सब्जी उत्पादन के आवश्यक तत्व

सब्जी उत्पादन के आवश्यक तत्व

Essential elements of the vegetable production

वर्तमान में हमारे देश में लगभग 92 लाख क्षेत्र में सब्जियों की खेती की जाती है, जिसका सफल उत्पादन 16.2 करोड़ टन है। इस प्रकार भारत, चीन के बाद विश्व का सर्वाधिक सब्जी उत्पादक देश हैं। सब्जी उत्पादन से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने हेतु कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं का ध्यान रखना अति आवश्यक है। जैसे कि‍–

  • सब्जियों को उनके उपयोग तथा बाज़ार से दुरी के अनुसार कम पकी अवस्था या पूर्ण पकने पर तोडना चाहिए। सब्जी यदि जल्दी खराब होने वाली है तो उसको कुछ कम पकी अवस्था में ही तोडना चाहिए। नजदीक के बाज़ार में सब्जियों को बेचना हो तो उन्हें शाम के समय ही तोड़े।
  • कददू जाति की सब्जियों को खेत के अन्दर नालियां बनाकर लगाना चाहियें। एसा करने से सिंचाई, निराई-गुड़ाई में आसानी होती है, खाद तथा पानी कम देना पड़ता है और फल सुखी भूमि पर रहने से कम सड़ता है।
  • टमाटर की पौध को मेढ़ो पर लगाने से फल सड़ते है। फलों को फटने से रोकने के लिए जल्दी-जल्दी सिंचाई करनी चाहिए। फसल में नाइट्रोजन अधिक नही देना चाहिए।
  • गाजर, मुली, शलजम व चुकंदर को चिकनी मिटटी में लगाने से जड़ें फटने लगती है। इन फसलों में दो-तीन बार मिट्टी चढ़ाना आवश्यक है।
  • फूलगोभी और बंदगोभी की फसल में मिट्टी चढ़ाना आवश्यक होता है जिससे पौधे अपने भार के कारण गिरने न पायें और इससे पैदावार भी अच्छी होती है।
  • आलू तथा शकरकंद पर मिट्टी अवश्य चढ़ाना चाहिए। इससे कंद बड़े और सुविकसित आकार वाले होते है तथा उनमे हरा रंग भी नही आता है।
  • दाल वाली सब्जियों में पहली सिंचाई बीज जमने के करीब 15-20 दिन बाद करना ही लाभदायक रहता है।
  • भिन्डी के बीज को 12-24 घंटे तक पानी में भिगोकर लगाने से जमाव अच्छा होता है। इस फसल में पहली सिंचाई उस समय करनी चाहिये जब पौधे पानी की कमी से मुरझाने लगे। ऐसा करने से फसल की बढ़वार अच्छी होती है।
  • पत्ती वाली सब्जियों में नाइट्रोजन वाली खाद ही देनी चाहिये। अमोनियम नाइट्रोजन मिलाकर देना अति लाभदायक होता है।
  • गर्मी के मौसम में पौधरोपण शाम के समय ही करना चाहिए। पौधरोपण के तुरंत बाद पानी अवश्य देना चाहिए।
  • टमाटर तथा बैंगन में कीटनाशक दवा का छिडकाव कीड़े लगे फल तोड़ने के बाद ही करना चाहिए तथा कीड़े लगे फलों को गड्डे में दबा देना चाहिए।
  • दवा छिडकाव के 8-10 दिन बाद ही सब्जियों को उपयोग हेतु तोडना उपयुक्त होता है।
  • सब्जियों में कीड़े एवं बिमारियों की रोकथाम हेतु विशेषज्ञों से सलाह लेकर ही कार्य करना चाहिए।  

सब्जियों के कीट-व्याधियों से बचाव

विश्व सब्जी उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। भारत में लगभग 92 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जियां उगाई जाती है जिनसे लगभग 16.2 करोड़ टन उत्पादन होता है। सब्जियों में विभिन्न प्रकार के कीट एवं व्याधियां समय-समय पर लगती है जिनसे इनके उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अत: अधिक पैदावार एवं आय प्राप्त करने हेतु इनका नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक होता है। सब्जियों में लगने वाले रोगों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है-

जीवाणु रोग: ये रोग जीवाणुओं के कारण लगते है तथा पौधों को तरह-तरह से हानि पहुंचाते है। इनके कुछ प्रमुख रोग है-

  1. बैंगन, टमाटर, आलू, गोभी, गाजर तथा प्याज़ आदि की फसल का जीवाणु गलन रोग।
  2. आलू, टमाटर, बैंगन आदि में लगने वाला जीवाणु उकठा रोग।
  3. मटर, सेम, लोबिया आदि में लगने वाला जीवाणु झुलसा रोग।
  4. गोभी की फसल में लगने वाला ब्लैक रोट रोग।

फफूंद रोग :

ये रोग फफूंदियों के आक्रमण द्वारा उत्पन्न होते है जिनमे प्रमुख हैं:

आलू की पछेती अंगमारी, मटर का चुर्णकी रोग, पत्तागोभी एवं फूलगोभी का मृदु रोमिल आसिता रोग, बैंगन की फोमोप्सिस अंगमारी, मिर्च का फल गलन, प्याज़ का अंकुरण गलन, टमाटर, खरबूजा, भिन्डी, मटर आदि का उकठा रोग।

विषाणु रोग:

ये रोग विषाणुओं द्वारा सब्जियों में लगते है। इन विषाणुओं के वाहक कीट होते है। अत: विषाणु रोगों के नियंत्रण हेतु कीट नियंत्रण करना अति आवश्यक होता है। सब्जियों के कुछ प्रमुख विषाणु रोग है:

मिर्च एवं टमाटर का पात मरोड़, आलू, मिर्च तथा टमाटर का मोजेक, भिन्डी का पीतशिरा रोग, बैंगन का लघुपात रोग, आलू का पात लपेट रोग।

सब्जियों को कीट-व्याधियों से बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार से है-

  1. जिस खेत में रोग लगा हो उसको बीज बोने के लिए प्रयोग नहीं करें।
  2. सदैव स्वस्थ, निरोगी एवं प्रमाणित बीज की ही बुवाई करें।
  3. बोने से पूर्व बीज को कैप्टान, थाइरम या बाविस्टिन के साथ (2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से) उपचारित करना चाहिए।
  4. पौधशाला की मिट्टी रेतीली दोमट हो। पौधशाला में सघन बुआई न करें। पौधशाला में डेम्पिंग ऑफ़ रोग लगने पर केप्टान रसायन का घोल डालें।
  5. पौधशाला में विभिन्न प्रकार के कीट जैसे – मोयला, हरा तेला, मकड़ी इत्यादि हानि पहुँचाते है। इनसे बचाव हेतु सिफारिश के अनुसार उचित कीटनाशको का प्रयोग करें।
  6. फसल में खरपतवार नही पनपनें देंवे। खरपतवारों को नष्ट करने हेतु खरपतवारनाशी रसायन का प्रयोग किया जा सकता है।
  7. यदि किसी खेत में उकठा, जड़गलन आदि रोग बार-बार लगते है तो एक ही फसल को बार-बार खेत में नही बोना चाहिए।
  8. खेत में संतुलित मात्रा में ही खाद एवं उर्वरको का प्रयोग करें। नाइट्रोजन की अधिकता से कीट रोगों का प्रकोप ज्यादा होता है।
  9. जहाँ तक संभव हो उन्नतशील एवं रोग प्रतिरोधी किस्मो को ही लगाना चाहिये तथा समय पर बुवाई करनी चाहियें। देर से बुवाई करने पर कीट-बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है।
  10. फसल पर दवा का छिडकाव अच्छी तरह से करें तथा दवा की उचित मात्रा का प्रयोग करते हुए सही समय पर छिडकाव करें।
  11. मोयला, तना तथा फल भेदक कीड़ो से रक्षा के लिए एन्डोसल्फान 35 ई.सी. या मेलाथियोन 50 ई.सी. दवा का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें। पानी की कमी वाले स्थानों पर इन दवाओं के पाउडर का भुरकाव भी किया जा सकता है। पाउडर का प्रयोग 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करें।

       


Authors

दीपिका शर्मा1, डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा2 एवं सुरेश चन्द यादव1

1विद्यावाचस्पति (शोध छात्र), उद्यान विज्ञान, श्री क. न. कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर

2प्राध्यापक कृषि प्रसाद, श्री क. न. कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर

 deepikajaiman88@gmail.com

Related Posts

Seed Treatment: The First Step to a...
बीज उपचार: भरपूर फसल की ओर पहला कदम Seed treatment is...
Read more
वर्ष भर सब्जी उपलब्धता हेतु मासिक कृषि...
Monthly agricultural  activities for vegetable availability throughout the year आधुनिक युग...
Read more
किसानों की कमाई में वृद्धि के लि‍ए...
Sorting and Grading of fruits and vegetables for increasing the income...
Read more
लोबिया की वैज्ञानिक खेती एवं समेकित रोग...
Scientific cultivation of Cowpea and its integrated disease and pest...
Read more
पॉलीटनल में सब्जी की पौध कैसे तैयार...
How to grow vegetable seedlings in poly tunnel भारत की जलवायु...
Read more
टमाटर की उन्नत खेती तकनीक
Advanced cultivation Techniques of Tomato टमाटर का वानस्पतिक नाम  लाइकोपर्सिकन एस्कुलेन्टम है। यह सोलेनेसी कुल...
Read more
rjwhiteclubs@gmail.com
rjwhiteclubs@gmail.com