अधि‍क दूध उत्पादन के लिये पोषक पशु आहार का महत्व 

भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में डेरी उद्योग आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है । डेयरी कृषि का एक प्रकार है जो दूध उत्पादन पर केंद्रित है। दूध उत्पादन या डेयरी फार्मिंग भारत में, छोटे  व बड़े स्तर दोनों पर सबसे ज्यादा विस्तृत रूप  में फैला हुआ व्यवसाय है।अपने पशुओं का बेहतर रख-रखाव और उन्हें पौष्टिक चारा खिलने से किसान की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है

डेयरी गायों को दूध उत्पादन, शरीर के रख-रखाव और अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक संतुलित आहार की आवश्यकता होती है।जानवरों के पास हर समय पर्याप्त मात्रा में जल  होना चाहिए ताकि वह अपनी आवश्यकता के अनुसार जितना चाहे उतना ग्रहण कर सके । कोई भी दूध देने वाली गाय चाहें  कितना भी अच्छा नस्ल की क्यों न हो , बिना उचित प्रबंधन के अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार दूध का उत्पादन नही कर सकती ।

पशु द्वारा उत्पादित दूध की मात्रा और गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली दो चीजें हैं, पहली उसका आहार और दूसरी यह आहार उसे कैसे खिलाया जाता है । यदि गाय को एक चारागाह में घास चरने भेजा जाता है  जहां उसके लिए पर्याप्त हरी घास और जल उपलब्ध  नही है तथा उसे गोबर और मूत्र से सने स्थानों  में रखा जाता है तो निश्चित रूप से दूध उत्पादन में कमी होगी साथ में पशु को बीमारियाँ होने की संभावनाएं भी अधिक होंगीं ।

पशुओ की श्रेष्ठ नस्लों के चयन से साथ साथ, उचित आहार,स्वच्छ और शुद्ध डेरी का वातावरण तथा पशुओ का पालन ,अच्छी गुणवत्ता के दूध उत्पादन करने का निश्चित तरीका है ।एक अच्छी नस्ल जो पर्याप्त  पोषक आहार  और स्वच्छ जल  प्राप्त करती है, उचित आवास और सौम्य देखभाल में रहती है वह किसान को ज्यादा दूध और धन लाभ देती है  ।

डेयरी गाय के आहार में पोषक तत्वों की आवश्यकता

दुग्ध स्त्रावित  करने वाली गयों के पोषक तत्वों की आवश्यकता बछड़ोंकी आवश्यकताओं से भिन्न होती है । गाय के आहार (चारे) की मात्रा उसके द्वारा उत्पादित दूध , उसके वजन, शारीरिक तापमान और उसकी दैनिक शारीरिक गतिविधि पर निर्भर करती है । जो भी परिस्थिति हो पशु को संतुलित आहार की आवश्यकता होती है जोकी पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा (कार्बोहाइड्रेट और फैट), प्रोटीन, रेशा ,खनिज, विटामिन और पानी प्रदान करते हैं।

दिया गया पशु आहार पचने योग्य होना चाहिए ताकि पोषक तत्व शरीर में अवशोषित हो सकें और आहार में  विषैले पदार्थ न हो ।नेपियर घास, बरसीम जैसी चारा फसल को डेयरी के पशुओं के लिए  सबसे महत्वपूर्ण आहार माना जाता है क्योंकि वह  शरीर के संधारण, दूध उत्पादन, विकास, वजन और प्रजनन के लिए उचित ऊर्जा और पोषण प्रदान करती हैं । चारा फसलों में रेशे (फाइबर) होते हैं जो पाचन क्रिया  में मदद करतें  हैं और दूध में वसा की मात्रा में भी बढ़ाते हैं।

एक अच्छी नस्ल की वयस्क गाय का औसत वज़न ४०० किलो होता है । इस गाय को अपने शरीर को स्वस्थ्य अवस्था में बनाये रखने के लिए औसतन १०-१५  किलोग्राम चारे की आवश्यकता होती है। इस आवश्यकता की पूर्ती के लिए इन मवेशियों  को गुड़, मक्का और गेहूं के बीझो जैसे खाद्य पदार्थो से बना ,अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करने वाला आहार खिलाना चाहिये ।

गाय की बुनियादी ऊर्जा ज़रूरत

ऊर्जा की अपेक्षित दैनिक आवश्यकता की पूर्ती चारे की गुणवत्ता , पशु के आकार और वज़न , दूध उत्पादन का स्तर और पूरक आहार (फ़ीड) की मात्रा पर निर्भर करती है ।शुष्क ऋतु में, गायों को अक्सर पर्याप्त चारा नहीं मिल पाता  है । इस कमी की पूर्ती के लिए कई छोटे किसान मवेशियों को बाज़ार में उपलब्ध पशु खाद्य कम्पनियों से पूरक आहार (फ़ीड)  प्राप्त करके खिलाते हैं ।

पूरक आहार से जब दूध उत्पादन में वृद्धि नही होती तब किसान इन कम्पनियों की ख़राब गुणवत्ता वाली फीड या डेयरी गाय की नस्ल को जिम्मेदार ठहराता हैं । किसानों को यह समझना आवश्यक है की पशु के पेट को भरने के लिए पर्याप्त मात्रा में चारे के बिना, सबसे सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले पूरक आहार(फ़ीड)  भी दूध उत्पादन में वृद्धि नहीं कर सकते हैं।

यदि कम चारा दिया जाता है तो गाय अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए फ़ीड के पोषक तत्वों का उपयोग करती है ,जिस कारण से दूध उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पाती ।कई बार, किसान अपने जानवरों को सड़ा हुआ मक्का चारे के साथ खिलाता  हैं, जो पशु की सेहत के लिए हानिकारक  होता है क्योंकि इसमें फ़्लाटॉक्सिन हो सकता है जो गाय के दूध को दूषित करते हैं और यह उपभोग करने वालों की सेहत के लिए भी खतरनाक है।

पशु आहार  में प्रोटीन का महत्व

प्रोटीन आहार का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण अंश है।यह गाय का शरीर बनाता है और दूध उत्पादन में मदद करता है।आहार में पर्याप्त मात्रा का प्रोटीन पेट के  सूक्ष्म जीवियों को चारे से पोषक तत्वों के निष्कर्षण में मदद करता है ।किसानों को यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वह चारे के साथ अपने मवेशियों को प्रोटीन भी पूरक आहार के रूप में खिलायें ।

पशु आहार में प्रोटीन की कमी का परिणाम है दूध के उत्पादन में कमी ,पशु के वज़न और विकास में कमी ।अच्छा प्रोटीन स्रोतों में ल्यूसर्न, सफेद तिपतिया घास, बरसीम और सेम पुआल जैसी  फलियां शामिल हैं।

सालीएनंड्रा, सेसबैनिया और ल्यूसेना जैसे चारे के पेड़ भी जानवरों के लिए प्रोटीन उपलब्ध कराते हैं। मवेशियों  को सालीएनंड्रा खिलाने से पहले उसे सुखा लेना चाहिए क्योंकि यह दूध में गंध पैदा करता है ।

पशु आहार  में खनिजों का महत्व

खनिज जैसे की कैल्शियम, फास्फोरस,पोटैशियम आदि पशु द्वारा दूध के उत्पादन और अन्य शारीरिक क्रियाओ को सुचारु रूप से चलने में मदद करते हैं ।गर्भवती गायों को विशेष रूप से बछड़े के ऊतक और हड्डियों के बेहतर विकास में पर्याप्त मात्रा में खनिज आवश्यक हैं। ए, डी और ई जैसे विटामिन का गाय के शरीर में निर्माण नहीं होते इसलिए इनकी पूर्ती पूरक आहार(फ़ीड)  द्वारा की जानी चाहिए।

पशु आहार  में जल का महत्वा

एक वयस्क डेयरी गाय के वज़न का आधे से ज्यादा वज़न पानी से होता है इसलिए एक किसान के पास पर्याप्त  मात्रा में जल का स्रोत होना चाहिए। यह जानवर के शरीर के ऊतकों और अंगों को आहार के पोषक तत्व पहुचाता  हैं साथ ही गर्मी के मौसम में शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करता है ।

पशु को पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए ताकि वहअपनी ज़रूरत अनुसार जितना चाहे उतना ग्रहण कर सके ।औसतन, डेयरी गायों को एक दिन में ६० लीटर से अधिक पानी की आवश्यकता होती है।यह पशु को दूध उत्पादन बढ़ाने और शरीर को स्वस्थ्य बनाये  रखने में मदद करता है। 

साईलेज

हरे चारे को हवा की अनुपस्थिति में गड्ढे के अन्दर रसदार परिरक्षित अवस्था में रखनें से चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है जो हरे चारे का पी-एचकम कर देता है तथा हरे चारे को सुरक्षित रखता है। इस सुरक्षित हरे चारे को साईलेज (Silage) कहते हैं।

दाने वाली फसलें जैसे मक्का, ज्वार, जई, बाजरा आदि साईलेज बनाने के लिए उतम फसले हैं क्योंकि इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। कार्बोहाइड्रेट की अधिकता से दबे चारे में किण्वन क्रिया तीव्र होती है। दलहनीय फसलों का साइलेज अच्छा नहीं रहता परन्तु दलहनी फसलों को दाने वाली फसलों के साथ मिलाकर साईलेज बनाया जा सकता है। अन्यथा शीरा या गुड़ के घोल का उपयोग किया जा सकता है । 

पोषक पशु आहार

लाभदायक डेयरी व्यवसाय के लिए योजना और प्रबंधन की महत्वता

डेयरी गायों का ध्यान और रख-रखाव किसान के ज्ञान और योजना पर निर्भर करता है। डेयरी खेती एक जीवनक्षम व्यवसाय है, जिसमें पर्याप्त संसाधनों और पूंजी की आवश्यकता होती है। इसमें शामिल है; जानवरों को खिलाने के लिए आवश्यक चारा, फलियां, हरे चारे के लिए पर्याप्त भूमि, पीने के लिए परियाप्त मात्रा में पानी, उनके रहने के लिए साफ़ सुथरा वातावरण आदि।

सूखे मौसम के दौरान किसानों को पशु खाद्य आवश्यकताओं के लिए भी योजना होनी  चाहिए।किसानों को अतिरिक्त चारे से बरसात के मौसम में साईलेज तैयार करना चाहिए ताकि सूखे मौसम के समय जानवरों को इसे खिलाया जा सके।

किसानों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जानवरों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पूरक आहार (फ़ीड), खनिज , विटामिन और दवाइयाँ खरीदने के लिए उनके पास पर्याप्त धन हो ।

डेयरी फार्मिंग उद्यम शुरू करने से पहले, किसानों को डेयरी गाय प्रबंधन पर पर्याप्त कौशल होना चाहिए, जो वह  सफल डेयरी किसानों के पास जाकर या पशुधन विस्तार कर्मियों के साथ काम करके प्राप्त कर सकता  हैं। इससे किसानो को विफलता और हानि पैदा करने वाली गलतियों से बचने में मदद मिलती है। एक अच्छी तरह से प्रबंधित, डेयरी बहुत अधिक लाभदायक उद्यम के रूप में साबित हो सकती  है ।

निष्कर्ष

सभी कृषि के क्षेत्रों की तुलना में, डेयरी फार्म सबसे श्रमिक गहन क्षेत्र है। डेयरी फार्मिंग को एक सफल व्यवसाय बनाने के लिए निवेश, कड़ा परिश्रम, समर्पण, उचित योजना और  प्रबंधन की आवश्यकता होती है ।

कृषि और डेयरी खेती की दुनिया पारंपरिक कृषि पद्धतियों को छोड़ कर तेजी से बदलाव में प्रवेश कर रही है । कई आधुनिक डेयरी किसानों और उद्यमियों का मानना है कि केवल प्रौद्योगिकी ही दूध उत्पादन में बढ़ौत्री का स्रोत है और इसी वजह से छोटे किसान को इस व्यवसाय से बाहर निकलना पड़ता है। सच यह है कि प्राथमिक कृषि पद्धतियों  के उचित उपयोग से भी सफलता मिल सकती है । 


लेखक

महर्षि तोमर, रीतू  , मनोज कुमार , रेखा बालोदी

१-(वैज्ञानिक) भा.कृ.अनु.प -भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसन्धान संस्थान झाँसी-२८४००३

२-(वैज्ञानिक) भा.कृ.अनु.प–केंद्रीय कपास प्रौ़द्योगिकी अनुसंधान संस्थान एडनवाला रोड, माटुंगा, मुंबई-४०००१९

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