विभिन्न सब्जियों के बीच ओकरा (Okra) जिसे आम तौर पर भिंडी के नाम से जाना जाता है, और देश भर में बड़े पैमाने पर पैदा की जाती है। इसके उत्पादन में एक प्रमुख पहचान की कमी, कीटों, रोगों और सूत्रक्रमि में वृद्धि के रूप में की गयी है, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी उपज में बहुत घाटा होता है। इसकी नरम और कोमल प्रकृति तथा उच्च नमी और लागत के क्षेत्रों के अधीन इसकी खेती के कारण, भिंडी पर कीट हमले का खतरा अधिक होता है और एक अनुमान के अनुसार कम से कम 35-40% का नुकसान होता है।

कीट नाशकों के अधिक उपयोग से संबंधित समस्याएं

इन कीटों के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए, भिंडी पर कीटनाशक की एक बड़ी मात्रा का प्रयोग किया जाता है।

  • जो सब्जियां कम अंतराल पर काटी जाती हैं उनमें टाले ने जा सकने वाले कीटनाशक के अवशेष उच्च स्तर पर बाकी रह सकते हैं जो उपभोक्ताओं के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
  • रसायनों पर अत्यधिक निर्भरता से प्रतिरोध, पुनरुत्थान, पर्यावरण प्रदूषण और उपयोगी पशुवर्ग और वनस्पति की तबाही की समस्या जनित हुई है।

भिंडी के 5 प्रमुख कीट

Green hopper of Okra1. भि‍ण्‍डी का हरा टिड्डा:

युवा तथा वयस्क अवस्था के टिड्डे हल्के हरे होते हैं और तिरछे चलते हैं। प्रभावित पत्तियां पीली पड जाती हैं और मुड जाती हैं. भारी प्रकोप के मामले में पत्तियां ईंट की तरह लाल हो जाती हैं और चूर-चूर हो जाती हैं।

 

 

 तना एवं फल छेदक :2. भि‍ण्‍डी में तना एवं फल छेदक :

जब फसल जवान होती है, तब लार्वा नर्म तने में छेदकर अन्दर ही अन्दर नीचे की तरफ जाते हैं जो कुम्हला जाते हैं, नीचे गिर जाते हैं और बढ़ने वाले हिस्से मर जाते हैं। फल में, लार्वा छेद कर इनमें घुस जाते हैं और आंतरिक ऊतकों को खाते रहते हैं, जो आकार विकृत जाते हैं और इनका कोई बाज़ार मूल्य नहीं होता है।

 

Okra-लाल मकडी3. भि‍ण्‍डी की लाल मकडी :

इनके लार्वा और युवा अवस्था हरापन लिए लाल होते हैं जबकि वयस्क रंग में अंडाकार, भूरे लाल होते हैं। घुन पत्तियों की अन्दरी सतह खाते हैं और प्रभावित पत्तियां धीरे-धीरे मुडना शुरु हो जाती हैं, झुर्रीदार हो जाती हैं और टूटकर गिर पडती हैं।

 

 

मोज़ॆक रोग:4. भि‍ण्‍डी मे मोज़ॆक रोग:

पीली नसों के गुंथे हुए अंतर्जाल के साथ कहीं-कहीं पत्तियों पर हरे ऊतक होते हैं। बाद में, पूरे पत्ते पीले हो जाते हैं। सफेद मक्खी द्वारा फैलाया गया यह रोग, आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बीमारी है.

 

 

जड गाठा सूत्रक्रमि - okra5. भि‍ण्‍डी मे जड गाठा सूत्रक्रमि:

वर्मीफॉर्म कीट होते हैं। वे जड़ों को जोरदार तरीके से खाते हैं और जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रभावित पौधे कमज़ोर होते हैं और पीले पत्तों के साथ इनका विकास अवरुद्ध हो जाता है।

 

 

एकीकृत कीट प्रबंधन रणनीतियाँ

  • मोजेक रोग प्रतिरोधी भि‍ंडी की कि‍स्‍में जैसे  मखमली, तुलसी, अनुपमा-1 और सूर्य-40 आदि की बुवाई, विशेष रूप से खरीफ़ की फसल के दौरान करें।
  • तना और फल छेदक के प्रवेश को रोकने के लि‍ए अवरोधक / जाल फसल के रूप में मक्का/ चारा फसल उगाएं।
  • सफेद मक्खी आदि के लिए पीले चिपचिपे और डेल्टा जाल लगाएं।
  • खेत में पक्षियों के शिकार को सुविधाजनक बनाने के लिए पक्षियों के बैठने का अड्डा बनाएं।
  • यदि आवश्यकता हो तो लूफ़ हॉपर, सफेद मक्खी, घुन और एफ़िड्स आदि के लिए बारी-बारी से 5% की दर से नीम की निबोली सत्व के दो से तीन छिडकाव के साथ कीटनाशकों का छिडकाव करें।
  • टिड्डा निर्धारित संख्या (5 हॉपर/पौधा) से अधिक हो, तो 17.8 SL इमिडाक्लोप्रिडपार का 150 मि.ली./हेक्टेयर के दर से छिडकाव करें। यह अन्य चूसने वाले कीटों को नियंत्रित करने में प्रभावी होगा।
  • स्थापित फेरोमोन एअरिस विट्टेल्ला के उद्भव की निगरानी के लिए 2 प्रति एकड़ की दर से फेरोमोन जाल लगाएं। हर 15-20 दिन के अंतराल पर ललचाने की वस्तु को बदलें।
  • शूट एवं फ्रूट बोरर के लिए बुवाई के 30-35 दिन बाद से शुरु कर साप्ताहिक अंतराल पर 4 - 5 बार 1 - 1.5 लाख/ हे. की दर से परजीवी का अंडारोधक ट्राइकोग्रामा चिलोनिस डालें।
  • तना और फल छेदक निर्धारित संख्या (5.3% संक्रमण) से अधिक हो, तो 200 ग्राम ए.आइ./हेक. की दर से 25 EC साइपरमेथ्रिन का छिडकाव करें।
  • मोजेक रोग प्रभावित पौधों को समय-समय पर बाहर करते रहें।
  • छेदक प्रभावित तनों एवं फलों को समय-समय पर निकाल कर नष्ट करें।
  • टिद्डे, सफेद मक्खियों, बोरर्स एवं घुन पर नियंत्रण के लिये रासायनिक कीटनाशकों का अर्थात इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL, 150 मि.ली./हेक्टेयर की दर से, साइपरमेथ्रिन 25 EC 200 ग्राम ए.आइ./ हेक्टेयर (0.005%) की दर से, क्विनल्फॉस 25 EC 0.05% की दर से या प्रोपार्गाइट 57 EC 0.1% आवश्यकतानुसार प्रयोग करें।

प्राकृतिक शत्रु (लाभकारी कीडे)

 Natural enemy of Okra pests

क्या करें और क्या न करें

करें

नहीं करें

  • समय पर बुवाई
  • खेत की स्वच्छता
  • हमेशा ताज़ा तैयार किये गये नीम के बीज के गूदे का सत्व उपयोग करे
  • केवल जब आवश्यक हो तभी कीटनाशकों का उपयोग करें
  • खपत से पहले भिंडी के फल को धोएं
  • कीटनाशक की अनुशंसित खुराक से ज्यादा नहीं डालें
  • एक ही कीटनाशक लगातार नहीं दोहराएं
  • कीटनाशकों के मिश्रण का प्रयोग न करें
  • सब्जियों पर मोनोक्रोटोफ़ॉस जैसे अत्यधिक खतरनाक कीटनाशक का प्रयोग नहीं करें
  • कटाई से ठीक पहले कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करें
  • कीटनाशकों के प्रयोग के बाद 3-4 दिन तक सब्ज़ी का उपयोग नहीं करें

Authors

SANTOSH DEVI SAMOTA

Ph.D. Scholar , Rajasthan College of Agriculture , Udaipur (Raj.) 313 001
e-mail: This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it.