सहजन एक जादुई पौधा
सहजन या ड्रम्स्टिक ( moringa olieifera ) maringacea कुल के पौधे के बारे हम सभी जानते हैं की इसे सीजना,सुरजना, शोभाजन, इंडियन हार्सरैडिश आदि नामों से जानते हैं लेकिन इनके औषधीय गुणों के बारे मे बहुत कम ही लोग जानते हैं इसके जड़, पते, छाल और फलियों आदि भाग किसी न किसी रूप मे उपयोग लेते हैं
इनके सभी भागों मे औषधीय गुण बहुत अधिक मात्रा मे होते हैं इसके पते एवं फलिया शरीर को ऊर्जा देने के साथ साथ शरीर मे विटामिन,खनिज एवं पोषक तत्व प्रदान करते हैं और शरीर मे उपस्थित हानिकारक या विषैले तत्वों को निकालने का काम करते हैं सहजन भारत,पाकिस्तान,बांग्लादेश और अफगानिस्तान की मूल वानस्पतिक पौधा हैं !
सहजन हमे संतरा से 7 गुना विटामिन सी ओर गाजर से 10 गुना विटामिन ए और दुध से 17 गुना कैल्सीयम तथा योगर्ट से 9 गुना अधिक प्रोटीन और केला से 15 गुना अधिक पोटेशियम तथा पालक से 25 गुना अधिक लौह तत्व की पूर्ति करते हैं !
सहजन के औषधीय महत्व
सहजन के पौधे के सभी भागों से आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं सहजन का पौधा आवश्यक पोषक तत्वों का खजाना हैं सहजन की पत्तियों से आयरन, कैल्सीयम, पोटेशियम, जिंक, कॉपर तथा विटामिन जैसे विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन डी उपस्थित होते हैं !
सहजन की फलियों मे अमीनो ऐसिड होता हैं तथा ये पाचन समस्याओ और पेट के कैंसर को खत्म करने मे भी सहायक हैं, सहजन की पत्तियों,फूल और बीजों मे काफी मात्रा मे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं तथा ये एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर मे रैडीओऐक्टिव कारकों को कम कर कैंसर और जोड़ों के दर्द जैसे गंभीर रोगों से बचाव करते हैं तथा ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता हैं !
पौधे लगाने के लिए मिट्टी एवं जलवायु कीआवश्यकता
सहजन उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु का पौधा हैं इसको उगाने के लिए 25-35°C तापमान की आवश्यकता होती हैं तथा इसके लिए दोमट तथा हल्की लवणीय मिट्टी उपयुक्त होती हैं सहजन के बीज उगने मे 5-12 दिन का समय लेते हैं, बीज को 2 cm गहराई मे बोते हैं तथा इन्हे प्लास्टिक की थैलियों मे लगाते हैं और जब ये 30 cm का हो जाए तब इन्हे जहां पौधे लगाने हैं वहा पर रोपाण कर देते हैं !
पौधे के उपयोगी भाग –
सहजन वृक्ष का हर भाग उपयोगी है। इसके बीज, पत्तियां, छाल, जड़, फूल, व फलिया सभी का कुछ ना कुछ प्रयोग होता हैै
बीज-
सहजन के बीजों मे लेनोलेक ऐसिड, फाइटोकेमिकल्स,रैसा, प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, बी और सी तथा अमीनो ऐसिड उपस्थित होते हैं तथा इसमे एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं जो हाइपोथायराडीजम, जोड़ों के दर्द,और दिल की बीमारियों को कम करता हैं तथा कॉलेस्टरल तथा ब्लड शुगर के स्तर को भी कम करता हैं ,
प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता हैं तथा इसके बीजों को पीसकर पानी मे मिलाया जाता हैं जो पानी के साथ घुलकर यह एक प्रभावी प्राकृतिक क्लोरो-फीकेसन एजेंट बन जाता हैं जो बैक्टेरियल रोगों के निदान मे सहायक होते हैं सहजन के बीजों से तेल निकालकर इससे त्वचा के
पोषक तत्व | मात्रा |
वसा | 34.7-40.4 gm |
प्रोटीन | 29.4-33.3 gm |
कार्बोहाइड्रैट | 16.5-19.8 gm |
रेसा | 6.8-8.0 gm |
लिए प्राकृतिक मॉइश्चराइजर बनाया जाता हैं !
पत्तियां-
- सहजन की पत्तियों मे कार्बोहाइड्रैट,प्रोटीन,आयरन, पोटेशियम,मेग्नेसीयम और विटामिन प्रचुर मात्रा मे उपस्थित होते हैं
- सहजन मे शुगर के स्तरको संतुलित रखने की क्षमता होती हैं जो डायबीटीज से लड़ने मे मदद करती हैं !
- सहजन की पत्तियों का काढ़ागठिया,सायटिका,पक्षापात मे शिघ्र लाभ देता हैं !
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव, सूजन ठीक हो जाते हैं !
- इसकी पत्तियों के सेवन से उच्च रक्त चाप मे लाभ होता हैं !
- सहजन की पत्तियों का लगातार सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ती हैं क्योंकि इसमे विटामिन ए प्रचुर मात्रा मे पाया जाता हैं !
फलियाँ-
- सहजन की फलियों की सब्जी बनाई जाती हैं इसके खाने से पुराने गठिया ,जोड़ों के दर्द,वात रोगों मे लाभ होता हैं !
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे व मूत्राशय की पत्थरी कटकर निकल जाती हैं!
- सहजन की फलियों मे बहुत अधिक मात्रा मे विटामिन सी उपस्थित होता है!
- सहजन के बीजों फलियों तथा इसकी पत्तियों के अलावा इसकी जड़,छाल,तथा इसके फूल का भी औषधीय रूप मे उपयोग लिया जाता हैं !
सहजन का प्रसंस्करण-
सहजनका प्रसंस्करण करकेइसेलंबे समय तकउपयोग मे लियाजा सकता है !
बीजों का चूरन -
बीजों को अच्छी तरह सुखाकर इसे पीसकर तैयार किया जाता हैं !
सहजन की पत्तियों का पाउडर -
सहजन की ताजा पत्तिया तोड़कर इन्हे 1-2 दिन धूप मे सुखा लिया जाता हैं और अच्छी तरह सुख जाने के बाद मे इन पत्तियों को पीस लिया जाता हैं इसके बाद इस पाउडर को साधारण तापमान पर 6 महीने तक भंडारित किया जा सकता हैं !
बीजों का पाउडर | पत्तियों के पाउडर की गोलीया | पत्तियों का पाउडर |
पोषक तत्व | ताजा पत्ती | सुखी पत्ती | पत्तियों का पाउडर | बीज | फली |
प्रोटीन (g) | 6.7 | 29.4 | 27.1 | 29.4-33.3 | 2.5 |
वसा(g) | 1.7 | 5.2 | 2.3 | 34.7-40.6 | 0.1 |
काबोंहाइड्रैट(g) | 12.5 | 41.5 | 38.2 | 16.5-19.8 | 3.7 |
विटामिन सी(mg) | 220 | 15.8 | 17.3 | 4.5-5.0 | 120 |
विटामिन ई(mg) | 448 | 10.8 | 113 | 751-755 | - |
मेग्नेशियम(mg) | 42 | 448 | 368 | 635-670 | 24 |
फॉस्फोरस(mg) | 70 | 252 | 204 | 75 | 110 |
पोटेशियम (mg ) | 259 | 1236 | 1324 | - | 259 |
आयरन(mg) | 0.85 | 25.6 | 28.2 | - | 5.3 |
कॉपर(mg) | 0.07 | 0.49 | 0.57 | 5.20-5.25 | 3.1 |
- बीज,ताजा पत्तियों,सुखी पत्तियों एवं फली मे उपस्थित पोषक तत्वों की मात्रा
Authors
सोमेन्द्र मीना, रोनक कुड़ी, ओर संजू लांबा, सुमन पूनियाँ,
उद्यानिकी संभाग, कृषि विश्वविधालय मंडोर, जोधपुर (राजस्थान)
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