Resource Management

Application of geospatial tools in drought management एशिया और प्रशांत के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग (2019) के विवरण के अनुसार एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सुखाड़ के कारण अकेले कृषि क्षेत्र में सभी आपदा नुकसान का 68 प्रतिशत है और कृषि सुखाड़ के लिए क्षेत्रीय जोखिम परिदृश्य वार्षिक औसत नुकसान का 60 प्रतिशत है। संयुक्त राष्ट्र/ विश्व बैंक जल पर उच्च स्तरीय पैनल (2018) के विवरण के अनुसार वर्ष 2030 तक सूखे के कारण लगभग 700 मिलियन लोगों के विस्थापित होने के जोखिम के साथ, दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी पानी की कमी से प्रभावित होगा। कृषि मंत्रालय, भारत सरकार, सूखा (2002) के एक विवरण के अनुसार भारत में लगभग 68 प्रतिशत...

Making of rainwater harvesting system भूजल के जबर्दस्त दोहन से लगातार पानी का स्तर नीचे जा रहा है। शहरीकरण के कारण प्राकृतिक रिचार्ज क्षेत्रों मे भारी गिरावट हो रही है जिसके कारण भूजल का स्तर बहुत नीचे हो गया है अथवा कई जगहो पर तो उसे निकालना ही असंभव हो गया है।  इससे पेयजल की किल्लत हो रही है। वर्षा के अनियमित पैट्रन, कभी अति वर्षा और कभी सूखा जैैैसी घटनाओं के कारण बारिश का पानी यूँ ही बहकर बर्बाद हो जाता है। वर्षा जल को बचाकर संचय करने से साल भर उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्तमान परिस्थिति मे वर्षा जल संचयन अत्यंत उपयोगी हो सकता है। इससे पेड़-पौधों की संख्या में...

Agricultural Production will increase with the use of modern equipment आधुनिक कृषि एवं मशीनों के द्वारा समय की बचत के अलावा श्रम, ईंधन एवं खर्च के साथ- साथ प्राकृतिक संसाधनों का सरंक्षण भी होता हैं तथा बेहतर उपज भी प्राप्त की जा सकती हैं। इससे जहा एक और खाद्यान्न की बढ़ती हुई मांग की पूर्ति की जा सकती हैं, वही दूसरी और किसानों को भी अपनी उपज का पर्याप्त लाभ मिलेगा। खेती में आधुनिक कृषि एवं मशीनों का इस्तेमाल समय की जरूरत हैं।  किसानों को अगर पैदावार एवं आय बढ़ानी हैं तो आधुनिक कृषि एवं मशीनों का उपयोग करना ही होगा।  खेती और उससे जुड़े कार्यों में श्रमिकों की कमी एक बड़ी...

 Soil and Groundwater Management to Improve Agriculture भारत की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका हेतु कृषि पर ही निर्भर है। कृषि की सकल घरेलू उत्पादन में भागीदारी लगभग 22 प्रतिशत है। किसानों और मजदूरों को आजीविका प्रदान करने के अतिरिक्त कृषि क्षेत्र देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है। कृषि उत्पादकता कई कारकों पर निर्भर करती है। इनमें कृषि इनपुट्स, जैसे जमीन, पानी, बीज एवं उर्वरकों की उपलब्धता और गुणवत्ता, कृषि ऋण एवं फसल बीमा की सुविधा, कृषि उत्पाद के लिए लाभकारी मूल्यों का आश्वासन, और स्टोरेज एवं मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इत्यादि शामिल हैं। पिछले कुछ दशकों में खाद्य उत्पादन का स्तर बढ़ा है लेकिन इसके साथ कई समस्याएं भी खड़ी हुई हैं जैसे...

जल संतुलन जलाशय: नहर कमान में एक कुशल जल भंडारण संरचना Water balancing reservoir is also known as Diggies or Tanks or Farm pond or intermediate storage structures in canal command. It is a water storage structure in canal command to store the water delivered from the water courses to farms and regulate the flow of water for agricultural irrigation. Water is pumped out of this and is distributed to the field through channels or micro irrigation system. It helps to supply irrigation water when the crop requires it, the most. All these interventions contribute to higher yield, production and water productivity. However, water balancing reservoirs are shown to be cost-effective for landholdings...

Adverse effects of flood and measures to prevent it आसाम और बिहार मे हर साल बाढ़ की वजह से करीब अनेक लोग मारे जाते है। पि‍छले साल 45 लाख से ज्यादा लोग इससे सीधे प्रभावित हुए थे। इस साल 2020 मे भी वही परिस्‍थि‍ति‍ है, हालत बत से बत्तर हो गई है। लाखों लोगों की जिंदगी पर इससे फर्क पड़ा है। उत्तरी बिहार की 76% आबादी बाढ़ की तबाही के आवर्ती खतरे मे है और बिहार के भोगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 73.06% भाग बाढ़ से प्रभावित हुआ है।  आसाम हमेशा से भारत मे सबसे ज्यादा बाढ़ से ग्रस्त रहने वाला राज्य रहा है, इसके पीछे का मुख्य कारण आसाम से गुजरती नदी ब्रह्मपुत्र...

Modern irrigation management in the garden सिचाई की विभिन्न विधियों में टपक या बूंद-बूंद सिंचाई, माइक्रोस्प्रिंकलर, माइक्रोजैट आदि कुछ आधुनिक सिंचाई विधियाँ हैं, परन्तु फलदार बगीचों में टपक सिंचाई अंत्यत लाभकारी सिद्ध हुई है | टपक या बूंद-बूंद सिंचाई एक ऐसी सिंचाई विधि है जिसमें पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में, कम अंतराल पर, प्लास्टिक की नालियों द्वारा सीधा पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है | परम्परागत सतही सिंचाई द्वारा जल का उचित उपयोग नहीं हो पाता, क्योंकि अधिकतर पानी, जोकि पौधों को मिलना चाहिए, जमीन में रिस कर या वाष्पीकरण द्वारा व्यर्थ चला जाता है | अतः उपलब्ध जल का सही रिसाव कम हो कम हो और अधिक से अधिक पानी पौधे...

पादप उपचार (फाइटो रिमीडीएशन) - अपशिष्ट जल के कृषि में उपयोग करने के लिए एक समाधान  भारत के लिए अपशिष्ट जल का प्रबंधन विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में एक चुनौती बन गया है क्योंकि बुनियादी ढांचे के विकास ने जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और शहरीकरण के साथ तालमेल नहीं बैठा पाया। परिणाम स्वरूप शहर की आवश्यकता पूरी करने में मीठे जल के संसाधनों पर भारी दबाव आ गया है। साथ ही जो अपशिष्ट जल उत्पन्न हो रहा है (जो की लगभग 70-80% ताजे पानी की आपूर्ति अपशिष्ट के रूप में वापस आता है ) जिससे निपटना और इसका प्रबंधन मुश्किल काम है। इस परिदृश्य के  निहितार्थ घरेलू , औद्योगिक और कृषि क्षेत्र...