बेबी काॅर्न- कटाई उपरांत प्रबंधन

बेबी काॅर्न- कटाई उपरांत प्रबंधन

Post harvest management of Baby Corn.

बेबी कार्न को बाजार फसल के रूप में उगाया जा सकता है। कार्न के ताजेपन, नमी और गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए छिलकों के साथ बेबी कार्न का विपणन करने की शिफारिस की जाती है। बेबी कार्न की विपणनीयता का निर्धारण करने में विपणन मानक मुख्य कारक होते हैं। बाजार के मानकों में नाशीजीवों या रोगो के कारण होने वाले नुकसान से मुक्त, सफेद से हल्के पीले तक के भिन्न रंग बेबी काॅर्न की बेलनाकार आकृति और आकार के आमाप शामिल होते हैं।

उद्योग में बाजार/ डिब्बे बंदी के लिए इष्टतम आकार की आवश्यकता है। छिलका उतरे हुए बेबी कार्न 4.5 से 10 सेमी. लम्बे, और 7 से 17 मिमी. ब्यास के होने चाहिए। दाने का छोटा आकार, दानों की सीधी पंक्तियां नुकीले शिरे जैसी विशेषतायें हैं जिन्हें उच्च गुणवत्ता वाले बेबी काॅर्न के लिए बरीयता दी जाती है।

शहरों के पास स्थित किसान लाभप्रद स्थिति में होते हैं क्योंकि वे होटलों में और बाजारों में सीधे बिक्री कर सकते हैं। लवण जल की घोल में संरक्षित किये गये प्रसंस्कृत/ डिब्बा बंद तथा शीशे के जारों में पैक बेबी कार्न उन किसानों के लिए एक अच्छा अवसर है जो परिनगरीय बाजारों से दूर है।

ताजे के साथ ही प्रसंस्कृत बेबी कार्न के लिए निर्यात के ब्यापक अवसर हैं। यूरोप और अमेरिका के बाजारों में अचार के रूप में और डिब्बा बंद बेबी कार्न की अपार सम्भावनायें हैं। 

कटाई उपरान्त प्रबंधन

  • कटाई उपरान्त प्रबंधन के लिए, छायादार, सुवातित स्थान चुनें।
  • बेबी काॅर्न को छीलें और उसी दिन उसे ठण्डे सूखे स्थान पर संग्रहित करें।
  • उन्हें प्लास्टिक बैग, टोकरी या बोरियों में रखें। उनका ढेर न बनाएं।
  • उत्पादों को बाजार/प्रसंस्करण यूनिटों तक जल्दी से जल्दी भेजें।
  • कटे हुए काॅर्न की गुणवत्ता को सुनिश्चित करें।
  • कटे हुए बेबी काॅर्न आकार, आकृति और रंग में एक समान होने चाहिए।
  • कटे हुए बेबी काॅर्न का रंग क्रीम से हल्का पीला होना चाहिए।
  • भुट्टे सीधे होने चाहिए।
  • भुट्टे पर चीरे के निशान नहीं होने चाहिए।
  • भुट्टे ताजे होनी चाहिए।
  • भुट्टों में विगलन, अतिशुष्कता, अतिपरिपक्वता और जल में भीगे हुए जैसे दोष नहीं होने चाहिए।
  • बिना धब्बों के साफ-सुथरी कटाई की जानी चाहिए।
  • बीजाण्डों की व्यवस्था सीधी और नियमित होनी चाहिए।
  • ग्रेडिंग यांत्रिक रूप से (फालो चार्ट अनुसार) या हाथ से की जानी चाहिए।

नीचे तालिका  में बेबी कार्न के विभिन्न ग्रडों का उल्लेख किया गया है

ग्रेड  लम्बाई (से.मी.) व्यास (से.मी.)
छोटे  4-7  1.0-1.2
मध्यम 7-11  1.2-1.4
लम्बे   11-13  1.4-1.5

 बेबी कार्न की पैकिंग ग्लास या पाली बैग टिन में यूनिट से यूनिट के अनुसार भिन्न – भिन्न होती है। दीर्घावधि भण्डारण के लिए ग्लास को बरीयता दी जाती है। किसान प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कर सकते हैं जो कि सस्ते और उत्तम होते हैं। बेबी कार्न का प्रसंस्करण निधानी आयु को बढ़ाता है। प्रसंस्करण में इस्तेमाल की जाने वाली विधियां हैं, डिब्बा बंदी, निर्जलीकरण और प्रशीतन।

1. डिब्बा बंदी-
डिब्बा बंदी सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली विधि है। बेबी कार्न को ग्लास की बोतलों में या टिन में लवण जल घोल में दूर के स्थानों तक परिवहन के लिए या लम्बे समय के लिए संग्रहित किये जाते हैं। ग्लास की पैकिंग में 52 प्रतिशत बेबी कार्न और 48 प्रतिशत लवण जल घोल होता है।

Baby corn packaging process

2. निर्जलीकरण-

निर्जलीकरण बंबी कार्न की निधानी आयु कोे बढ़ाता है। बेबी काॅर्न को 0.5 से.मी. ब्यास के टुकड़ों में कांटे ओवन (वायु/वैक्यूम) में सुखाएं या धूप में सुखाएं पालीथिन पैक, वैक्यूम पैक, टैट्रा पैक में पैक करें लम्बे समय के लिए भण्डारण करें। इस्तेमाल से पहले जल में भिगोकर पुनः आर्द्र करें। यह उत्पाद ताजे उत्पादों के अनुसार ही इन्द्रियग्राही है।

3. प्रशीतित बेबी काॅर्न –

अन्य सब्जियों के समान ही बेबी कार्न को प्रशीतित या ठण्डा करके सुरक्षित किया जा सकता है।

बेबीकॉर्न का परिरक्षण-

बेबी काॅर्न को कन्टेनरोें में भरें। कन्टेनर में लवण जल और जल (2 प्रतिशत लवण जल और 98 प्रतिशत जल) भरें। 2 प्रतिशत लवण जल के स्थान पर 3 प्रतिशत लवण जल, 2 प्रतिशत शर्करा या 0.4 प्रतिशत सिट्रिक एसिड का इस्तेमाल किया जा सकता है और तद्नुसार बाकी प्रतिशत जल रखा जा सकता है

(2 प्रतिशत लवण जल= 1 बड़ा चम्मच नमक  4 लोटा जल, 3 प्रतिशत लवण जल=1.5 बड़ा चम्मच 4 लोटा जल)।

बेबीकॉर्न का मूल्य सम्वर्धन-

इसका अन्य डिब्बा बंद मूल्यसम्वर्धित उत्पादों जैसे अचार, जैम, मिठाइयों आदि के रूप में विपणन किया जा सकता है। खेतिहर महिलायें बेबी कार्न की व्यंजनों में गहरी दिलचस्पी ले सकती हैं।

प्रशिक्षित महिलायें अचार, मुरब्बा, पकोड़ा, सूप, चटनी, मंचूरियन, सब्जियां, खीर बर्फी, लड्डू आदि बना रही हैं और छोटे पैमाने पर अपना उद्योग लगा सकती हैं। कुछ व्यंजनों की विधि नीचे दी गयी हैं।

बेबीकॉर्न के व्‍यंंजन

1. बेबी कार्न वेजीटेबल सूप-

बेबी कार्न 50 ग्राम, गाजर 25 ग्राम, फ्रेंच बीन 25 ग्राम, मक्खन-आधा चम्मच, काॅर्न फ्लोर 1 चम्मच, नमक और काली मिर्च-स्वादानुसार

विधि-

  • फ्रेंच बीन,गाजर और बंबी कार्न को धोयें, काटें और तब तक उबालें जब तक कि वे नरम न हो जायें
  • उबली हुई सब्जियों और बेबी कार्न को छानें
  • कार्न फ्लोेर की पानी के साथ पेस्ट बनायें और छने हुए सूप में उड़ेलें
  • सूप में नमक और काली मिर्च मिलायें और उसे 5 मिनट के लिए उबालें
  • परोसते समय आधा चम्मच मक्खन और ब्लांच किये हुए बेबी कार्न के स्लाइस मिलायें

2. बेबी काॅर्न सलाद-

बेबी कार्न 100 ग्राम, नींबू आधा, हरी मिर्च 2, चाट मसाला आाधा चम्मच, नमक स्वादानुसार

विधि-

  • बेबी कार्न को धोयें और उसे पतले लम्बे स्लाइसों में काटें
  • एक प्लेट में बेबी कार्न और हरी मिर्चों को सजायें
  • परोसने से पहले उस पर नींबू का रस, नमक और चाट मसाला छिड़कें

3. बेबी कार्न के पकोड़े-

बेबी कार्न 100 ग्राम, बेसन 50 ग्राम, कार्न फ्लोर 10 ग्राम, लाल मिर्च पाउडर 1/4 चम्मच, गर्म मसाला 1/4 चम्मच, चाट मसाला 1 चम्मच, नमक स्वादानुसार, तेल तलने के लिए

विधि-

  • छोटे आकार के बेबी कार्न चुने और उन्हें उबलते हुए पानी में 10 मिनट के लिए ब्लांच करें।
  • बेसन, कार्न फ्लोर सभी मसालों में पानी मिलाकर घोल बनायें।
  • बेबी कार्न में लम्बाई में जीरा लगायें और उस पर चाट मसाला छिड़कें।
  • बेबी कार्न को इस घोल में डुबोकर तेल में तलें।
  • टमाटर की साॅस के साथ परोसें।

4. बेबी कार्न की चटनी-

बेबी कार्न 1 किग्रा, प्याज 200 ग्राम, चीनी आधा किग्रा, अदकर 20 ग्राम (महीन कटा हुआ), नमक 20 ग्राम, लाल मिर्च पाउडर 10 से 20 ग्राम, गरम मसाला 10 ग्राम, पानी 200 मि.ली.

विधि-

  • बेबी कार्न को गर्म पानी से धोयें और साफ करें और एक महीन पेस्ट बनायें।
  • बेबी कार्न में प्याज, अदरक, लहसुन पेस्ट और पानी मिलायें और इन्हें गर्म होने तक पकायें।
  • इसमें नमक और मसाले मिलायें और गाढ़ा होने तक पकायें।
  • चीनी मिलायें, अच्छी तरह मिलायें और पकायें।
  • एसिटिक एसिड मिलायें।
  • साफ कंटेनर में भरें और भण्डारण करें।

5. बेबी कार्न कटलेट-

बेबी कार्न 100 ग्राम, आलू 100 ग्राम, डबल रोटी का चूरा 2 ग्राम, कार्न फ्लोर 1 चम्मच, हरी मिर्च (कटी हुई 2), लाल मिर्च पाउडर आधा चम्मच, गर्म मसाला 1/4 चम्मच, नमक स्वादानुसार

विधि-

  • बेबी कार्न को अच्छी तरह धोयें
  • पेस्ट बनने तक पीसें
  • आलू उबालें, छिलें और मैश करके बेबी काॅर्न के साथ मिलायें
  • सभी मसाले मिलायें, अच्छी तरह मिलाकर अण्डाकार आकृति की बाॅल बनायें
  • काॅर्न फ्लोर और पानी का घोल बनायें
  • कटलेट को घोल में डुबोयें और डबल रोटी के चूरे में लपेटें
  • हल्का भूरा होने तक तेल मेें तलें
  • टमाटर की साॅस के साथ परोसें

6. बेबी कार्न की सूखी सब्जी-

बेबी कार्न 100 ग्राम, टमाटर 30 ग्राम, प्याज 30 ग्राम, लहसुन पेस्ट 1/4 चम्मच, अदरक पेस्ट 1/4 चम्मच, नमक स्वादानुसार, तेल 1 चम्मच,

विधि-

  • बेबी कार्न को 1 सेमी मोटे स्लाइसों में काटें
  • 5 मिनट के लिए ब्लाॅच करें
  • प्याज, टमाटर, हरी मिर्च को महीन काटें
  • तेल में जीरा, अदरक लहसुन पेस्ट तड़कने के बाद उसमें प्याज और टमाटर मिलायें
  • सभी मसाले मिलायें और 4 से 5 मिनट तक पकायें
  • फिर उसमें ब्लाॅच किये हुए बेबी काॅर्न मिलायें और उन्हें पूरी तरह पकायें

7. बेबी कार्न का अचार (खट्टा)

बेबी कार्न 1 किग्रा, सौंफ के बीज 25 ग्राम, लाल मिर्च पाउडर स्वादानुसार, सरसों के बीज 50 ग्राम, सौंफ 50 ग्राम, नमक स्वादानुसार, सरसों का तेल 150 मिली., लाल मिर्च पाउडर 1/4 चम्मच, सिरका (विनेगर) 10 मिली.

विधि-

  • बेबी कार्न को गर्म पानी में धोयें, डेढ़ इंच लंबे टुकड़ों में काटें और उसमें से अतिरिक्त जल को हटायें
  • सरसों, सौंफ के बीज और सौंफ को दरदरा पीस लें, पैन में आधे तेल को गर्म करें और दरदरेे पिसे हुए सरसों, सौंफ और सौंफ के बीज तथा लाल मिर्च पाउडर को भुनें
  • आग से हटायें और उसमें कटे हुए बेबी काॅर्न डालने के बाद सिरका, नमक और तेल मिलायें
  • अच्छी तरह मिलायें, पकायें और उन्हें साफ वायुबंद कंटेनरों में संग्रहित करें और धूप में 5 से 6 दिन रखें।

8. बेबी कार्न अचार (मीठा और खट्टा)-

बेबी कार्न 1 किग्रा, प्याज 50 ग्राम, लहसुन 20 ग्राम, अदरक 20 ग्राम, लाल मिर्च पाउडर स्वादानुसार, सरसों के बीज 50 ग्राम, नमक स्वादानुसार, सरसों का तेल 150 मिली, हल्दी पाउडर 1 चम्मच, सिरका 50 मिली, गुड़ 200 ग्राम

विधि-

  • बेबी कार्न को गरम पानी में धोएं, उसके डेढ़ इंच लम्बे टुकड़े काटें और अतिरिक्त जल को हटाएं।
  • सरसों को दरदरा पीसें।
  • पैन में आधा तेल गरम करें और उसमें प्याज तथा लहसुन, अदरक पेस्ट भूनें।
  • सरसों के बीज और नमक को छोड़कर, सभी मसाले मिलायें।
  • 2 मिनट के लिए पकायें और उसमें सरसों, सिरका, नमक और कटे हुए बेबी काॅर्न मिलायें।
  • अच्छी तरह से मिलायें।
  • आग से हटायें।
  • बाकी बचा हुआ तेल डालें और साफ तथा वायु बंद कंटेनरों में संग्रहित करें और 5-6 दिनों तक धूप में रखें।

9. बेबी कार्न जैम-

बेबी कार्न 500 ग्राम, सेब 500 ग्राम, चीनी 750 ग्राम, पानी 100 मिली., सिट्रिक एसिड 5 ग्राम

विधि-

  • ताजे बेबी कार्न को गरम पानी में के साथ धोएं, काटें और पानी के बिना मिक्सर में अच्छी तरह से पीसें ।
  • सेब धोयें और पीसें।
  • सेब और बेबी कार्न की पेस्ट मिलाएं।
  • सिट्रिक एसिड और चीनी मिलाएं और इसे 5 मिनट के लिए बंद करके रख दें।
  • तेज आंच पर बीच-बीच में हिलाते हुए पकायें।
  • गाढ़ा होने तक पकायें।
  • शीट टेस्ट करें यदि सकारात्मक है तो आंच बंद कर दें।
  • साफ वायु बंद कंटेनर में गरम ही भर दें।
  • इनके अलावा भी बेबी कॉर्न के अन्य कई व्यंजन बनाऐ जा सकते है।

विपणन अवसर

बेबी काॅर्न के लिए वर्तमान में घरेलू बाजार की अपेक्षा निर्यात अधिक आकर्षक है। भारत में ऐसी अनेक खाद्य प्रसंस्करण कम्पनियां हैं जो बेबी कार्न के निर्यात में प्रवेश कर रही हैं।

बेबी कार्न की खेती करने के इच्छुक किसानों को इन कम्पनियों के सम्पर्क में आने की कोशिश करनी चाहिए तथा कम्पनियों की ओर से ठेके पर खेतों का कार्य शुरू करना चाहिए। कम्पनियां किसानों की खेती की जानकारी के साथ साथ उच्च गुणवत्ता के निवेश-संकर बीजों सहित-प्रदान करती हैं।

उसके बाद वे किसानों से पूर्व निर्धारित कीमतों पर हाइब्रिड मक्का वापस खरीद लेती हैं। इस प्रकार बेबी कार्न की मार्किटिंग की समस्या का भी समाधान किया जाता है।

किसानों के लिए सुझावः

  • बडें पैमाने पर बेबी काॅर्न के रोपण से पहले एक छोटे प्लांट का रोपण किया जाना चाहिए जिससे कि यह निर्धारित किया जा सके कि उस क्षेत्र के लिए कौन सी किस्में सबसे उत्तम हैं और वे कटाई, भण्डारण और विपणन की तकनीकों से परिचित हो जायें।
  • बेबी कार्न के उत्पादन के लिए मक्के की किस्म को चुनने में उपज की अपेक्षा कार्न की गुणवत्ता और उसका दिखना अधिक महत्वपूर्ण है।
  • यदि पास में बाजार नहीं है तो बेहतर परिणामों के लिए बेबी कार्न के प्रसंस्करण का प्रयोग करना चाहिए।
  • कृषि जलवायु परिस्थितियों के आधार पर दो से चार फसलें तैयार की जा सकती हैं।
  • ऐसे किसान जो की नाइट्रोजन उर्वरकों की उच्च दर का इस्तेमाल करने का खर्च वहन नहीं कर सकते। वे भी 75,000 पौधे/ हैक्टेयर की संख्या घनत्व के साथ फसल में 50 किग्रा/ नाइट्रोजन/ हैक्टेयर का प्रयोग करके 40,000 रू0 तक का लाभ तब भी कमा सकते हैं।

अभिस्वीकृति:- विजय कुमार श्रीवास्तव, अंतर्राष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र, नई दिल्ली-110012


Authors

अम्बिका राजेंद्रन1, दण्डपाणि राजू1, मधुलिका2, दीपक कुमार सिंह2

1भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा कैंपस, नई दिल्ली – 110012

2सीएसआईएसए प्रोजेक्ट, अंतर्राष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र नई दिल्ली – 110012

Email: rambikarajendran@gmail.com

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