धान Tag

पूर्वी भारत के असि‍ंचि‍त क्षेत्रों में सूखा प्रवृत्त ईकोसि‍स्‍टम के लिए चावल की किस्में। Rice (Oryza sativa L.) , the staple food of more than three billion people in the world, is cultivated under diverse ecosystems ranging from irrigated to rainfed upland to rainfed lowland to deep water. In India, the total area under rainfed lowland and upland rice is 14.4 and 6.3 million ha, respectively. The frequent occurrence of abiotic stresses such as drought has been identified as the key to the low productivity of rice in rainfed ecosystems, particularly in eastern region of India. The eastern region comprises of Bihar, Eastern Uttar Pradesh, Odisha, West Bengal Jharkhand, Chhattisgarh and plains of...

Method of growing healthy and weed free saplings  स्वस्थ एवं खरपतवार रहित नवपौध प्राप्त करने के लिये एक नई विधि जिसमें पुरानी बोरियों को इस्तेमाल किया गया, में कम मजदूरों की संख्या, खरपतवार की समस्या का हल तथा मौजूदा पद्धित द्वारा तैयार की गई नवपौध से कम खर्च वाला पाया गया । इस पद्धित से प्राप्त नवपौध को आसानी से एस. आर. आई जिसमें १२-१४ दिन की नवपौध का इस्तेमाल होता है तथा मौजूदा पौध रोपण जिसमें २०-२५ दिन की नवपौध के लिये उपयुक्त पाया गया है । नवपौध के लिये खेत व क्यारी की तैयारी: मई माह में गेहूं कटाई के बाद जमीन की सिंचाई के बाद खेत में खड़े पानी में...

Weed management in rice crop  देश की बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ खाद्यानों की मांग को पूरा करना एक गम्भीर चुनौती बनी हुई है । धान हमारे देश की प्रमुख खाद्यान फ़सल है । इसकी खेती विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में लगभग 4 करोड़ 22 लाख है0 क्षेत्र में की जाती है आजकल धान का उत्पादन लगभग 9 करोड़ टन तक पहुंच गया है । राष्ट्रीय स्तर पर धान कीऔसत पैदावार 20 क्विंटल प्रति हैक्‍टेयर है। जो कि इसकी क्षमता से काफ़ी कम है, इसके प्रमुख कारण है -  कीट एवं ब्याधियां,  बीज की गुणवत्ता,  गलत शस्य क्रियाएं,  तथा खरपतवार।धान की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिये सुधरी खेती की सभी प्रायोगिक विधियों को अपनाना आवश्यक...

4 Important diseases of Paddy crop 1. धान का भूरी चित्ती रोग/ पत्र लांछन (Brown Spot) धान का यह रोग देश के लगभग सभी हिस्सों मे फैलाा हुआ है, खासकर पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु इत्यादि। भारत मे इस रोग पर पहली बार रिर्पोट चेन्नई के सुन्दरारमण (1919) द्वारा बनाई गई थी। उत्तर बिहार का यह प्रमुख रोग है। यह एक बीजजनित रोग है। यह रोग हेल्मिन्थो स्पोरियम औराइजी द्वारा होता है। इस रोग मे धान की फसल को बिचड़ा से लेकर दानों तक को नुकसान पहुँचाता है। इस रोग के कारण पत्तियों पर गोलाकार भूरे रंग के धब्बें बन जाते है। यह रोग फफॅूंद जनित है। पौधों की बढ़वार कम...

कश्मीर घाटी में चावल गहनता (एसआरआई) प्रणाली के कार्यान्वयन की गुंजाइश व उपयोगिता “The system of rice intensification (SRI)" is a method of rice cultivation that involves efficient utilization of natural resources in conjunction with judicious use of external inputs to produce optimum rice yield.  Although SRI is best explained operationally in terms of making certain changes in conventional rice-growing practices, it is not best defined in terms of practices. SRI is a strategy of irrigated rice production, adapted to local conditions, that alters plant, soil, water and nutrient management practices with the purpose of (a) inducing larger and better-functioning root systems, and (b) more abundant, diverse and active communities of soil...

धान की पौध तैयार करनें के 4 उन्‍नत तरीके Rice which is to be transplanted into lowland puddled soil must first be nursed on seedbeds. The main reason for nursing rice is simple: to give the seedlings a substantial head start on weeds. Four types of nurseries are commonly used: The wet bed nursery, The dry bed nursery, The “dapog”. And the SRI system . Each type has advantages and disadvantages, and you will probably end up using different nursing methods depending on the situation. Always keep in mind that it is really very easy to raise healthy seedlings if you are prepared to take enough time to do the job properly. Success in raising...

भारत में सि‍चि‍त क्षेत्रों के लि‍ए 30 अधि‍क आय वालेे फसल चक्र  भारत के सि‍चि‍ंत क्षेत्रों मे द्वीफसलीय , त्रि‍फसलीय और चर्तुफसलीय फसल प्रणालीयो का प्रयोग होता है।  अधि‍क आय वाले 10 फसल चक्र (द्वीफसलीय), 16 फसल चक्र ( त्रि‍फसलीय) तथा 4 फसल चक्र (चर्तुफसली) की जानकारी यहां पर दी गई है। फसल प्रणाली फसल चक्र उपज (टन/ हैक्‍टेयर) बुवाई समय कटाई समय अनुमानि‍त आय (रू/हैक्‍टेयर)(मार्च 2010 में) दोफसलीय धान  गेहूं 5 - 6 4.5 - 5 जून/जुलाई नवम्‍बर अक्‍तूबर अप्रैल 50000-60000  धान  बरसीम 5 - 6 60 - 70 जून/जुलाई अक्‍तूबर अक्‍तूबर मई 70000-80000 बासमती धान  सूरजमुखी 4 - 5 2 - 2.5 जून/जुलाई फरवरी नवम्‍बरमई 60000-65000  मक्‍का  गेहूं 4 - 4.5 5 - 5.5 जून नवम्‍बर अक्‍तूबर अप्रैल 40000-50000  अरहर गेहूं 1.8 - 2 5 - 5.5 जून दि‍संबर नवंबर-दि‍संबर अप्रैल 45000-50000 कपास गेहूं 2 - 2.5 4.5 - 5 मई दि‍सम्‍बर नवम्‍बर/दि‍सम्‍बर अप्रैल 40000-50000 मूंगफली  गेहूं 1.8 - 25 - 5.5 जुलाईनवम्‍बर अक्‍तूबरअप्रैल 40000-50000 धान  चना 5 - 6 1.8 - 2 जून/जुलाई अक्‍तूबर अक्‍तूबर अप्रैल 40000-50000 सोयाबीन  गेहूं 1.8 - 2 5 - 5.5 जुलाई नवम्‍बर नवम्‍बर अप्रैल 40000-50000 सोयाबीन  आलू 1.8 - 220 - 25 जुलाई नवम्‍बर नवम्‍बर फरवरी 45000-55000 त्रि‍फसलीय हरी खाद (ढैंचा/ सनई/ लोभि‍या)  धान  गेहूं   5.5 - 6 4.5 - 5 अप्रैल  जून/जुलाई नवम्‍बर जून  अक्‍तूबर अप्रैल 55000-65000 चारा (लाबि‍या+बाजरा/मक्‍का/ज्‍वार)  मक्‍का  गेहूं 20-25  4 - 4.5 5 - 5.5 अप्रैल जुलाई  नवम्‍बर जून  अक्‍तूबर  अप्रैल 65000-70000 हरी...