Soybean processing as a Domestic industry

सोयाबीन पोषक तत्वों से परिपूर्ण एवं पोषण की खान के रूप में जाना जाता है इसलिये इसे सुनहरे बीन की उपाधि दी गई है इसमें प्रोटीन के अन्य सभी उपलब्ध स्रोतों की तुलना में सबसे अधिक लगभग 40 प्रतिशत अच्छी गुणवत्ता की प्रोटीन एवं 20 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। यदि हम सोयाबीन में पाये जाने वाले पोषक तत्वों व खनिज लवण व विटामिन्स का विश्लेषण करें तो प्रति 100 ग्राम सोयाबीन में निम्नानुसार मात्रा पाई जाती है-

Nutritive Value of Soyabean (per 100 gram)

Water 8.5 g Potassium, K 1797 mg
Energy 416 kcal Sodium, Na 2 mg
Energy 1741 kJ Zinc, Zn 4.9 mg
Protein 36.5 g Copper, Cu 1.7 mg
Fat (total lipid) 19.9 g Maganese, Mn 2.52 mg
Fatty acids, saturated 2.9 g Selenium, Se 17.8 mg
Fatty acids, mono- unsaturated 4.4 g Vitamin C (Ascorbic acid) 6 mg
Fatty acids, poly-unsaturated 11.3 g Thaimin ( Vitamin B1) 0.87 mg
Carbohydrates 30.2 g Riboflavin (Vitamin B2) 0.87 mg
Fiber 9.3 g Niacin ( Vitamin B3) 1.62 mg
Ash 4.9 g Panthotanic acid (Vitamin B5) 0.79 mg
Isoflavones 200 mg Vitamin B6 0.36 mg
Calcium, Ca 277 mg Folic Acid 375 µg
Iron Fe 15.7 mg Vitamin B12 0 µg
Magnesium 280 mg Vitamin A 2.0 µg
Phosphorus, P 704 mg Vitamin E 1.95 mg

 

प्रोटीन की उपलब्धता को देखते हुये इसका हमारे दैनिक जीवन में पोषक आहार में विशेष योगदान है

सोयाबीन का औषधीय महत्त्व

सोयाबीन में उपस्थित प्रोटीन व आहरिक रेशे पाये जाने के कारण इससे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम होती है जिससे खून की कमी होने से रोकता है तथा सोयाबीन में आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण यह एनीमिया को भी नियन्त्रित करता है।

सोयाबीन में पाई जाने वाली प्रोटीन से हमारे शरीर के रक्त में हानिकारक कोलेस्ट्रोल की मात्रा भी कम होती है। जिससे ह्र्दय रोग की संभावनाये कम होती है। सोयाबीन में पाये जाने वाले आइसोफ़्लोविन रसायन के कारण महिलाओं से सम्बन्धित रोग व स्तन कैंसर से बचाव करता है ।

सोयाबीन की पौष्टिकता को देखते हुये इसे हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न रूपों में प्रयोग किया जा सकता है सोयाबीन के प्रसंस्करण से विभिन्न पदार्थ बनाये जा सकते हैं जिनका हम अपने घर में उपयोग करने के साथ साथ अपना घरेलू उद्योग भी प्रारम्भ कर सकते हैं उद्यमों की स्थापना तथा बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करने में सोयाबीन प्रसंस्करण काफ़ी हद तक मददगार सिद्ध हो सकता है। इसका लाभ उठाने के लिये तथा सोया पदार्थों की ग्रामीण जरूरतों को पूरा करने के लिये देहातों / कस्बों में ऐसे उद्यमों की स्थापना करनी चाहिये जिससे वहां के लोगों की जरुरतें पूरी होने के साथ साथ उनको रोजगार स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो सके तथा उनको शहर की ओर रुख करने की आवश्यकता महसूस न हो साथ छोटे शहरों में सोयाबीन पर आधारित उद्यमों को प्रोत्साहन मिलने से शहरवासियों को कम दाम पर अच्छी गुणवत्ता वाला प्रोटीन उपलब्ध हो सके। यह तरीका अपनाने से प्रसंस्करण के लिये कच्चे माल को शहर की तरफ़ जाने तथा प्रसंस्कृत पदार्थ को देहात में वापस ले आने में परिवहन व्यय तथा इसके रख रखाव में होने वाली हानियों को कम किया जा सकता है। ग्रामों तथा शहरों में सोयाबीन का प्रसंस्करण करते समय तथा उद्यमों का चयन करते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिये कि जो खाद्य पदार्थ तैयार करने की इकाई लगाई जा रही है उस पदार्थ में लोगों की रुचि या पसन्द अवश्य हो। जो पदार्थ उस क्षेत्र में पारम्परिक रूप से प्रचलन में हो तथा स्थानीय लोगों के खान पान / आहार का एक हिस्सा हो उनके आधार पर तथा स्थानीय मांग के अनुरूप सोयाबीन का उद्यम स्थापित करना लाभप्रद सिद्ध हो सकता है सोयाबीन को प्रयोग करने के मुख्य तरीके निम्न प्रकार हैं - 

1- सोयाबीन का आटा



साफ़ सोयाबीन को उबलते पानी में 20 मिनट के लिये उबालें और उसके बाद पानी से निकालकर धूप में सुखायें एबं सूखने पर पिसवा कर रखें सोयाबीन का आटा तैयार है । सोयाबीन के तैयार आटे को गेंहू के आटे या बेसन के साथ विभिन्न खाद्य पदार्थ बनाने के लिये मिलाया जा सकता है सूखे हुये सोयाबीन को गेंहूं या चने के साथ भी पिसवाया जा सकता है लेकिन गेहूं तथा सोयाबीन का अनुपात 1: 9 का होना चाहिये। 

2- सोयाबीन दूध / पेय



साफ़ किये हुये सोयाबीन या सोयाबीन की दाल को भिगोकर 6-8 घंटे के लिये रख दें। तत्पश्चात 1 भाग सोयाबीन तथा 6 भाग पानी के साथ मिक्सी या ग्राइन्डर में पीसें तथा तैयार स्लरी को 10 मिनट के लिये उबालें तत्पश्चात मलमल के कपडे से छान लें और स्वाद अनुसार चीनी मिलायें । ठंडा करने पर मनपसंद की खुशबू मिलायें । लीजिये सोयाबीन दूध तैयार है। तथा इस प्रकार 1 किलोग्राम सोयाबीन से लगभग 6 लीटर दूध तैयार हो जाता है।



3- सोया पनीर



सोया पनीर सोयाबीन का सर्वोत्तम खाद्य पदार्थ है तथा आसानी से पाचन हो जाता है । आइसोफ़्लेवान की मात्रा इसमें सर्वाधिक मिलती है तथा यह देखने में दूध के पनीर जैसा लगता है जापान में इसको टोफ़ू कहते हैं इसको भी आसानी से घर पर बनाया जा सकता है । इसको बनाने के लिये साफ़ सोयाबीन को उबलते पानी में डालकर गरम करें तथा फ़िर ठंडे पानी में 3/4 घंटे के लिये भिगो दें। तत्पश्चात मिक्सी में गरम पानी के साथ 1:9 के अनुपात में पीस लें तथा मलमल के कपडे से छान लें दूध के समान तरल पदार्थ को उबालें तथा 5 मिनट पश्चात कैल्शियम क्लोराइड के घोल से फ़ाड दें तथा 5 मिनट के लिये बिना हिलाये डुलाये रख दें फ़िर मलमल के कपडे में दबाकर रख दें लगभग 10 मिनट बाद कपडे से निकालकर टुकडों में विभाजित कर दें । पानी में डुबोकर रखने से इसे 24 घंटे तक खराब होने से बचा कर रखा जा सकता है । सोयाबीन के बने पनीर को उन सभी स्थानो पर उपयोग किया जा सकता है जहां कि दूध का पनीर उपयोग किया जाता है। इस प्रकार 1 किलो सोयाबीन से लगभग 1-5 से 2 किलोग्राम पनीर बनाया जा सकता है। सोया पनीर सेचुरेटेड वसा से रहित होता है तथा मधुमेह व दिल के मरीजों के लिये प्रोटीन का कम कीमत का स्रोत है।

4- वसा रहित आटे का उपयोग



सोयाबीन का वसारहित आटा प्रोटीन का बहुत ही अच्छा स्रोत है इसमें 50-60 प्रतिशत प्रोटीन होता है और इसमें बीन की गन्ध भी बहुत कम आती है इसको आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है गेहूं के आटे में मिलाकर सभी गेहूं के आटे से बनने वाले व्यंजन बनाये जा सकते हैं जैसे - रोटी, डबलरोटी, पूडी पराठा, समोसे, हल्वा आदि खाद्य पदार्थों में 30 प्रतिशत मिलाने पर भी स्वाद में अन्तर नहीं आता है। वसा रहित आटे को बेसन के साथ भी मिलाया जा सकता है । बेसन के सेब (नमकीन) बनाने में इसको 40 % तक स्वाद मे बिना अंतर आये मिलाया जा सकता है। तथा वसा रहित आटा मिलाने पर बेसन के नमकीन का रंग व कुरकुरापन बढ जाता है। इसी प्रकार बेसन का हलुआ बनाने में भी 20% तक सोयाबीन आटा मिलाया जा सकता है। बेसन में मिलाने पर खाद्य पदार्थों की पोष्टिक गुण वत्ता बढने के साथ साथ कीमत भी कम हो जाती है। 

5- सोयाबीन पापड



घरों में पापड सामान्यत उडद या मूंग की दाल से बनाये जाते है । पापड के लिये भी वसा रहित सोयाबीन के आटे को तैयार कर अन्य दालों के आटे के साथ मिलाकर पापड बनाने में उपयोग कर सकते हैं शोध द्वारा यह ज्ञात हो चुका है कि वसा रहित सोयाबीन का आटा पापड बनाने के लिये 80 % तक प्रयोग में लाया जा सकता है । 

6- सोयाबीन नमकीन

साफ़ सोयाबीन को नमक के घोल में 20 मिनट तक उबालें तथा बाद में नमक के घोल से निकालकर 5 मिनट के लिये पंखे के नीचे फ़ैला दें तथा फ़िर गरम तेल में तल लें और फ़िर चाट मसाला स्वाद अनुसार मिला लें सोया नमकीन तैयार है।

7- अंकुरित सोयाबीन का नाश्ता

सोयाबीन 2 भाग तथा 1भाग चना तथा 1 भाग मूंग को पानी में भिगोकर रात भर रखना चाहिये तथा इसके लिये तीनों दालों को अलग अलग कपडे में बांध कर 6-8 घंटे भिगोकर रखें तथा जब अंकुरण ह जाये तो साफ़ पानी से धोकर अंकुरित सोया दालों को हल्की भाप में पका लेना चाहिये। तथा बाद में तीनों को मिलाकर हरा धनिया,प्याज,टमाटर,मिर्च तथा नमक व नींबू स्वाद अनुसार मिलाकर नाश्ते में उपयोग किया जा सकता है।

8- सोयाबीन की बडी

सोयाबीन 100 ग्राम,मूंग दाल 100 ग्राम,चना दाल 100 ग्राम,उडद दाल 100 ग्राम तथा कुम्हडा किसा हुआ 500 ग्राम हरी मिर्च,अदरक,हींग स्वादअनुसार । सभी दालों को 8-10 घंटे के लिये पानी में भिगो दें उसके बाद अच्छी तरह साफ़ पानी से धो लें तथा इसमें सोयाबीन को छिलके निकालकर धोयें । इसके बाद में सभी दालों को पीस कर उसमें किसा हुआ कुम्हडा व मसाले मिलायें तथा इसकी बडी बनाकर धूप में सुखा लें व हवा बंद डिब्बे में रखें एवं आवश्यकतानुसार उपयोग करें। 

सोयाबीन के उपयोग में सावधानी

सोयाबीन में कुछ ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो कि सामान्य पोषण के पाचन में बाधा डाल सकते हैं इसलिये इन तत्वों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिये हमें सोयाबीन के बने खाद्य पदार्थों को या उन्हे बनाने से पहले सोयाबीन को कम से कम 15 मिनट के लिये 100 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर गरम कर लेना चाहिये एवं कभी भी कच्चे सोयाबीन का सेवन नहीं करना चाहिये। 




Authors:
R.K.S.RATHAUR
Dy.FIELD MANAGER
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