Crop Cultivation

उन्नत शस्य क्रियाओ द्वारा चने की खेती चना एक दलहनी व औषधीय गुण वाली फसल हैं। इसका उपयोग खून प्यूरिफिकेशन में होता हैं। चने में 21.1% प्रोटीन 61.1% कार्बोहाइड्रेट 4.5% वसा एवं प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, लोहा एवं नियासिन पाये जाते हैं। उत्तर प्रदेश के बाद चना उत्पादन करने में राजस्थान का नाम आता हैं। इसके प्रमुख जिले गंगानगर, अलवर, कोटा, जयपुर व सवाईमाधोपुर हैं। सबसे ज्यादा चने का उत्पादन गंगानगर जिले में होता हैं। राज्य का आधे से ज्यादा चना इन्ही जिलों में उत्पन्न किया जाता हैं। चना दलहनी फसल होने के कारण यह भूमि में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को बढ़ाती हैं। इसके अलावा चने के पोधों की जड़ों में पायी...

तुलसी की वैज्ञानिक खेती और उसका महत्व  तुलसी का बैज्ञानिक नाम ओसिमुम तेनुइफ़्लोरुम (ऑसीमम सैक्टम) है| तुलसी लेमिएसी कुल का पौधा है|एक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। यह झाड़ी के रूप में उगता है और 1-3 फुट ऊँचा होता है। इसकी पत्तियाँ बैंगनीएबम हरी आभा वाली हल्के रोएँ से ढकी होती हैं। पत्तियाँ 1-2 इंच लम्बी सुगंधित और अंडाकार या आयताकार होती हैं। पुष्प मंजरी अति कोमल एवं 5-7  इंच लम्बी और बहुरंगी छटाओं वाली होती है, जिस पर बैंगनी और गुलाबी आभा वाले बहुत छोटे हृदयाकार पुष्प चक्रों में लगते हैं। बीज चपटे पीतवर्ण के छोटे काले चिह्नों से युक्त अंडाकार होते हैं। नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल...

अमरूद की अति सघन बागवानी अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। इसका उत्पत्ति स्थान पेरू (दक्षिण अमेरिका) है। क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से देश में उगाये जाने वाले फलों में अमरूद का चौथा स्थान है। यह “विटामिन सी” का मुख्य स्त्रोत है। अमरूद पोषक तत्वों का एक बहुत अच्छा और सस्ता स्रोत है। इसका उपयोग ताजा खाने के अतिरिक्त इससे जैम, जेली, नेक्टर, चीज और टॉफी इत्यादि बनाया जाता है। अपनी बहुउपयोगिता एवं अपने उत्तम पौष्टिक गुणों के कारण अमरूद आज सेब से भी अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है।  अमरूद में पाये जाने वाले मुख्य पोषक तत्व - मुख्य तत्व मात्रा प्रति 100 ग्राम फल पानी प्रोटीन वसा खनिज पदार्थ विटामिन-सी कार्बोहाइडे्टस कैल्सियम फास्फोरस रेशा 76.1 प्रतिशत   1.5  प्रतिशत   0.2  प्रतिशत   7.8 ...

 इशबगोल के औषधीय गुण तथा उसका उत्पादन  इशबगोल एक प्रकार का औषधीय पौधा होता है,यह अधिकतर मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाया जाता है| यह भारत में मालवा एवं सिंध, अरब की खाड़ी और पर्शिया में पाया जाता है| इशबगोल को आयुर्वेद में अश्व्गोल या अश्वकर्ण  के रूप में जाना जता है, जिसका शाब्दिक अर्थ “घोड़े की तरह कान है| इशबगोल का वैज्ञानिक नाम प्लैन्तेगो ओवाटा  (Plantago ovata) तथा कुल प्लैंतिजिनेसी है| इशबगोल एक प्रकार की झाड़ी होती है जिसके पत्तें धान के पत्तों जैसे और डालियाँ पतली होती है| इसबगोल के बीज छोटे-छोटे नुकीले और बादामी रंग के होते हैं| प्रतेक बीज के ऊपर एक पतला सफ़ेद रंग का आवरण होता है जिसे औषधीय प्रयोग...

सरसों की उन्‍नत किस्में और उसकी वैज्ञानिक खेती  सरसों रबी में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। इसकी खेती सिचिंत एवं संरक्षित नमी द्वारा बारानी क्षेत्रों में की जाती हैl राजस्थान का देश के सरसों के उत्पादन में प्रमुख स्थान है। सरसों की खेती मुख्‍यत: तेल के लि‍ए की जाती हैै जि‍से लहटा सरसों कहते है । सरसों का उत्‍पादन साग सब्‍जी व सलाद के लि‍ए भी कि‍या जाता है पत्‍ति‍यों के लि‍ए उगाई जाने वाली सरसों को गोभी सरसों या मीठी सरसों या जापानीज सरसों भी कहते है।  इसकी पत्तियां बड़ी-बड़ी मुलायम तथा स्वदिष्ट होती हैं जो कि बोने के 20 दिन के बाद मिलने लगती हैं । सरसों की उन्‍नत किस्मेें किस्म पकने...

शीतकालीन गेंदे की व्यावसायिक खेती कैसे करें भारतवर्ष में गेंदा हर घर में हर मौके पर इस्तेमाल होने के कारण अब यह एक व्यावसायिक नकदी फसल बन गया है। यह फूल सजावटी गमलों में भी प्रयोग किया जाता है साथ ही यह गमलों की दहलीज पार कर बड़े बड़े खेतों में पहुंच गया है। गेंदा की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह वर्ष के बारहों महीनों फूल देता है। जिन महीनों मे कोई अन्य फूल नहीं मिलते हैं उन दिनों में भी गेंदा का फूल सहज ही उपलब्ध होता है। गेंदा हर मौसम में प्राप्त होने के साथ साथ इसकी दूसरी विशेषता है कि यह कई दिनों तक ताजा बना रहता है।...

चीकू की खेती करने की आधुनिक तकनीक चीकू ( Chiku ) या सपोटा (Sapota), सैपोटेसी कुल का पौधा है। भारत में चीकू अमेरिका के उष्ण कटिबन्धीय भाग से लाया गया था। चीकू का पक्का हुआ फल स्वादिष्ट होता है। चीकू के फलों की त्वचा मोटी व भूरे रंग का होती है। इसका फल छोटे आकार का होता है जिसमें 3 - 5 काले चमकदार बीज होते हैं। चीकू की खेेती फल उत्‍पादन तथा लेटेक्स उत्पादन के लिए की जाती है। चीकू के लेटेक्‍स का उपयोग चूइंगम तैयार करने के लिए किया जाता है। भारत में चीकू की खेती मुख्यत: फलों के लि‍‍‍ए की जाती है। चीकू फल का प्रयोग खाने के साथ-साथ...

बहुपयोगी सहजन (मोरिंगा) - एक चमत्कारी वृक्ष  सहजन को ड्रमस्टिक (Drumstick) या मोरिंगा (Moringa) के नाम से जाना जाता है। मोरिंगा तमिल शब्द मुरुंगई से बना है जिसका अर्थ त्रिकोणीय मुड़ी हुआ फल है। मोरिंगा ओलीफेरा उल्लेखनीय तेजी से बढ़ने वाले वृृृृक्ष हैै। ये असाधारण पोषण सामग्री के कारण अत्यधिक मूल्यवान पेेेड है। यह वृक्ष उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तेजी से बढ़ता है। सहजन के फायदे गुण लाभ अनेक है। सहजन के पेड़ पर सामान्‍यत: वर्ष में एक बार फूल और फिर फल लगते हैं। इसका फल पतला लंबा और हरे रंग का होता है जो पेड़ के तने से नीचे लटका होता है। इसका पौधा 4 - 6 मीटर उंचा होता...

फूलगोभी और पत्तागोभी की उत्पादन तकनीक सर्दी के मौसम में गोभी वर्गीय सब्जियों में विशेषकर फूलगोभी और पत्तागोभी का महत्वपूर्ण स्थान है। इनमे विटामिन ए, सी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और अन्य खनिज पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है। इनमे कुछ औषधीय गुण भी पाये जाते है जो कैंसर रोधी होते है। सब्जी के अलावा इनका उपयोग सूप और आचार बनाने में भी किया जाता है। गोभी वर्गीय सब्जियों के लि‍ए जलवायु: गोभी वर्गीय सब्जियों के लिए ठंडी और नम जलवायु की आवश्यकता होती है। अधिक गर्मी और शुष्क स्थिति में इन सब्जियों की गुणवत्ता खराब हो जाती है। ये अधिक ठंड को सहन कर सकती है। भूमि की तैयारी: गोभी की अच्छी पैदावार...

पि‍पली: तेल खजूर के बडे बागानों के लि‍ए आर्दश अंत:फसल   Java long pepper (Piper chaba Hunter syn. Piper retrofractum Vahl.) is one among Panchakola group of spices. Its fruits and roots are used in preparation of ayurvedic medicines for treating indigestion, abdominal colic, poisoning, haemorrhoids, anorexia etc. It is native of South and South East Asia and commonly seen in Assam, Tripura and West Bengal in India. Because of medicinal and aromatic properties, its commercial production is picking up as an inter crop in coconut, areca nut and oil palm gardens in South India. It is perennial with climbing growth habit and performing satisfactorily even under dense shade (75%) of oil palm....