कुक्कुट पालन में रानीखेत रोग का प्रभाव, उपचार और प्रबन्धन

कुक्कुट पालन में रानीखेत रोग का प्रभाव, उपचार और प्रबन्धन

Influence, treatment and management of Ranikhet disease in poultry farming

रानीखेत एक अत्यधिक घातक और एक संक्रामक रोग है, यह रोग  कुक्कुट-पालन की सबसे गंभीर विषाणु बीमारियों में से एक है। इस रोग के विषाणु ‘पैरामाइक्सो’ को सबसे पहले वैज्ञानिकों ने वर्ष १६३९-४० में उत्तराखंड (भारत) के ‘रानीखेत’ शहर में चिन्हित किया था। रानीखेत रोग बहुत से पक्षियों जैसे मुर्गी, टर्की, बत्तख, कोयल, तीतर, कबूतर, कौवे, गिनी, आदि में देखने को मिलता है, लेकिन यह रोग मुर्गियों को प्रमुख रूप से प्रभावित करता है।

मुर्गियों में रानीखेत रोग अक्सर किसी भी उम्र तक हो सकता है, परन्तु इस रोग का प्रकोप प्रथम से तीसरे सप्ताह ज्यादा देखने को मिलता है। रानीखेत रोग का सकंमण लगभग दुनिया के सभी देशों में देखनें को मिलता है।

भारत में रानीखेत रोग के नमूने राज्यों के सभी भागो में देखने को मिलते है, लेकिन मुख्य रूपसे दक्षिण और पश्चिम भारत जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र आदि में यह रोग कई बार देखने को मिला है। इस रोग को हम न्यूकैसल रोग (Newcastle d।sease) नाम से भीजानते है। इस रोग से मुर्गी पालकों को बहुत ही हानि होती है।

रानीखेत रोग का कारक एक नकारात्मक और एकल असहाय आर.एन.ए. विषाणु (RNA V।rus) है और इस रोग का मुख्य कारण Av।an paramyxov।rus type-1(APMV-l) विषाणु है। रानीखेत रोग का संचारण पक्षियों में अन्य संक्रमित पक्षियों के मल, दूषित वायु और उनके दूषित पदार्थ (दाना, पानी, उपकरण, दूषित वैक्सीन, कपडे आदि) के स्पर्श से फैलता है।

इस रोग के लक्षण दिखाई देने के कुछ दिनों बाद पक्षियों की मौत हो जाती है। इस रोग से ३० से ४० प्रतिशत तक मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है। अगर यह रोग उच्च स्तर पर आता है, तो १०० प्रतिशत तक मुर्गियों की मृत्यु हो जाती है ।

इस रोग की ऊष्मायन अवधि (।ncubat।on Per।od) मुर्गियों में २ से ५ दिन तक होता है।  लेकिन कुछ पक्षियों की जातियों में ऊष्मायन अवधि २५ दिन तक देखी गई है। रानीखेत रोग कुक्कुट-पालन को विभिन्न प्रकार से आर्थिक नुकसान पहुँचाता है जैसे मुर्गियों की मृत्यु-दर तेज होती है, शरीर भार में कमी होती है, अंडा उत्पादन में कमी होता है, प्रजनन सम्बधी हानि होती है और उपचार सम्बधित लागत आदि।

इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कुक्कुट-पालन करने वाले किसान भाइयों को रानीखेत रोग का समय पर निम्न निदान और उपचार करने चाहिए।

रोग के लक्षण:

  • मुर्गियों का दिमाक (ब्रेन) प्रभावित होते ही शरीर का संतुलन लड़खड़ता है, गर्दन लुढ़कने लगती है।
  • छींके और खाँसी आना शुरु हो जाता है।
  • साँस के नली के प्रभावित होने से साँस लेने में तकलीफ, मुर्गियाँ मुँह खोलकर साँस लेती है।
  • कभी-कभी शरीर के किसी हिस्से को लकवा मार जाता है।
  • प्रभावित मुर्गियों का आकाश की ओर देखना।
  • पाचन तंत्र प्रभावित होने पर डायरिया की स्थिति बनती है और मुर्गियाँ पतला और हरे रंग का मल करने लगती है।
  • डायरिया के चलते लीवर भी ख़राब हो जाता है।  

Parasites affected chicken गर्दन टूटना

 चित्र: १ लकवा से प्रभावित मुर्गिंयाँ           चित्र: २ गर्दन टूटना

रानीखेत रोग से आँखों से आँसू आना रानीखेत रोग : मुर्गी का आकाश की ओर देखना

 चित्र: ३ आँखों से आँसू आना         चित्र: ४ मुर्गी का आकाश की ओर देखना

रानीखेत रोग का निदान:

इस रोग के निदान के लिए निम्न बातों का उपयोग किया जा सकता है ।

सर्वप्रथम किसान भाइयों को कुक्कुट-पालन शुरू करने से पहले अच्छी तरह से मुर्गियों के रहन-सहन, खाने-पीने, आदि का अध्धयन कर लेना चाहिए। मुर्गी-घर (हाउस) की और घर के आस-पास की अच्छी तरह से सफाई कर लेनी चाहिए।

 कुक्कुट-पालन निदान प्रयोगशाला में एलिशा (El।sa) और पी सी आर (PCR)  विधि से रक्त की जांच कर के रोग से प्रभावित मुर्गियों को मुर्गियों के समूह से अलग कर देना चाहिए ।

रानीखेत रोग का उपचार:

निम्नलिखित दवाईयों (वेक्सिन)  के उपयोग से रानीखेत रोग का उपचार और रोकथाम की जा सकती है।

  1. इस घातक रोग से बचाव के लिए किसानों और मुर्गी पालकों के पास सिर्फ वैक्सीनेशन प्रोग्राम यानी टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है।
  2. यह टीकाकरण स्वस्थ पक्षियों मे सुबह के समय करना चाहिए और उन्हें रोग से प्रभावित पक्षियों से अलग कर देना चाहिए।
  3. सबसे पहले हमें ‘फ-वन लाइव’ (F-1 L।ve) या ‘लासोता लाइव’ (Lasota) स्ट्रेन वैक्सीन की खुराक (Dose) ५ से ७ दिन पर देनी चाहिए, और दूसरी आर-बी स्ट्रेन (RB star।n) की बोअस्टर डोस ८ से ९ हफ्ते और १६-२० हफ्ते की आयु पर वैक्सीनेशन करना चाहिए।
  4. रोग उभरने के बाद यदि तुरंत ‘रानीखेत एफ-वन’ नामक वैक्सीन दी जाए तो २४ से ४८ घंटे में पक्षी की हालत सुधरने लगती है।
  5. वैक्सीन की खुराक हमें पक्षियों की आँख और नाक से देनी चीहिए, अगर मुर्गी-फार्म बड़े भाग में किया गया है तो वैक्सीन को पानी के साथ मिलाकर भी दे सकते है।

रोकथाम और नियंत्रण:

वर्तमान समय मे इस रोग को जड़ से ख़त्म करने वाली कोई भी दवा विकसित नही हो सकी है, परन्तु कुछ दवाईयों (वेक्सिन) के प्रयोग से इस रोग को बड़े क्षेत्र में फैलने से रोका जा सकता है और इस रोग से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकता है।

  • कुक्कुट-पालन शुरु करने से पहले क्षेत्र की जलवायु आदि का अध्धयन अच्छी तरह से कर लेना चाहिए और यह भी मालूम कर लेना चाहिए की कभी भूतकाल में यह रोग ज्यादा प्रभावी तो नही रहा है।
  • मुर्गी-घर के दरवाजे के सामने पैर धोने (Foot-Bath) के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए।
  • मुर्गी-पालक कुछ सफाई सम्बन्धी कार्य करने से इस रोग को काफी हद तक’ रोक सकते है, जैसे मुर्गी घर की सफाई, इन्क्यूबेटर की सफाई, बर्तेनो की सफाई आदि।
  • रोगित पक्षियों पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और उनका उचित टीकाकरण करना चाहिए।
  • रोग से प्रभावित पक्षियों को स्वस्थ पक्षियों अलग कर देना चाहिए।
  • बाहरी लोगो (V।s।tor) का फार्म के अंदर प्रवेश वर्जित होना चाहिए।
  • दो मुर्गी-फार्मो के बीच की दुरी कम से कम १००-१५० मीटर रखनी चाहिए।
  • रोग से मरे हुए पक्षियों को गड्ढे में दबा देना या जला देना चाहिए। 

Authors:

शालू कुमार* और पूनम नाईक

शोध छात्र

पशुपालन और दुग्ध विज्ञान विभाग

डॉ. बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ, दापोली, रत्नागिरी, महाराष्ट्र- ४१५७१२.

 ema।l: skpund।r1853@red।ffma।l.com

Related Posts

कैटफिश में भीड़भाड़ के तनाव का प्रभाव
Effect of crowding stress in catfishes उच्च भंडारण घनत्व से एक्वाकल्चर...
Read more
सामान्य मछली रोगों के उपचार और नियंत्रण...
Overview of treatment and control of common fish diseases मछलियाँ न...
Read more
भारतीय बकरी पालन में आईवीएफ: गोत्ता जीवन...
IVF in Indian Goat Farming: The Scientific Journey of Goat...
Read more
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों द्वारा सजावटी...
Advancement of Ornamental Aquaculture by Micro, Small and Medium Entreprises Most...
Read more
जलीय कृषि उत्पादों में माइक्रोप्लास्टिक का मानव...
Effects of microplastics in aquaculture products on Human health हाल...
Read more
water entrepreneurshipwater entrepreneurship
जल उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए...
Government schemes and incentives to promote water entrepreneurship Water entrepreneurship or...
Read more
rjwhiteclubs@gmail.com
rjwhiteclubs@gmail.com