मूंगफली की खेती की आधुनिक तकनीक

मूंगफली की खेती की आधुनिक तकनीक

Modern techniques of Groundnut cultivation

मूँगफली (peanut) एक ऐसी फसल (crop) है जिसका कुल लेग्युमिनेसी होते हुये भी यह तिलहनी के रूप मे अपनी विशेष पहचान बनाये हुये है। इसमे गुणशुत्रो की संख्या 2n=4x=40 होती  है। मूँग फली के दाने मे 48-50 % वसा और 22-28 % प्रोटीन पायी जाती है

मूँगफली की खेती 100 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है। उत्तर प्रदेश मे मूंग्फली की खेती मुख्य रूप से झांसि, हरदोई, सीतापुर, उन्नव आदि जिलो मे होती है।

मूंगफली की खेती (cultivation) करने से भूमि की उर्वरता  भी बढ़ती है। यदि किसान भाई मूंगफली की आधुनिक खेती करता है तो उस से किसान की भूमि सुधार के साथ किसान कि आर्थिक स्थिति भी सुधार जाती है।

मूंगफली का प्रयोग  तेल के रूप मे कापडा उधोग एवम बटर बनाने मे किया जाता है जिससे किसान भाई अपनी आर्थिक स्थिति मे भी सुधार कर सकते है।  

मूंगफली की आधुनिक खेती के बारे मे अधिक जानकारी इस प्रकार है-

मूँगफली के लि‍ए बीज दर, बुवाई क समय, एवम बुवाई हेतू दूरियां

किसान भाई को मूंगफली की बुवाई हेतू बीज की मात्रा 70-80 किग्रा.।हेo रखते है। यदि किसान भाई मूंगफली की बुवाई कुछ देरी से करना चाहाता है तो बीज की मात्रा को आवश्यकता अनुसार बढ़ा लेना चाहिये

मूंगफली की बुवाई का समय जून के दुसरे पखवडे साए जुलाई के अखिरी पखवडे तक होता है। मूंगफली के लिये पौधे से पौधे की दूरियां 20 सेमी तथा पंक्ति से पंक्ति की दूरियां 30 सेमी रखते है।

मूँगफली की उन्नत प्रजतिया:

टा 64, 28, चंद्रा, एम 13, अम्बर, चित्रा, जी 201, प्रकाश आदि 

मूँगफली में उर्वरको की मात्रा एवम देने का समय

मूंगफली की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उचित मात्रा मे पोषक तत्वों को समय से देना चहिये। मूंगफली की फसल को प्रति हेo 20 किलो नत्रजन, 30 किलो फास्फोरस 45 किलो पोटाश, 200 किलो जिप्सम एवम 4 किलो बोरेक्स का प्रयोग करना चाहियें।

फास्फोरस की मात्रा की पूर्ति हेतू सिंगल सुपर फस्फेट का प्रयोग करना चाहियें।  नत्रजन, फास्फोरस एवम पोटाश की समस्त मात्रा एवं जिप्सम की आधी मात्रा बुवाई के समय देना चाहिये।

जिप्सम की आधी मात्रा शेष आधी मात्रा एवम्‌ बोरेक्स की समस्त मात्रा को बुवाई के लगभग 22-23 दिन बाद देना चाहिये।

मूँगफली में बीज उपचार

बीज की बुवाई करने पहले बीज का उपाचार करना बहुत ही लाभ कारी होता है। इसके लिए थीरम की 2 ग्राम  और काबेंडाजिम 50 % धुलन चूर्ण के मिश्रण को 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से शोधित करना चाहियें।

इस शोधन के बाद (लगभग 5-6 घन्टे ) अर्थात बुवाई से पहले मूंगफली के बीज को राइजोबियम कल्चर से भी उपचारित करना चाहिये। ऐसा करने के लिए राइजोबियम कल्चर का  एक पेकेट 10 किलो बीज को शोधित करने के लिए पर्याप्त होता है।

कल्चर को बीज मे मिलाने के लिए आधा लीo पानी मे 50 ग्राम गुड़ घोल लेने के बाद इसमे 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर का पुरा पेकेट मिलाये इस मिश्रण को  10 किलो बीज के ऊपर छिड़कर कर हल्के हाथ से मिलाये, जिससे बीज के ऊपर एक हल्की पर्त बन जाय।

इस बीज को छाये मे 2-3 घंटे सुखाकर बुवाई प्रात 10 बजे तक या शाम को 4 बजे के बाद करे। जिस खेत मे पहले मूंगफली की खेती नहीं की गयी हो उस खेत मे मूंगफली की बुवाई से पुर्व मूंग फली  के बीज को राइजोबियम कल्चर से संशोधित कर लेना बहुत हि लाभ कारी होता है।

सिचाई

मूंगफली की खेती मे मुख्यता सिचाई की कम जरुरत होती है फिर भी यदि वर्षा न हो यो जरुरत पड़ने पर दो सिचाईया जोकि पेगिंग तथा फली बनते समय कर देनी चाहिये।

मूँगफली में निकाई – गुडाई

मूंगफली की बुवाई के लग भग 15-20 दिन बाद पहली निकाई – गुडाई एवम  30-35 दिन के बाद दुसरी निकाई – गुडाई अवश्यक करे। पेगिंग की अवस्था मे निकाई – गुडाई नही करनी चाहिये।

मूँगफली में खरपतवार का नियंत्रण

रासायनिक विधि से खरपतवार की रोकथाम के लिए एलाक्लोर 50 ईoसीo की 4 लीo। हेo मात्रा 700-800 लीo पानी मे घोल बनाकर बुवाई के बाद एवम्‌  जमाव से पहले अर्थात बुवाई के 3-4 दिन बाद तक छिदकाव करना चाहियें।

मूँगफली की खुदाई  एवम भंडारण

मूंगफली की खुदाई प्राय तब करे जब मूंगफली के छिलके के ऊपर नसें उभर आये तथा भितिरी भाग कत्थई रंग क हो जाये खुदाई के बाद फलियो को सुखाकर भंडारण करें।यदि गीली मूंगफली का भंडारण किया जाता है तो मूंगफली काले रंग की हो जाती है जो खाने एवम बीज हेतू अनुप्रयुक्त होती है।

मूँगफली में कीड़ों की रोकथाम     

मूंगफली मे सफेद गीडार, दीमक, हेयरी कैटरपिलर आदि कीट काफी नुकसान पहुँचाते है जिनकी रोकथाम के लिए निम्न लिखित उपय करें –

सफेद गीडार की रोकथाम

मूंगफली मे सफेद गीडार की रोकथाम के लिए मानसून के प्रारम्भ मे ही मोनोक्रोटोफोस 0.05 % या फेंथोएट 0.03 % का छिड्काव करना चाहिये।

बुवाई के 3-4 घंटे पुर्व क्युनालफोस 25 ईo सीo 25 मिली प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज को उपचारित करके बुवाई करे।

खडी फसल मे क्युनालफोस रसायन की 4 लीटर मात्रा प्रति हेo की दर से सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करे।

दीमक की रोकथाम

दीमक की रोक थाम के लिए क्लोरपायरीफास  रसायन की 4 लीटर मात्रा प्रति हेo की दर से सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करे।

हेयरी कैटरपिलर की रोकथाम

हेयरी कैटरपिलर कीट का प्रकोप लग भग 40-45 दिन बाद दिखाई पड़ता है। इस कीट की रोक थाम के लिये डाईक्लोरवास 76% ईo सीo एक लीटर।हेo का वर्णीय छिड़काव करें।

मूँगफली में बीमारियों की रोकथाम

मूंगफली मे मूंगफली क्राउन राट, डाईरूट राट, बड नेक्रॉसिस तथा मूंगफली का टिक्का रोग बहुतया प्रमुख रोग है। जिनकी रोक थाम के लिए निम्न लिखित उपय करें

मूंगफली क्राउन राट या डाईरूट राट

 इस की रोक थाम के लिये बीज को संशोधित करके बोना चाहिये ।

बड नेक्रॉसिस

इस रोग की रोक थाम के लिए किसान भाइयो को सालह दी जाती है कि जून चौथे साप्ताह से पूर्व बुवाई ना करे। तदपि इस रोग का प्रकोप खेत मे हो गया है तब रसायन डाईमेथोएट 30 ईo सीo  एक लीटर।हेo का प्रयोग करे।

मूंगफली का टिक्का रोग

 इस रोग की रोक थाम के लिए खाडी फसल मे मैंकोज़ेब 2 किलोग्राम मात्रा। हेo 2-3 छिड्काव करना लाभ कारी होता है


Authors

जयदेव कुमार1, संजय कुमार सिंह, लोकेद्र सिंह और संजय कुमार सिंह1

आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, सी. एस. आजद कृषि एवम्‌ प्रोधोगिकि विश्वविधालय, कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत

1भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल   

Email: jaydev.140@rediffmail.com

 

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