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ब्रैसिका और फफूंद के अन्योन्यक्रिया का अध्ययन और उनके महत्व Less attention has been paid by researchers to phytotoxins and their role in the resistance of different Brassica species, especially in mustard (B. juncea). Pathogens are often resistant to plant defense compounds. This can happen for a variety of reasons including the plant's ability to degrade and convert defense compounds into less toxic compounds or the complete breakdown of defense compounds. This property enables the fungus to enter plant tissue and infect the plant. ब्रैसिका और फफूंद के अन्योन्यक्रिया का अध्ययन और उनके महत्व दुनिया भर में सरसो (ब्रैसिका) का महत्व इसके बीजों से निकलने वाले तेल के अतिरिक्त दैनिक भोजन के रूप...

सब्‍जी माइक्रोग्रीनस - पोषण का एक संभावित स्रोत Microgreens are young and tender edible seedlings produced using the seeds of different species of vegetables, herbaceous plants, aromatic herbs and wild edible plants (Di Gioia and Santamaria 2015a, b). The edible portion constitutes single stem, the cotyledon leaves and, often, the emerging first true leave (Di Gioia et al. 2017). A few days of photosynthesis of microgreen is known to provide nearly 4-9 times more nutrients including antioxidants, vitamins and minerals than their mature counterparts. Microgreens first appeared in the menus of the chefs of San Francisco, in California, at the beginning of the 1980s. By geography, North America contribute ~50% of market share in...

सरसो में खरपतवार प्रबंधन  तिलहनी फसलों में राई-सरसों का मूंगफली के बाद दूसरा स्थान है। देश में राई-सरसों की खेती मुख्यत: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, असम, गुजरात, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों में की जाती है I इस समय कुल खाद्य तेल उत्पादन का लगभग एक तिहाई तेल राई-सरसों द्वारा प्राप्त होता है इसकी खेती हमारे देश में लगभग 62.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है जिससे लगभग 59 लाख टन उत्पादन होता है।  खरपतवार फसल के साथ पोषक तत्व, नमी, स्थान एवं प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करके राई-सरसों की पैदावार एवं तेल प्रतिशत में कमी कर देते है। राई-सरसों की पैदावार में खरपतवारों की संख्या...

सरसों की उन्‍नत किस्में और उसकी वैज्ञानिक खेती  सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी खेती सिचिंत एवं संरक्षित नमी द्वारा बारानी क्षेत्रों में की जाती हैl राजस्थान का देश के सरसों के उत्पादन में प्रमुख स्थान है। सरसों की खेती मुख्‍यत: तेल के लि‍ए की जाती हैै जि‍से लहटा सरसों कहते है । सरसों का उत्‍पादन साग सब्‍जी व सलाद के लि‍ए भी कि‍या जाता है पत्‍ति‍यों के लि‍ए उगाई जाने वाली सरसों को गोभी सरसों या मीठी सरसों या जापानीज सरसों भी कहते है।  इसकी पत्तियां बड़ी-बड़ी मुलायम तथा स्वदिष्ट होती हैं जो कि बोने के 20 दिन के बाद मिलने लगती हैं । सरसों की उन्‍नत किस्मेें किस्म पकने...

Scientific cultivation technique of Rye, Toria and Mustard crop बिहार में रबी मौसम में उगायी जाने वाली तेलहनी फसलों में राई, तोरीया एवं सरसों का प्रमूख स्थान है। इनका उपयोग खाद्य तेल एवं जानवरोंहेतु खल्ली के रूप में किया जाता है। अधिक एवं गुणवत्तायुक्त उपज प्राप्त करने हेतु यह आवश्यक है कि इसकी खेती वैज्ञानिक ढ़ंग से की जाए जिससे अधिक से अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकें। राई-तोरी, सरसों के उन्नत प्रभेद एवं खेती की विधि: राई में प्रभेद (समय से बुआई हेतु उपयुक्त) - वरूणा:  औसत उपज 20 क्वि/हे0 होता है। इस फसल की अवधि 135 से 140 दिन में तैयार हो जाता है। पूसा बोल्ड: इसकी औसत उपज 19 क्वि0/हे0 है। इस...

Natural properties of mustard and value added products  सरसों का तेल अपनी कम संतृप्त फैटी एसिड सामग्री और ट्रांस वसा की अनुपस्थिति के कारण स्वास्थ्यप्रद तेलों में से एक है। यह आवश्यक फैटी एसिड ओमेगा 3 और ओमेगा 6 प्रदान करता है जो हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है। सरसों के तेल में गुणकारी तत्त्व फाइटोन्यूट्रियंट्स जैसे फिनोलस, कैरोटीनोइड, फिटोस्टरोल, सेलेनियम, ग्लूकोसिनॉल्स, विटामिन सी और टोकोफेरॉल की की उपस्थिति के कारण इसकी गुणवता में अधिक वृद्धि होती है। भारतीय सरसों को मिट्टी से भारी धातुओं और अन्य खनिजों (जैसे कैडमियम, आर्सेनिक और सीसा) को शामिल करने की प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। इस संपत्ति का उपयोग उच्च-सेलेनियम सरसों को...

6 major diseases of mustard and their management 1. सरसों का सफेद रोली (White rust) रोग यह सरसों का अति भयंकर रोग है। यह बीज व भूमि जनित रोग है। इस रोग के कारण बुवाई के 30-40 दिनो के बाद पतियों की निचली सतह पर सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले दिखाई देते है। फफोलो की ऊपरी सतह पर पतियों पर पीले रंग के धबे दिखाई देते है। उग्र अवस्था मे सफेद रंग के ऊभरे हुए फफोले पतियों की दोनो सतह पर फैल जाते है। फफोलो के फट जाने पर सफेद चूर्ण पतियों पर फैल जाता है। पीले रंग के धबे आपसमे मिलकर पतियों को पूरी तरह से ढक लेते है। पुष्पीय...

Mustard cultivation with scientific technique सरसों राजस्थान की प्रमुख तिलहनी फसल हैं। सरसों की फसल सिंचित क्षेत्रों एवं संरक्षित नमी के बारानी क्षेत्रों में ली जा सकती हैं। यह फसल कम सिंचाई सुविधा और कम लागत में भी अन्य फसलों की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करती है। इसकी पत्तियॉ हरी सब्जि के रूप में प्रयोग की जाती है तथा सूखे तनो को ईधन के रूप में प्रयोग किया जाता हैं। सरसों के तेल में तीव्र गंध सिनिग्रिन नामक एल्केलॉइड के कारण होती हैं। मृदा :- सरसों की खेती रेतिली से लेकर भारी मटियार मृदाओ में की जा सकती हैं। बुलई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती हैं। खेत की तैयारी :- खरीफ फसल की कटाई्र...

5 Major pests of mustard crop and their control तिलहन की फसलों में सरसों (तोरिया, राया और सरसों) का भारत वर्ष में विशेष स्थान है तथा यह हरियाणा प्रदेश में रबी की मुख्य फसल है। सरसों में अनेक प्रकार के कीट समय-समय पर आक्रमण करते हैं लेकिन 4-5 कीट ही आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसलिए यह अति आवश्यक है कि इन कीटों की सही पहचान कर उचित रोकथाम की जाएं । इस लेख में सरसों के कीटों के लक्षण व उनकी रोकथाम के उपाय दियें गए है  1. सरसों में बालों वाली सुण्डी (कातरा) इस कीट की तितली भूरे रंग की होती है, जो पत्तियों की निचली सतह पर समूह में हल्के...

Scientificcultivation of Mustard crop  सरसों एवं राई की गिनती भारत की प्रमुख तीन तिलहनी फसलों (सोयाबीन, मूंगफली एवं सरसो) में होती है । राजस्थान में प्रमुख रूप से भरतपुर सवाई माधोपुर, अलवर करौली, कोटा, जयपुर आदि जिलो में सरसों की खेती की जाती है। सरसों में कम लागत लगाकर अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। इसके हरे पौधों का प्रयोग जानवरों के हरे चारे के रूप में लिया जा सकता है।  साथ ही पषु आहार के रूप में बीज, तेल, एंव खली को काम में ले सकतें हैं क्यो कि इनका प्रभाव षीतल होता है जिससे यें कई रोगो की रोकथाम में सहायक सिध्द होते है इसकी खली में लगभग...