Measures to increase milk production in milch animals

Measures to increase milk production in milch animals

दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उपाय

For successful animal husbandry and dairy business, It is important to achieve better health of the animals and good quantity of milk production. To achieve this, lot of care should be taken. Many people give injections and medicines to animals, which are harmful to the health of animals. In such a situation, veterinarians also recommend adopting indigenous and home remedies, which are completely safe for animals.

दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के उपाय

सफल पशुपालन और डेयरी व्यवसाय की दो महत्वपूर्ण निशानियां होती हैं, एक तो पशुओं का बेहतर स्वास्थ्य और दूसरा अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन ।इस उद्देश्य को हासिल करने के लिये पशुओं का रखरखाव, साफ-सफाई और खान-पान, सेहत और सैर-सपाटे पर काफी ध्यान रखना चाहिए ।

इसके लिये कई लोग पशुओं को इंजेक्शन और दवायें भी देते हैं, जो पशुओं की सेहत के लिये हानिकारक होता है।ऐसी स्थिति में पशु चिकित्सक भी देसी और घरेलू उपायों को अपनाने की सलाह देते हैं, जो पशुओं के लिये पूरी तरह सुरक्षित होते हैं और इनके लिये पशुपालकों को अलग से खर्चा करने की जरूरत भी नहीं होती । 

  • ध्यान रखें कि पशुओं को आहार किलाने से पहले कम से कम 4 से 5 घंटे के लिये दाने को भिगो देना चाहिये, ताकि पशुओं को आहार पचाने में कोई परेशानी ना हो ।
  • पशु विशेषज्ञों की मानें तो अच्छे फैट वाले दूध के लिये पशु आहार में  कैल्शियम, मिनरल मिक्सचर, नमक, प्रोटीन, वसा, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट की आपूर्ति करते रहें ।
  • पशुओं को साधारण हरा चारा ना खिलायें, बल्कि नेपियर घास, अल्फा, बरसीम, लोबिया, मक्का की उन्नत किस्मों का चारा भी खिलाते रहें ।

पशु आवास व्यवस्था

  • पशुओं को छाया में बांधे। सर्दियों में पक्के कमरे में बांधने की व्यवस्था करें।
  • पशुओं के बाड़े की नियमित सफाई करें। सर्दियों के मौसम में स्थान को सूखा रखने के लिए घास या पैरा इत्यादि बिछा दे जिससे पशु सुविधापूर्वक बैठ सके।
  • पशुशाला स्वच्छ एवं हवादार होना चाहिए जिससे पर्याप्त हवा एवं रोशनी आ सके। पशुशाला जीव जन्तुओं से सुरक्षित होना चाहिए।
  • पशुओं को अत्याधिक नहीं चराना चाहिए तथा गर्मियों के मौसम में पानी पर्याप्त हो तो पशुओं को नहलाना चाहिए। गर्मियों में ज्यादा समय के लिए पशुओं को धूप में न रखे।

पशु भोजन की व्यवस्था

  • पशुओं को कम से कम 5 से 6 किलोग्राम सूखी घास या भूसा प्रतिदिन खिलाना चाहिए।
  • पशुओं को प्रतिदिन 1 किलोग्राम संतुलित आहार रखरखाव के लिए तथा 1 से 2 किलोग्राम प्रतिदिनए प्रति लीटर दुग्ध उत्पादन के लिए खिलाना चाहिए।

संतुलित आहार का मिश्रण

  चना 20% ,मक्का 22%, मूँगफली 35% ,गेहूँ का छिलका 20% ,खनिज मिश्रण 2% एवं नमक 1%।

दुधारू पशुओं के भोजन के लिए महत्वपूर्ण संकेत 

  • उत्पादन को ध्यान में रखते हुए भोजन की मात्रा देनी चाहिए।
  • अच्छी गुणवत्ता वाला चारा कंसट्रेट मिश्रण की मात्रा को कम करता है। लगभग 20 किलोग्राम हरा चारा या 6-8 किलोग्राम फली चारा 1 किलोग्राम कंसन्ट्रेट मिश्रण ;0.14- 0.16 किलोग्राम डीसीपी को रिप्लेस कर सकता है।
  • प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्वों की आपूर्ति कंसट्रेट मिश्रण से की जा सकती है।
  • नियमित रूप से कंसन्ट्रेट मिश्रण का आधा भाग सुबह दूध दोहने के पहले एवं बचा हुआ भाग शाम को दूध दोहने के पहले खिलाना चाहिए।
  • हरा चारा या घास का आधा भाग सफाई एवं पानी पिलाने के बाद खिलाना भाग शाम को दूध दोहने के बाद तथा पानी बाद देना चाहिए।
  • अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं को दिन में तीन बार भोजन देना चाहिए। अत्याधिक आहार भी नहीं खिलाना चाहिए इससे पशु आहार लेना बन्द कर देता है।
  • दाने को मध्यम आकार तक रखना चाहिए। आहार क स्वच्छ एवं सूखे स्थान पर रखे। फली चारा को घास या अलग दूसरे चारों के साथ मिश्रित करके खिलाये इससे अफरा को रोका जा सकता है।

पशु स्वास्थ्य प्रबंधन

  • पशु जैसे ही अस्वस्थ्य लगे तुरंत प्राथमिक उपचार करे एवं पशु चिकित्सक से संपर्क करें।
  • पशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए बारिश के पहले गल घोंटूए एक टंगिया तथा बारिश के बाद मुँहपका खुरपका रोग का टीका लगवाये।
  • समय से पशु को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाये।
  • बच्चा जनने के बाद दुधारू पशु को तीन माह के अन्दर गाभिन हो जाना चाहिए ऐसा न हो तो पशु चिकित्सक से संपर्क करें।

अधिक दूध उत्पादन के लिए औषधीय उपचार

अकसर उम्रदराज होते दुधारु पशुओं में भी दूध उत्पादन कम होने लगता है। ऐसे में उनका स्वास्थ्य और दूध उत्पादन बनाये रखने के लिए पशु आहार के साथ हल्दी, शतावर, अजवाइन, सौंठ, सफेद मसूली दे सकते हैं। इन उपायों से पशुओं की रोग प्रतिरोधी क्षमता मजबूत होती और पशु तंदुरुस्त बनते हैं। ध्यान रखें की इन जड़ी-बूटियों की संतुलित मात्रा ही पशुओं का खिलायें । 


लेखक-

अनामिका पाण्डेय

छात्रा, दैहिकी एवं जलवायुकी विभाग,

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संसथान , इज़तनगर बरैली उत्तर प्रदेश(243122)

Email id: anamikabulbul1396@gmail.com

 

 

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