Azolla: An awesome and amazing Plant
अजोला तेजी से बढ़ने वाली एक प्रकार की जलीय फर्न है, जो पानी की सतह पर तैरती रहती है। धान की फसल में नील हरित काई की तरह अजोला को भी हरी खाद के रूप में उगाया जाता है और कई बार यह खेत में प्राकर्तिक रूप से भी उग जाता है। इस हरी खाद से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और उत्पादन में भी आशातीत बढ़ोत्तरी होती है।
एजोला की सतह पर नील हरित शैवाल सहजैविक के रूप में विध्यमान होता है। इस नील हरित शैवाल को एनाबिना एजोली के नाम से जाना जाता है जो कि वातावरण से नत्रजन के स्थायीकरण के लिए उत्तरदायी रहता है। एजोला शैवाल की वृद्धि के लिए आवश्यक कार्बन स्त्रोत एवं वातावरण प्रदाय करता है ।
इस प्रकार यह अद्वितीय पारस्परिक सहजैविक संबंध अजोला को एक अदभुद पौधे के रूप में विकसित करता है, जिसमें कि उच्च मात्रा में प्रोटीन उपलब्ध होता है। प्राकृतिक रूप से यह उष्ण व गर्म उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। देखने में यह शैवाल से मिलती जुलती है और आमतौर पर उथले पानी में अथवा धान के खेत में पाई जाती है।
पशुओं को अजोला चारा खिलाने के लाभ
अजोला सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार है। इसे खिलाने से वसा व वसा रहित पदार्थ सामान्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध में अधिक पाई जाती है। पशुओं में बांझपन निवारण में उपयोगी है। पशुओं के पेशाब में खून की समस्या फॉस्फोरस की कमी से होती है।
पशुओं को अजोला खिलाने से यह कमी दूर हो जाती है। अजोला से पशुओं में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहे की आवश्यकता की पूर्ति होती है जिससे पशुओं का शारिरिक विकास अच्छा है। अजोला में प्रोटीन आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा-कैरोटीन) एवं खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फास्फ़ोरस, पोटेशियम, आयरन, कापर, मैगनेशियम आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।
इसमें शुष्क मात्रा के आधार पर 40-60 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज एवं 7-10 प्रतिशत एमीनो अम्ल, जैव सक्रिय पदार्थ एवं पोलिमर्स आदि पाये जाते है। इसमें काबर्¨हाइड्रेट एवं वसा की मात्रा अत्यंत कम होती है। अतः इसकी संरचना इसे अत्यंत पौष्टिक एवं असरकारक आदर्श पशु आहार बनाती है। यह गाय, भैंस, भेड़, बकरियों , मुर्गियों आदि के लिए एक आदर्श चारा सिद्ध हो रहा है।
दुधारू पशुओं पर किए गए प्रयोगो से साबित होता है कि जब पशुओं को उनके दैनिक आहार के साथ 1.5 से 2 किग्रा. अजोला प्रतिदिन दिया जाता है तो दुग्ध उत्पादन में 15-20 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है।
इसके साथ इसे खाने वाली गाय-भैसों की दूध की गुणवत्ता भी पहले से बेहतर हो जाती है। प्रदेश में मुर्गीपालन व्यवसाय भी बहुतायत में प्रचलित है। यह बेहद सुपाच्य होता है और यह मुर्गियों का भी पसंदीदा आहार है।
कुक्कुट आहार के रूप में अजोला का प्रयोग करने पर ब्रायलर पक्षियों के भार में वृद्धि तथा अण्डा उत्पादन में भी वृद्धि पाई जाती है। यह मुर्गीपालन करने वाले व्यवसाइयों के लिए बेहद लाभकारी चारा सिद्ध हो रहा है। यही नहीं अजोला को भेड़-बकरियों, सूकरों एवं खरगोश, बतखों के आहार के रूप में भी बखूबी इस्तेमाल किया जा सकता है।
सारणीः अन्य चारा फसलों से अजोला का तुलनात्मक अध्ययन
चारा फसले एवं अजोला |
वार्षिक उत्पादन (t/ha.) |
शुष्क भार (%) |
प्रोटीन की मात्रा (%) |
संकर नैपियर | 250 | 50 | 4 |
रिजका (लूर्सन) | 80 | 16 | 3. 2 |
लोबिया | 35 | 7 | 1. 4 |
ज्वार | 40 | 32 | 0. 6 |
अजोला | 730 | 56 | 20 |
कैसे करें अजोला का उत्पादन
- अजोला का उत्पादन बहुत ही आसान है। सबसे पहले किसी भी छायादार स्थान पर 2 मीटर लंबा, 2 मीटर चैड़ा तथा 30 सेमी. गहरा गड्ढा खोदा जाता है।
- पानी के रिसाव को रोकने के लिए इस गड्ढे को प्लास्टिक शीट से ढंक देते है। जहां तक संभव हो पराबैंगनी किरण रोधी प्लास्टिक सीट का प्रयोग करना चाहिए। प्लास्टिक सीट सिलपोलीन एक पौलीथीन तारपोलीन है जो कि प्रकाश की पराबैगनी किरणों के लिए प्रतिरोधी क्षमता रखती है।
- सीमेंट की टंकी में भी एजोला उगाया जा सकता है। सीमेंट की टंकी में प्लास्टिक सीट विछाने की आवश्यकता नहीं हैं।
- अब गड्ढे में 10-15 किग्रा. मिट्टी फैलाना है। इसके अलावा 2 किग्रा. गोबर एवं 30 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट 10 लीटर पानी में मिलाकर गड्ढे में डाल देना है।
- पानी का स्तर 10-12 सेमी. तक होना चाहिए। अब 500-1000 ग्राम अजोला कल्चर गड्ढे के पानी में डाल देते हैं।
- पहली बार एजोला का कल्चर किसी प्रतिष्ठित संस्थान मसलन प्रदेश में स्थित कृषि विश्वविद्यालयो के मृदा सूक्ष्म जीव विज्ञानं बिभाग से क्रय करना चाहिए। अजोला बहुत तेजी से बढ़ता है और 10-15 दिन के अंदर पूरे गड्ढे को ढंक लेता है।
- इसके बाद से 1000-1500 ग्राम एजोला प्रतिदिन छलनी या बांस की टोकरी से पानी के ऊपर से बाहर निकाला जा सकता है।
- प्रत्येक सप्ताह एक बार 20 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 1 किलो गोबर गड्ढे में डालने से एजोला तेजी से विकसित होता है।
- साफ पानी से धो लेने के बाद5 से 2 किग्रा. अजोला नियमित आहार के साथ पशुओं को खिलाया जा सकता है।
Authors
प्रविण पानीग्राही1 एवं प्रिती सिंह2
अनुवांशिकी अवं पादप प्रजनन विभाग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)
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