Seed production technology of Anjangrass grass (Cenchrusciliaris L.)
अंजन घास, से. सिलिएरिस पोयेसी परिवार कि अत्यधिक पौष्टिक घास है, जिसे गर्म, शुष्क क्षेत्रों में चारागाह के लिए उत्कृष्ट माना जाता है। सूखे की अवधि के दौरान, यह घास कटिबन्धीय क्षेत्रों में स्वादिष्ट चारेे के उत्पादन एवं अनियमित चराई के लिए मूल्यवान है।
अंजन घास की कुछ प्रजातियों की ऊपज बारीश के समय में भी इसे एक अच्छे चारे के रूप में प्रस्तुत करती है । यह माना जा रहा है की अंजन की हरी घास या साइलेज मवेशियों में दूध की मात्रा तो बढाती ही है साथ ही दूध की गुणवत्ता एवं चमक भी बढाती है ।
से. सिलिएरिस के लेक्टोगॉग होने के प्रमाण मिलते है जो की मवेशियों में दूध निकलने की क्षमता को बढ़ाता है । अंजन घास कुछ प्रजातियां गुर्दे के दर्द, घावों आदि में लोक उपचार के रूप में विश्वविख्यात है (ड्यूक एंड वेन, 1981)।
अंजन घास की प्रति 100 ग्राम ताज़ी घास में, सूखे वजन के आधार पर, 11.0 ग्राम प्रोटीन, 2.6 ग्राम वसा, 73.2 ग्राम कुल कार्बोहाइड्रेट, 31.9 ग्राम फाइबर, और 13.2 ग्राम राख (गोहल, 1981) शामिल हैं एवं प्रति 100 ग्राम भूसे में सूखे वजन के आधार पर, 7.4 ग्राम प्रोटीन, 1.7 ग्राम वसा, 79.2 ग्राम कुल कार्बोहाइड्रेट, 35.2 ग्राम फाइबर और 11.7 ग्राम राख (गोहल, 1981) शामिल हैं।
विवरण
इसे बंच घास या रहिजोमेटस बारामाही घास भी कहते है क्यों की यहभूतल पर चटाई या टसक जैसी संरचना बनाती है। कल्म सीधी या धरती पे झुकी होती है।
पौधे की लम्बाई प्रायः 15-25 सेमी होती है, जिसके ऊपर विकट क्राउन होता है । सीथ अरोमिल एवं लिग्यूल 0.5-1.3 सेमी लम्बी होती है। पत्तियों का रंग हरा या नीला-हरा होता है जो की 2.8–30 सेमी तक लम्बी एवं 2.2–8.5 सेमी तक चौड़ी हो सकती है ।
इन्फ्लोरेंस सघन, बेलनाकार एवं 2–12 सेमी तक लम्बा तथा 1–2.6 सेमी चौड़ा एवं बैगनी रंग का होता है जिसे स्पाइक कहते है। रचिस फ्लेक्सिबल, स्केब्रस जबकि इंटर्नोड्स 0.8-2 मिमी लंबा (आमतौर पर लगभग 1 मिमी) होता है । कैरिओप्सिस सेमी लंबा एवं सेमी चौड़ा होता है जिसमे सेमी लम्बे एन्थर होते है । जड़ें घनी और लंबी होती है (रीड, 1976)।
परिस्थितिकी
बफल घास,250 मिमी वार्षिक वर्षा, वार्षिक तापमान -12.5 से 27.8 डिग्री सेल्सियस एवं पीएच5.5–8.2 (ड्यूक, 1978, 1979)के लिए सहनशील पायी जाती है। बफल घास समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई तक, शुष्क रेतीले क्षेत्रों में, प्रतिवर्ष 250-750 मिमी वर्षा के साथ एवं सीमांत उर्वरता की उथली मिट्टी पर भी अच्छे से पनपती है। इस तरह की विशेषताएं इसकी उत्पादन सीमा का विस्तार करती हैं और चराई की दृश्टिकोण से इसका मूल्यवर्धन करती है।
मृदा प्रकार एवं तैयारी
सूखी और हल्की भूरी रेतीली मिट्टी इसके विकास के लिए अच्छी होती है । रेतीले मिट्टी की एक बार जुताई और एक लेवलिंग करके अच्छा बीजबेड बनाया जाना चाहिए।
बुवाई का समय
बीज व्यापक रूप से हवा से और जानवरों के फर से चिपककर फैलता है। बफलघास को पूरे वर्ष में स्थापित किया जा सकता है, हालांकि इसकी स्थापना की संभावना गीले मौसम की शुरुआत में बेहतर होती है
बीज दर
सामान्य बुवाई की दर 3-12 किग्रा / हेक्टेयर है; पंक्तियों में ड्रिलिंग के लिए 6-8 किग्रा / हेक्टेयर और प्रसारण के लिए 12 किग्रा / हेक्टेयर है ।अधिकांश बीज 24 घंटे के भीतर अंकुरित हो जाते हैं। भारत में बफलघास को टफट स्प्लिट्स या राइज़ोम से वानस्पतिक रूप से प्रचारित किया जाता है।
बीज उपचार
हल्केहवा से उड़ने वाले बीजको ड्रिल या हाथ से बोना मुश्किल होते हैं। बीजों को गुटिका करण (पेलेटिंग) कर बोना बेहतर होता है। बेहतर अंकुरण के लिए बड़े बीजों का उपयोग करें, और 1-2 सेमी गहरा बोएं।
अनुशंसित खुराक
इसके उच्च उत्पादन के लिए 8-10 टन खाद, 20 किलोग्राम फॉस्फोरस खेत की तैयारी के दौरान मिश्रित करना चाहिए और बुवाई के 30-40 दिनों के बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन/ हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए ।
खरपतवार प्रबंधन
प्रथम वर्ष में बीज उभरने के बाद एक या दो बार निराई गुड़ाई आवश्यक है । महत्वपूर्ण बीमारी और इसका नियंत्रणः स्मट प्रमुख रोग है और इसे रिडोमिल 1000 पीपीएम छिड़ककर नियंत्रित किया जा सकता है।
कीट प्रबंधन
घास होपर्स और लीफ होपर्स प्रमुख कीट है जो की 2% नीम बीज एक्सट्रेक्ट के स्प्रे से नियंत्रित किये जा सकते है ।
कटाई का समय
स्थापना के बाद फसल के10-15 सेमी की ऊंचाई पर आने के बाद एक कटाई की जानी चाहिए, लेकिन दूसरी वर्ष से बारिश के मात्रा के हिसाब से 2-3 बार कटाई की जा सकती है। प्रत्येक कटाई प्रत्येक वर्ष 10-20 टन/हेक्टेयर हरा चारा, 5- 6 टन/हेक्टेयर सूखा चारा और 500 Kg /हेक्टेयर बीज की औसत उपज देती है।
प्रक्षेत्र मानक
अलगाव कि दूरी ( मी०) | निरीक्षण का समय | |||||||||
V | NV | NS | OT | W/D/I | BF | |||||
F | C | F | C | F | C | F | C | F | C | At FS |
20 | 10 | 20 | 20 | 200 | 100 | 0.1 | 1.0 | - | - | At Maturity |
बीज मानक
कारक | प्रत्यैक वर्ग के लिए मानक | |
Foundation | Certified | |
शुद्ध बीज (न्यून्तम) | 80.0% | 80.0% |
निष्क्रियपदार्थ (अधिकतम) | 20.0% | 20.0% |
अन्य फसल के बीज(अधिकतम) | 20/kg | 40/kg |
खरपतवार के बीज(अधिकतम) | 20/kg | 40/kg |
अंकुरण (न्यून्तम) | 30% | 30% |
नमी (अधिकतम) | 10.0% | 10.0% |
वाष्प-प्रूफ कंटेनरों के लिए(अधिकतम) | 8.0% | 8.0% |
महत्वपूर्ण किस्मे
क्र. संख्या | किस्म | संस्थान | रिलीज़ वर्ष | उपज ( चारा)(टन/हे.) |
1 | मरवाणअऩजन(काजरी75) | CAZRI, Jodhpur | 1985 | 9–10 t/ha |
2 | बुन्देल अऩजन-1 | IGFRI, Jhansi. | 1989 | 35–40 t/ha |
3 | सीओ-1 | TNAU, Coimbatore | 1991 | 55 t/ha |
4 | बुन्देल अऩजन-3 (IGFRI- 727): | IGFRI, Jhansi | 2006 | NA |
Authors
अर्चना सन्याल, अंकिता त्रिवेदी, एवं रीना रानी