाला बीज बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। भि‍ण्‍डी की उन्नत किस्में: पूसा ए-4, पूसा सावनी, अर्का...

Seed Production Technology of Onion crop प्याज का हमारे देश में उगाई जाने वाली सब्जियों में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक महत्वपूर्ण शल्ककंद सब्जी फसल है। यह पोटाशियम, फास्फोरस, कैल्शियम तथा विटामीन सी का एक अच्छा स्त्रोत है। इसका बीजोत्पादन उष्ण्ा कटिबन्धीय, शीतोष्ण तथा सम शीतोष्ण आदि विभिन्न जलवायु वाले क्षेत्रों में संभव हैं।  पौधे की आरंभिक बढवार की अवस्था में व कंद बनना शुरु होने से पहले 13-210 सेंटिग्रेड तापमान तथा कंद बनना शुरु होने की अवस्था में 15-250 सेंटिग्रेड तापमान अनुकूल रहता है। बीज के पकने के समय अपेक्षाकत सुखे व गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। प्‍याज की उन्नत किस्में: रबी फसल के लिए प्‍याज की प्रजातिया: लाल किस्में- पूसा लाल,...

Scientific cultivation of Okra crop and okra seed production technique भिंडी गर्मी व वर्षा के मौसम की प्रमुख फसल है। भिंडी के पौधो का गुड बनाने के उद्योग में उपयोग किया जाता है। भिंडी की फली से प्रोटीन, कैल्शियम तथा अन्य खनिज लवण मिलते हैं। भिंडी के निर्यात द्वारा भी विदेशी मुद्रा प्राप्त की जा सकती है। सम्पुर्ण छत्तीसगढ मे वर्षा एवं गर्मी मे भिण्डी की खेती की जा सकती है।  भिंडी की प्रमुख किस्में पूसा सावनी यह प्रजाति बंसत, ग्रीष्म और वर्षा ऋतु पाई गयी है। पौधो की उँचाई 100-200 से.मी. होती है। फल गहरे हरे रंग लगभग 15 से.मी. होते है। यह किस्म पिछले कई वर्षो तक पीले मोजेक विषाणु के प्रकोप से मुक्त रही...

Seed treatment and its benefits for profitable crop production बीजोपचार एक महत्वपूर्ण क्रिया है जो कि बीज व पौधे को मृदा व बीज जनित बिमारियों व कीटों द्वारा होने वाले नुकसान से बचाता हैं।  हालांकि भारत में बहुत से किसान या तो बीजोपचार के बारे जानते ही नहीं या फिर इसको अपनाते नहीं हैं । भारत में किसानों के पास पहुचने वाला 70%  बीज अनुपचारित होता है। इसके पश्चात् बहुत कम ऐसे किसान होते है जो स्वंय बीज को उपचारित करते हैं। परिणामस्वरुप भारत में अधिकतर फसलें अनुपचारित बीज के द्वारा बोई जाती हैं। जबकि विकसित देशों में शत-प्रतिशत उपचारित बीज बोया जाता है। बीज उपचार से न केवल बीज और मृदा जनित...

Different methods used for multiplication of lilium. फूल आदिकाल से ही अपने रंग-रूप और बनावट के कारण मनुष्य को अकर्षित करते रहे हैं । वर्तमान समय में फूलों की खेती एक उद्योग का रूप ले चुकी है। जो विश्व के अनेक देशों की आय का मुख्य स्रोत है । हिमालय की गोद में बसा हिमाचल प्रदेश प्रकृति द्वारा वर-प्रदत्त उन पर्वतीय राज्यों में से एक है जहाँ की जलवायु , फूलों की व्यावसायिक खेती व इसके प्रवर्धन के लिए सर्वथा उत्तम है । इसी कारण प्रदेश के किसान व बागवान फूलों की खेती में अधिक रुचि लेने लगे हैं।  इसके परिणाम स्वरूप पुष्प व्यवसाय के अंतर्गत क्षेत्रफल निरंतर बढ़ता जा रहा है । वर्ष 1990...