Wheat bran consumption is beneficial
भारत में उगाई जाने वाली फसलों में गेहूँ एक प्रमुख अनाज की फसल है। गेहूँ के दाने से प्राप्त उच्च कैलोरी के कारण दुनिया की एक तिहाई से भी अधिक आबादी द्वारा उपभोग की जाने वाली प्रमुख खाद्य फसल है। गेहूँ एक पौष्टिक अनाज होने के साथ-साथ प्रोटीन, खनिज, विटामिन बी एवं आहार रेशा का भी एक समृद्ध स्रोत है।
भारत में इसकी खेती लगभग 31 मिलियन हैक्टर क्षे़त्रफल पर की जाती है, जिससे गेहूँ का उत्पादन लगभग 110 मिलियन टन होता है (2021)। गेहूँ के बीज के तीन अलग-अलग भाग होते हैं जिन्हे चोकर, एंडोस्पर्म एवं जर्म के नाम से जाना जाता है। आटे के उत्पादन के लिए गेहूँ पिसाई प्रक्रिया के दौरान इन तीनों भागों को अलग-अलग किया जाता है।
गेहूँ के दाने का 83 प्रतिशत मध्य भाग एंडोस्पर्म से बना होता है जिसमें मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट होता है। बीज का सबसे महत्वपूर्ण आंतरिक भाग जर्म होता है, जो दाने के कुल वजन का लगभग 2.5-3.8 प्रतिशत होता है। गेहूँ के दाने की बाहरी परत चोकर की बनी होती है, जो दाने के निर्माण में 14 प्रतिशत का योगदान देती है। गेहूँ के बीज की संरचना को चित्र 1 में दर्शाया गया है।
चित्र 1 : गेहूँ के बीज की संरचना
गेहूँ की चोकर
गेहूँ आधारित रोटी, बिस्कुट, ब्रेड पास्ता, सूजी, दलिया आदि बनाने से पहले गेहूँ को पिसाई प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इस प्रक्रिया के दौरान आटा व जर्म के अतिरिक्त चोकर भी प्राप्त होता है। इस चोकर का उपयोग पौष्टिक गुणवत्ता एवं उच्च आहार रेशा युक्त खाद्य उत्पाद बनाने, पशु आहार मिश्रण एवं अन्य उत्पाद बनाने में किया जाता है। गेहूँ चोकर में मौजूद आहार रेशा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज यौगिक (फेनोलिक एसिड; अरेबिनोजायलान, फाइटोऐस्टोरॉल एवं एल्काइलरेसोरसिनॉल आदि) भोजन के पोषण मूल्य में सुधार के लिए दैनिक आहार में शामिल किए जाने वाले वांछनीय तत्व हैं। इसलिए मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्माण में गेहूँ के चोकर को प्राकृतिक और सस्ते स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जिनका सेवन मधुमेह, हृदय रोग, पेट के कैंसर के जोखिम, उच्च रक्तचाप एवं कोरोनरी हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करता है। पिछले कुछ वर्षों से मानव उपभोग के लिए गेहूँ की चोकर के उपयोग में काफी वृद्धि होने के साथ-साथ इसका प्रति वर्ष उत्पादन लगभग 90 मिलियन टन होने का अनुमान है।
चित्र 2 : गेहूँ की चोकर
गेहूँ की चोकर का खाद्य पदार्थों में उपयोग
गेहूँ की चोकर के प्रति उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता एवं स्वास्थ्य लाभ होने से इसकी मांग में वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। विश्व स्तर पर गेहूँ की चोकर समावेशित उत्पादों की संख्या 2001 में 52 से बढ़कर 2011 तक 800 हो गई है। तले हुए अनाज वाले खाद्य पदार्थों की अपेक्षा गेहूँ की चोकर समावेशित उत्पादों ने उपभोक्ताओं का अधिक ध्यान आकर्षित किया है। भारतीय बाजार में बेग्रीज, न्यूटी योगी, सर्वोपरि, केलोग्स, बेबी रेड मिल, 24 मन्त्र ऑर्गेनिक एवं रिस्ता इत्यादि कम्पनियों द्वारा प्रसंस्कृत गेहूँ की चोकर आसानी से मिल जाती है। मफिन्स, बिस्कुट, ब्रेड, पैनकेक, नूडल्स, स्नैक्स, बन्स, कुकीज एवं केक आदि की पोषण गुणवत्ता एवं आहार रेशा की मात्रा बढाने के लिए गेहूँ की चोकर एक समृद्ध स्रोत के रूप में जाना जाता है। गेहूँ की चोकर समावेशित पास्ता एक दशक से बाजारों में उपलब्ध है।
चित्र 3 : गेहूँ की चोकर समावेशित उत्पाद (स्रोतः गूगल)
गेहूँ के चोकर में पोषक तत्वों की मात्रा
खाद्य उद्योग में गेहूँ की चोकर का उपयोग पायसीकारकों (पाचन से सम्बंधित प्रक्रिया) के रूप में किया जाता है। संशोधित गेहूँ की चोकर के उपयोग से अंतिम खाद्य उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होती है, जो उत्पादों को कार्यात्मक गुण प्रदान कर सकता है। यह पानी और तेल धारण क्षमता को बढ़ाता है, जिससे खाना पकाने के समय को कम करने में मदद मिलती है। गेहूँ के चोकर में पोषक तत्वों की मात्रा का विस्तृत विवरण तालिका 1 में दिया है।
तालिका 1 : 100 ग्राम गेहूँ का चोकर (शुष्क भार) में उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा
मूल पोषक तत्व |
सूक्ष्म पोषक तत्व |
विटामिन |
|||
कार्बोहाइड्रेट्स |
64.51 ग्राम |
जस्ता |
7.27 मिलीग्राम |
फॉलेट |
79.0 माइक्रोग्राम |
प्रोटीन |
16.0 ग्राम |
लोहा |
10.57 मिलीग्राम |
नियासिन |
13.58 मिलीग्राम |
वसा |
4.30 ग्राम |
ताम्बा |
1.00 मिलीग्राम |
राइबोफ्लेविन |
0.577 मिलीग्राम |
आहार रेशा |
43.0 ग्राम |
पोटाशियम |
1182 मिलीग्राम |
थाइमिन |
0.523 मिलीग्राम |
शर्करा |
0.4 ग्राम |
फॉस्फोरस |
1013 मिलीग्राम |
पेटोथेनिक अम्ल |
2.181 मिलीग्राम |
ऊर्जा |
216 किलो कैलोरी |
मैग्नीशियम |
611 मिलीग्राम |
बीटा कैरोटीन |
6.00 माइक्रोग्राम |
लिग्निन |
5.6 ग्राम |
कैल्शियम |
73 मिलीग्राम |
विटामिन बी 6 |
1.303 मिलीग्राम |
|
|
मैग्नीज |
11.50 मिलीग्राम |
कोलिन |
74.40 मिलीग्राम |
|
|
सेलेनियम |
77.6 एमसीजी |
विटामिन के |
1.90 माइक्रोग्राम |
(स्रोत: न्यूट्रीशन वैल्यू.ओआरजी)
गेहूँ का चोकर केे पोषक तत्वों का विश्लेषण
गेहूँ का चोकर प्रोटीन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, नियासिन, फास्फोरस, जस्ता एवं विटामिन बी का समृद्ध स्रोत होता है। इसमें वसा की मात्रा कम होती है, जबकि यह कोलेस्ट्रॉल, शर्करा एवं सोडियम रहित होता है। इन्हीं कारणों से यह आंत के कार्य को सामान्य बनाए रखने, रक्त शर्करा एवं कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करने में मदद करता है।
खान-पान की आदतों में बदलाव के कारण होने वाली कब्ज में राहत प्रदान करता है। लिग्निन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से कुछ प्रकार के कैंसर जैसे-रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में स्तन कैंसर और पेट का कैंसर को रोकने में मदद मिलती है।
दैनिक आहार में अनुशंसित मात्रा
एक वयस्क वयक्ति को गेहूँ के चोकर की 20-30 ग्राम प्रति दिन सेवन करने के लिए अनुशंसित है। इसकी शुरूआत कम मात्रा से की जानी चाहिए। दिन में एक या दो चम्मच ही पर्याप्त है। चोकर का सेवन करते समय जितना सम्भव हो सके तरल पदार्थ पीने की कोशिश करें।
गेहूँ की चोकर के सेवन से स्वास्थ्य लाभ
- खाद्य विज्ञान एवं पोषण विभाग, मिनेसोटा विश्वविद्यालय की एक समीक्षा रिपोर्ट इंगित करती है कि विकसित देशों में पाए जाने वाले मोटापे की बीमारी को रोकने के लिए अपने दैनिक आहार में कार्यात्मक फाइबर शामिल करना चाहिए। फाइबर से भरपूर गेहूँ की चोकर को सुबह की स्मूदी तथा दही के साथ सेवन करने से शारीरिक वजन को कम करने में मदद मिलती है।
- गेहूँ के चोकर पर किए गए क्लिनिकल परीक्षण से पता चलता है कि उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से कोलोन कैंसर, हृदय रोग एवं मधुमेह जैसे रोगों के जोखिम को कम करने में मददगार है। ऐसा गेहूँ चोकर में अंतर्निहित फाइटोकेमिकल्स, फाइबर एवं खनिज लवणों के कारण सम्भव हो सकता है।
- संवेदनशील आंत की बीमारी (दस्त/कब्ज के साथ पेट में दर्द) के प्रारम्भिक उपचार के लिए दैनिक आहार में उच्च फाइबर युक्त भोजन का सेवन करने से आराम मिलता है। भोजन में गेहूँ की चोकर शामिल करने से फाइबर की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है।
- डायवर्टिकुलर रोग के लक्षण प्रतीत होने पर 45 ग्राम कच्चे असंसाधित गेहूँ के चोकर का सेवन करने से काफी आराम मिलता है।
- महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान गेहूँ की चोकर का सेवन कब्ज को कम करने के साथ-साथ मल निष्कासन की आवृत्ति को बढ़ाता है।
- गेहूँ की चोकर में फाइटोकेमिकल एवं एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसलिए, गेहूँ की चोकर समावेशित अनाज वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हृदय रोगों को रोकने में मदद करता है।
- गेहूँ की चोकर घुलनशील लिपिड यौगिक एवं फाइटोकेमिकल्स जैसे-फाइटेट्स, फाइटोस्टेरॉल, टोकोफेरोल आदि का भी एक समृद्ध स्रोत है। इनमें से फाइटेट्स कोलोन कैंसर की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- फाइबर युक्त सभी प्रकार के फल मधुमेह से पीड़ित व्यक्तियों के लिए उपयुक्त नही होते हैं। लेकिन शरीर में इसकी आपूर्ति के लिए गेहूँ का चोकर एक बेहतरीन माध्यम है।
- चोकर में उपस्थित पोटाशियम रक्त चाप को नियन्त्रित करने में मदद करता है।
- गेहूँ का चोकर मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत है, जो मस्तिक, हृदय, आँख और नर्व को स्वस्थ रखने के साथ-साथ हड्डियों एवं प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती प्रदान करता है। मैग्नीशियम की शरीर के लिए दैनिक जरूरत की पर्याप्त मात्रा की आपूर्ति गेहूँ चोकर से पूरी कर सकते हैं।
- गेहूँ के चोकर में सेलेनियम प्राकृतिक रूप में अच्छी मात्रा में होता है, जो मानव शरीर में एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है। हमारे शरीर को इसकी बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है। शरीर में सेलेनियम की संतुलित मात्रा हार्ट अटैक, कैंसर, एथेरोस्क्लेरोसिस एवं अस्थमा जैसी बिमारियों को रोकने में मदद मिलती है। यह शरीर में उपस्थित टॉक्सिन को बाहर निकालने, प्रतिरोधक क्षमता एवं प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी मददगार है।
घर की रसोई में गेहूँ के चोकर का उपयोग
गेहूँ चोकर का स्वाद मीठा होता है, लेकिन यह देखने में आकर्षक नहीं लगता है। इसको खाने में थोड़ा-थोड़ा उपयोग लाभदायक है, लेकिन थोड़ी सी अधिक मात्रा दस्तावर हो सकती है। मफिन्स, बिस्कुट, ब्रेड, पैनकेक, नूडल्स, स्नैक्स बन्स, वॉफल, कुकीज एवं केक आदि में गेहूँ की चोकर मिलाकर पोषण गुणवत्ता एवं आहार रेशा की मात्रा बढ़ाने का बेहतर विकल्प है।
इसके महीन पाउडर की थोड़ी सी मात्रा के उपयोग से स्मूदीज को और अधिक पौष्टिक बनाया जा सकता है। शोध दर्शाते हैं कि तले हुए अनाज उत्पादों जैसे पूड़ी के आटे में 3 प्रतिशत गेहूँ की चोकर को शामिल करने से पूड़ियाँ तलने में 20 प्रतिशत तेल की बचत होती है।
गेहूँ की चोकर के उपयोग में सावधानियाँ
- गेहूँ चोकर में फाइबर एवं ग्लूटेन की मात्रा अधिक होती है। इसलिए अधिक मात्रा में इसका सेवन पेट दर्द का कारण बन सकता है। जिन लोगों को ग्लूटेन से एलर्जी है, उन्हें चोकर के सेवन करने से बचना चाहिए।
- सीलिएक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को गेहूँ चोकर का सेवन नही करना चाहिए।
निष्कर्ष
गेहूँ की चोकर में अनेक प्रकार के गुणकारी यौगिक होते हैं। जिसके पोषण एवं औषधीय गुणों के कारण चोकर एक कार्यात्मक भोजन है। गेहूँ के चोकर का उपयोग कुपोषण दूर करने तथा बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए किया जा सकता है। विभिन्न खाद्य एवं औषधिक अनुप्रयोगों के लिए गेहूँ की चोकर के उपयोग के पूर्ण संभावित स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए अपनाया जा सकता है।
गेहूँ की चोकर का सेवन कैंसर, हृदय रोग, पार्किंसंस रोग, कोशिका की चोट, कोशिका मृत्यु एवं उम्र बढ़ने को धीमा करने आदि बीमारियों में प्रभावी पाया गया है। अतः गेहूँ की चोकर के सेवन को खान पान की आदतों में समावेशित कर स्वास्थ्य लाभ लिया जा सकता है, साथ ही इस संदर्भ में आम नागरिकों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
Authors:
मंगल सिंह, अनुज कुमार, ओम प्रकाश गुप्ता, अनिल कुमार खिप्पल एवं सत्यवीर सिंह
भाकृअनुप-भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल
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