Fish aquarium construction process and use.

Fish aquarium construction process and use.

फिश एक्वेरियम निर्माण की प्रक्रिया एवं उपयोग 

मछली एक्वेरियम एक जलीय प्राकृतिक सौन्दर्य का रूप है। जिसमे हम एक छोटे से आयत, वर्ग या किसी अन्य आकृति में नदी, झील, समुन्द्र या किसी जलाशय का सौन्दर्य जीवित रूप में देख सकते है एवं इस एक्वेरियम को प्रशिक्षण देने के लिए, मछली की दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षण देने के लिए एवं एक व्यवसाय के लिये भी स्तेमाल किया जा सकता है।

चुँकि जल में मछली के अतिरिक्त अन्य जीव जन्तु भी रहते है अतः उन्हे भी एक्वेरियम में संजोया जा सकता है। जैसे जलीय पादप आदि। यह एक्वेरियम एक पारदर्शी जल से भरा हुआ डिब्बा है जिसे अलगअलग आकार एवं आकृति का बनाया जा सकता है। जैसे आयताकार, वर्गाकार, त्रिकोण, पंचकोणीय आदि।

यह एक्वेरियम विभिन्न आकृति के साँचों में पिघले हुए काँच को ढालकर विषेश प्रकार के बनाया जा सकते है। जैसे पक्षी के आकर के, जानवर के आकार के, वाद्य यंत्र के आकार के आदि। आज कल ग्लोब या गोल बाउल आकार का एक्वेरियम का काफी प्रचलित है।

लेकिन प्रशिक्षण के लिए आयताकार एक्वेरियम बनाना बेहतर है। क्योंकि इसे जोड़ना तो आसान होता ही है साथ ही वैज्ञानिक तौर पर आयताकार एक्वेरियम में आक्सिजन अधिक मिलती है एवं मछलीयों को धरातल के सामान्तर चलने फिरने में आसानी होती है।

एक्वेरियम निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री:-

एक्वेरियम निर्माण करने के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता है।

  1. निश्चित नाप के कटे हुये काँच के टुकडे।
  2. एक्वेरियम को उपर से ढकने के लिए प्लास्टिक या लकड़ी से बना हुआ ढक्कन जिसमें बिजली का बल्ब या ट्युबलाईट लगी हुई हो।
  3. विभिन्न आकृति के छोटेछोटे रंगीन कंकड़ या पत्थर।
  4. जल में आॅक्सिजन स्तर बढाने के लिए एरेटर।
  5. पानी को साफ करने के लिए वाटर फिल्टर।
  6. कृत्रिम एवं प्राकृतिक जलीय पादप।
  7. सिलिकाॅन गम एंव गन।
  8. फ्लोरोसेंट ट्यूब लाईट।
  9. एक्वेरियम स्टैण्ड।
  10. बैक ग्राउन्ड में लगाने के लिए रंगीन सिनेरी।
  11. कृत्रिम खिलाने।
  12. तापमान निष्चित बनाये रखने के लिए थर्मोस्टेट।
  13. सर्दियों में तापमान बढाने के लिए हीटर।
  14. तापमान नापने के लिए थर्मामीटर, आदि।

एक्वेरियम कैसे बनाया जाता है:-

एक्वेरियम साधारणतया आयताकार आकृति का बनाया जाता है एवं इसके लिए अलगअलग अनुपात में काँच को काटा जाता है जैसे 24’’X18’’X12’’(लम्बाईXऊँचाई Xचैडाई), 18’’ 12’’ 12’’ (लम्बाई X ऊँचाई X चैडाई) आदि।

एक्वेरियम बनाने के लिए पाँच काँच के टुकडे निष्चित अनुपात में काटे जाते है। सबसे पहले नीचे वाला काँच किसी समतल धरातल या टेबल पर रखकर सिलिकान गम की सहायता से उसके उपर पीछे का ग्लास चिपकाया जाता है फिर दानो साईड वाले ग्लास सिलिकाॅन गम की सहायता से चिपकाये जाते है एवं अन्त में सामने वाला ग्लास चिपकाया जाता हैं।

इसके बाद इसे कम से कम एक दिन के लिए सामान्य ताप पर या कमरे के तापमान पर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है जिससे कि शीषे आपस में चारों ओर से अच्छी तरह से चिपक जाये।

दूसरे दिन एक्वेरियम में जल भर कर देखना चाहिए यदि पानी किसी स्थान से लीक हो रहा है तो एक्वेरियम को खाली कर के उस स्थान पर सिलिकान गम को हल्का सा खुरचकर पुनः अच्छी तरह से सिलिकान गम लगाना चाहिए। अब इसे पुनः सूखाकर पुनः जल भर कर जाँच करनी चाहिए एवं यदि पानी लीक नहीं हो रहा है तो समझिए आपका एक्वेरियम तैयार हो गया।

एक्वेरियम की सजावट कैसे करे:-

एक्वेरियम की सजावट निम्न प्रकार से की जा सकती है

  1. सबसे पहले एक्वेरियम के तल में विभिन्न आकृति के रंगीन कंकड पत्थर बिछा देने चाहिए।
  2. इसके बाद इन कंकडों के अन्दर कृत्रिम एवं प्राकृतिक जलीय पादप लगाते है। प्राकृतिक जलीय पादप (वेलिसनेरिया, हाइड्रिला, पोटेमोजीटोन, सिरेटोफिल्लम, माइरियोफिल्लम, आदि) जल में प्रकाष संष्लेषण के जरिये आॅक्सिजन का स्तर बढाते है एवं साथ ही ये पादप मछलीयों को छुपने का स्थान, आकस्मिक भोजन एक्वेरियम की सुन्दरता को बढाने का काम करते हैं। पौधे लगाते समय यह सावधानी रखें कि छोटे पौधे आगे की तरफ लम्बे पौधे पीछे की तरफ लगावें। जिससे एक्वेरियम की पूर्ण सुन्दरता का अवलोकन किया जा सकें। प्राकृतिक पौधों को 12 से 16 सेन्टीमीटर की दूरी पर लगाये जिससे इनकों पनपने में आसानी रहेगी।
  3. अब इन कंकडों में खिलानें जैसे कृत्रिम मगरमच्छ, कृत्रिम चट्टान आदि लगावे साथ ही पानी में एरेटर की मदद से बुलबुले छोड़ने वाली पाईप भी कंकडों के नीचे दबा दें।
  4. अब एरेटर को पाईप से जोड़ दे धीरेधीरे किसी मग की सहायता से एक्वेरियम में पानी भर दे। इस एक्वेरियम को उपर से थोड़ा खाली रखे एवं इसके बाद इसमें वाटर िफल्टर लगा दे वाटर फिल्टर एवं एरेटर दोनों को बिजली की सहायता से चालू कर दें। लगभग 24 घण्टें तक इनकों चालू रखने से पानी साफ हो जावेगा पानी में आॅक्सिजन का स्तर बढ जावेगा।
  5. इसके बाद पानी में अलगअलग तरह की रंगीन मछलीया डाल दे ढक्कन लगा दे। इस ढक्कन में बल्ब लगा होता है जो एक्वेरियम की खूबसूरती को देखने में सहायक होता है साथ हम फलोरोसेन्ट लाईट का स्तेमाल कर सकते है इस लाईट को पानी के अन्दर भी लगाया जा सकता है। यदि सर्दी का समय है तो हीटर का प्रयोग आवष्यक हो जाता है क्योंकि मछलीयों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक निष्चित तापमान को बनाये रखना आवष्यक है।

सामन्यत या एक्वेरियम में निम्न मछलीयां उपयुक्त है –

  1. गोल्ड फिश।
  2. गप्पी फिश।
  3. मोली फिश। (बच्चे देने वाली मछली)
  4. प्लेटी फिश। (बच्चे देने वाली मछली)
  5. ऐंजल फिश।
  6. जेबरा फिश।
  7. इसोमस फिश।
  8. रसबोरा या केट फिश आदि।

एक्वेरियम प्रबन्धन में कौनसी सावधानीयां रखनी चाहिए:-

निम्न सावधानीयां आवश्यक है

  1. 10 वर्ग ईंच जल क्षेत्र में 1 ईंच की मछली (लम्बाई में पूंछ शामिल नहीं है) डालनी चाहिए।
  2. एरेटर वाटर फिल्टर (पावर फिल्टर, बाटम फिल्टर, स्पंज, सादा फिल्टर, आदि) का उपयोग अवष्य करें जिससे पानी साफ रहेगा आॅक्सिजन स्तर सही बना रहेगा।
  3. लगभग 1 माह बाद एक्वेरियम वाटर फिल्टर की सफाई करना आवष्यक है।
  4. पानी का तापमान जाँचने के लिए थर्मामीटर का प्रयोग करें गर्मी एवं सर्दी में तापमान निष्चित रखने के लिए थर्मास्टेट का प्रयोग करे।
  5. सभी उपकरणों की समयपर सफाई करना आवष्यक है। एवं इन उपकरणों के स्तेमाल से पहले इनकों पोटेषियम परमेगनेट में डूबोकर फिर साफ पानी से धोकर फिर एक्वेरियम में रखना चाहिए ताकि जीवाणु अन्य रोग जनक एक्वेरियम के पानी में ना आवें।
  6. मछलीयों को दिया जाने वाला आहार प्रोटीन युक्त होना चाहिए यह आहार निष्चित मात्रा निष्चित समय पर दिया जाना चाहिए।
  7. मछलीयों के स्वास्थ्य का नियमित निरीक्षण करना आवष्यक है यदि कोई मछली अस्वस्थ्य है तो उसे तुरन्त बाहर निकाल कर उपचारित करना चाहिए यदि कोई मछली जल में मर जाती है तो उसे तुरन्त बाहर निकाल दें।
  8. पानी बदलते समय एक दम से नल का पानी ना डाले क्योंकि इसमें क्लोरीन हो सकता है एवं उससे मछलीया मर सकती है अतः कुछ देर इसे रख कर फिर एक्वेरियम में डाले।

 


Authors:

पवन कुमार शर्मा, कविता चौहान, वी.वी. लक्ष्‍ामी, वरुण मिश्रा

जल कृषि विभाग मात्स्यिकी महाविद्यालय एवं अनुसन्धान संस्थान पोन्नेरी

तमिलनाडु मात्स्यिकी विश्वविद्यालय नागापत्तिनम तमिलनाडु

Email: pawan.sharma32224@gmail.com

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