Processing of Chironji Seeds (charoli seeds ) and evaluation of Chironji Decortication Machine developed by IGKV
चिरौंजी (Buchnania lanzan) का पेड एनाकार्डिशी कुल के अंतर्गत आता है| इसे चारोली के नाम से भी जाना जाता है| इसका उपयोग भारतीय पकवानों में किया जाता है तथा यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, फाईबर, विटामिन और सुक्ष्म पोषक तत्वों की समृध स्रोत है| चारोली का वृक्ष अधिकतर सूखे पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है| दक्षिण भारत, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश आदि स्थानों पर यह वृक्ष विशेष रूप से पाए जाते है|
छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर कांकेर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा, महासमुंद, सरगुजा आदि क्षेत्रो के वनों में चिरौंजी के पेड़ प्राकृतिक रूप से विद्यमान है| बस्तर संभाग के जंगल चिरौंजी का सबसे बड़ा क्षेत्र है| बस्तर वनक्षेत्र के आदिवासी चिरौंजी के महत्व व मूल्य से अनजान है वे चिरौंजी के फल को खाकर इसके कीमती गुठली को यूं ही फेंक देते है या नगरों कस्बों के चतुर व्यापारियो के हाथों औंने पौंने दामो में गुठली बेंच देते है| राज्य सरकार इस वनक्षेत्र में प्राकृतिक रूप से सदियों से लगे पेड़ो द्वारा प्राप्त हो रहे चिरौंजी के गुठलियों के संग्रहण एवम विपणन पर ध्यान देकर वनक्षेत्र में बसे आदिवासियों को उचित कीमत दिला सकती है|
उचित प्रसंस्करण की विधि ज्ञात ना होने के कारण आज भी क्षेत्र के आदिवासी चिरौंजी गुठली का प्रसंस्करण हाथों से चलित पारम्परिक विधि से करते है, जो बहुत समय लेने वाला और श्रम व्यापक है| इस विधि से एक व्यक्ति एक दिन (8 घंटे) में सिर्फ 20-25 किलोग्राम चिरौंजी गुठली से गिरी निकाल पाता है| सख्त बीज आवरण के कारण इसकी छिलाई कठिन है| अपने छोटे आकार के कारण छिलाई के समय में चिरौंजी दानों को नुकसान पहुचने व ख़राब होने की संभावनाये बनी रहती है, जिससे इसके मूल्य में गिरावट हो जाती है|
इस समस्या को देखते हुए इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा चिरौंजी प्रसंस्करण हेतु चिरौंजी गुठली छिलाई मशीन का निर्माण किया गया है| इससे प्रति दिन में 2-3 क्विंटल गुठलियों से चिरौंजी के दाने निकाले जा सकते है| उपरोक्त विषय वस्तु को ध्यान में रखकर वर्तमान खोज इस क्षेत्र में किया गया है|
एक किलोग्राम गुठली के प्रसंस्करण से 150-200 ग्राम तक चिरौंजी के दाने प्राप्त होता है| यह चिरौंजी गुठली के गुणवत्ता पर निर्भर करता है| अच्छी गुणवत्ता की चिरौंजी गुठली की पहचान करने के लिए 100 ग्राम चिरौंजी गुठली को यदि पानी में डाला जाये तो केवल 10% गुठलीयां ही पानी में तैंरना चाहिए| अच्छी गुणवत्ता की गुठली की कीमत 80-100 रुपये प्रति कि.ग्राम एवं चिरौंजी के दानों की कीमत 1000-1200 रुपये प्रति किलोग्राम है|
चिरौंजी गुठली में नमी की मात्रा (74.3%), प्रोटीन (2.2%), वसा (0.8%), फाइबर (1.5%), कार्बोहाइड्रेट (19.5%), कैल्सियम, फास्फोरस एवम उष्मीय मान प्रति 100 ग्राम में 78 मिलीग्राम, 28 मिलीग्राम और 49 किलोकैलोरी तथा चिरौंजी दाने में नमी की मात्रा (3%), प्रोटीन (19%), वसा (59.1%), फाइबर (3%), कार्बोहाइड्रेट (12.1%), खनिज पदार्थ (3%), कैल्सियम फास्फोरस एवम उष्मीय मान प्रति 100 ग्राम में 279 मिलीग्राम, 528 मिलीग्राम और 650 किलो कैलोरी| (गोपालन 1982)
चिरौंजी प्रसंस्करण की विधियाँ
1. चिरौंजी गुठली से छिलका अलग करने की पारम्परिक विधि:-
चिरौंजी प्रसंस्करण की मुख्यत: दो पारम्परिक विधियाँ है:
अ.) इस विधि में चिरौंजी गुठली को दो उंगलियों के बीच में रखकर हथौड़ा या पत्थर की मद्द से तोड़ा जाता है (चित्र:1ब), जिससे गुठली दो भागों में टूट जाता है और चिरौंजी के दाने बाहर आ जाते है| चिरौंजी के छिलका और दानों के मिश्रण को विभाजक की सहायता से अलग किया जाता है| यह विधि बहुत ही थकाऊ और बोझिल है तथा यह जोखिम वाली विधि है, क्योकि इसमें उंगलियों को चोट लगने की संभवना बनी रहती है| इसके अलावा, इस विधि से चिरौंजी दाने निकलने की क्षमता बहुत कम है, क्योकि इस विधि में व्यक्ति निरंतर काम नही कर सकता| औसतन एक व्यक्ति एक दिन में 1-1.5 किलोग्राम चिरौंजी दाने ही निकाल सकता है|
ब.) अन्य पारम्परिक विधि (चित्र:1स), जिसमे घरेलू पत्थरों से बनी चक्की का उपयोग चिरौंजी गुठली से दाने निकालने के लिए किया जाता है| यह पत्थर की चक्की या छिलका निकलने की मशीन 70-80 मिलीमीटर की मोटाई व 450-500 मिलीमीटर की गोलाई वाले दो पत्थरो से बना होता है, जिसकी नीचे का पत्थर स्थिर और ऊंपर का पत्थर घूमता है| चिरौंजी गुठली को चक्की के बीच में से डाला जाता है और ऊंपर की पत्थर को लकड़ी के हैंडल की सहायता से घुमाया जाता है| चक्की से प्राप्त चिरौंजी के दानें और छिलकें के मिश्रण को विभाजक को सहायता से अलग किया जाता है| इस विधि से चिरौंजी दाने निकालने की क्षमता ऊपर कि विधि की तुलना में अधिक है, लेकिन इस विधि में चिरौंजी के दाने अधिक टूटते है| इस विधि में लगभग 20-25% टूटे हुए दाने प्राप्त होते है|
(ब) (स)
चित्र 1: चिरौंजी प्रसंस्करण की पारम्परिक विधियाँ
2. चिरौंजी गुठली से छिलका अलग करने की उन्नत विधि:-
इस विधि में चिरौंजी गुठली से छिलका अलग करने के लिए बिजली से चलित चिरौंजी गुठली छिलाई मशीन का उपयोग किया जाता है| इस मशीन की बनावट इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि प्रसंकरण व खाद्य अभियांत्रिकीय संकाय के द्वारा किया गया| यह मशीन विभिन्न इकाई जैसे मुख्य फ्रेम, छिलाई इकाई, साफ सफाई इकाई तथा बिजली इकाई से मिलकर बना है| इस मशीन की कुल लंबाई, चौड़ाई व ऊचाई क्रमश: 1800 मिमी, 630 मिमी व 1560 मिमी है|
यह मशीन 1 फेस व 0.746 किलोवाट शक्ति के इंजन से कार्य करता है| जिसकी प्रति मिनट में 1440 चक्कर है| चिरौंजी छिलाई मशीन (चित्र 3) जो की बिजली से चालित होता है| इस मशीन से चिरौंजी छिलका, सही व टूटे चिरौंजी के दाने अलग अलग प्राप्त होते है, जिससे समय की बचत एवम मजदूरी भी कम लगती है| मशीन की कुल लागत 65 हजार रुपये है|
चिरौंजी गुठली छिलाई मशीन का परिक्षण के बाद प्राप्त परिणाम:
इस मशीन का परिक्षण करने के लिए चिरौंजी गुठली को उपचार कर (24 घंटे तक भींगना, 20 मिनट तक उबलना व 30 मिनट तक सुखाना), छिलाई पत्थर की गति (197, 246 व 286 चक्कर प्रति मिनट) तथा दोनों पत्थरों के बीच की निकासी (6, 7 व 8 मिमी) का उपयोग किया गया| अध्ययन से यह पता चला कि 8.57% नमी (24 घंटे भींगे) की मात्रा वाले चिरौंजी गुठली में सबसे अधिक छिलाई दक्षता (93.90%) तथा क्षमता (30.82 किलो प्रति घंटा) पाया गया|
कुल चिरौंजी दानों की अधिकतम वसूली (20.70%) भी 24 घंटे भींगे चिरौंजी गुठली, पत्थर की गति 286 चक्कर प्रति मिनट व 6 मिमी निकासी में प्राप्त हुआ|
जबकि चिरौंजी के सही साबुत दानों की अधिकतम वसूली (16%), 197 चक्कर प्रति मिनट की गति व 7 मिमी पत्थर निकासी तथा न्यूनतम टूटे हुए चिरौंजी दाने (2%) इसी पत्थर की गति पर 8 मिमी निकासी में प्राप्त हुआ|
चित्र 2 (अ) चिरौंजी छिलका चित्र 2 (ब) सही चिरौंजी दाने
चित्र 2 (स) टूटे चिरौंजी दाने
चित्र 4: चिरौंजी प्रसंस्करण की उन्नत विधि चित्र 3: चिरौंजी गुठली छिलाई मशीन
Authors:
प्रवीण कुमार निषाद1, आर के नायक2 एवम एस पटेल3
1वरिष्ठ अनुसन्धान अध्येता, 2सहायक प्रध्यापक, 3विभागाध्यक्ष
2कृषि मशीनरी एवम शक्ति अभियांत्रिकी, 1&3कृषि प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी
स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकीय व तकनीकी एवं शोध प्रक्षेत्र,
इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़, 492012
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