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उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिये गेहूँ की उन्नतशील प्रजातियाँ एवं उत्पादन तकनीकियाँ विश्व स्तर पर भारत गेहूँ उत्पादन में दूसरे स्थान पर है एवं कुल खाद्य पदार्थों के उत्पादन में 34 प्रतिशत योगदान करता है। वर्ष 1964-65 के दौरान देश में गेहूँ का उत्पादन महज 12.3 मिलियन टन था जो कि 2020-21 के दौरान 108.75 मिलियन टन (तृतीय आग्रिम अनुमान) तक पहुँच गया है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हमें मजबूत शोध कार्यों और संगठित प्रसार कार्यक्रमों के द्रारा ही संभव हुई है। कृषि जलवायु स्थिति के व्यापक विविधता के आधार पर भारत को 5 विभिन्न क्षेत्रों मे बाँटा गया है जोकि उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों (12.62 मिलियन हैक्टर), उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों...

Wheat grain, treasure for health विभिन्न प्रकार की जलवायु, मृदा एवं उत्पादन दशाओं में उगाई जाने वाली गेहूँ एक विश्वव्यापी महत्वपूर्ण फसल है। विश्वस्तर पर मनुष्यों के लिए पारम्परिक, प्राकृतिक, फाइबर से भरपूर एवं उर्जादायक भोजन की बढ़ती मांग की आपूर्ति के लिए गेहूँ को खाद्य पदार्थ के रुप में उपयोग किया जाता है। भारत में उत्पादित कुल खाद्यान्न में 36.7प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ खाद्य टोकरी की खपत में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा गेहूँ को बड़े पैमाने पर खरीदा जाता है, जिसे भारत की अधिकांश आबादी को खाने के लिए वितरित किया जाता है। अनाजों से मिलने वाली ऊर्जा में गेहूँ...

Wheat's contribution in prevention of malnutrition विश्व में गेहूँ सबसे व्यापक रूप से खेती की जाने वाली खाद्यान्न फसल है। यह दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी के लिए कुल आहार कैलोरी एवं प्रोटीन का 20 प्रतिशत योगदान देने वाला एक मुख्य भोजन है। भारत में उत्पादित कुल खाद्यान्न में 36.7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ खाद्य टोकरी की खपत में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है। खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा गेहूँ को बड़े पैमाने पर खरीदा जाता है, जिसे खाने के लिए अधिकांश आबादी को वितरित किया जाता है। अनाजों से मिलने वाली ऊर्जा में गेहूँ सबसे सस्ते स्रोतों में से एक है, इसकी खपत से प्रोटीन (20...

गेहूँ उत्पादन की टिकाऊ एवं प्रभावी प्रौद्योगिकियाँ भारत में गेहूँ लगभग 31.17 मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल पर उगाया जाता है जो कुल फसल क्षेत्रफल का 24.94 प्रतिशत है। जिसमें पाँच कृषि जलवायु क्षेत्र उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र, उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र, उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र एवं प्रायद्वीपीय क्षेत्र शामिल हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान इन क्षेत्रों का कुल खाद्यान्न उत्पादन में 36.79 प्रतिशत का योगदान है। गेहूँ दुनिया भर के सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से एक है। यह लगभग 250 करोड़ से अधिक लोगों का मुख्य भोजन है, इससे दुनिया भर में खपत होने वाले प्रोटीन के 20 प्रतिशत हिस्से की पूर्ति होती है। गेहूँ भारत वर्ष की एक प्रमुख खाद्यान्न...

गेहूं में गुणवत्ता बीज उत्पादन तकनीक Wheat is the major stable food it is widely grown in the world, wheat grain contains carbohydrate (60-70%), protein (10-12%), fat (1.5-2.0%), minerals (1.8%)and other essential nutrients. It is an annual, long day and self-pollinated belong to the family Poaceae. Quality characteristics which are important for flour protein concentration, rheological properties, bread-making and milling quality. In the world third position after rice and maize in production and cultivated area. Land requirements: land requirement for the seed production should be free from weed, volunteer plants and other diseases contamination. It should be well drained, soil neither alkaline nor acidic, wheat crop was not sown in the previous year. Source of...

बीजोपचार - गेहूँ की स्वस्थ फसल का आधार  भारत में उगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलों में गेहूँ एक प्रमुख फसल है जो समस्त भारत में लगभग 30.31 मिलियन हैक्टर क्षेत्रफल पर उगाई जाती है जो कुल फसल क्षेत्रफल का लगभग 24.25 प्रतिशत है । फसल सत्र 2019-20 के दौरान भारत में 107.59 मिलियन टन गेहूँ का उत्पादन हुआ । कृषि उत्पादकता और उत्पादन में निरंतर वृद्धि के लिए बीज एक महत्वपूर्ण आवक है क्योंकि लगभग 90 प्रतिशत खाद्यान्न फसलें बीज से ही तैयार की जाती हैं । कृषि क्षेत्र में बीज की भूमिका का भारत जैसे विकासशील देश में बहुत महत्व है जहाँ की जनसंख्या मूलभूत आवश्यकताओं और रोजगार के लिए कृषि...

गेहूँ के बीज जनित रोग Wheat is the second most important cereal crop in India after Rice. Being one of the most important staple crop, it fulfils major nutrition requirement of the human population since times immemorial. Seed borne diseases of wheat viz., Karnal bunt (Tilletia inidica), loose smut (Ustilago nuda tritici), head scab (Fusarium spp) and tundu or ear cockle (Clavibacter tritici and Anguina tritici) are major constraints affecting both quality and quantity of the wheat grain production leading to low market prices. Besides affecting quality, several diseases may have toxic effect on human beings and animals due to the toxins produced by pathogens. Infected wheat seeds can be carried to long...

Karnal Bunt Disease of Wheat गेहूँ का यह रोग सर्वप्रथम 1931 में करनाल (हरियाणा) से रिपोर्ट किया गया था तथा वर्तमान में विश्व के अन्य देशों में भी पाया जाता है | भारत में यह रोग अधिक तापमान तथा उष्ण जलवायु वाले राज्यों जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात तथा मध्यप्रदेश में नहीं पाया जाता। भारत के अपेक्षाकृत ठंडे प्रदेशों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के मैदानी इलाके पंजाब, हरियाणा,उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी राजस्थान में गेंहू की फसल मे करनाल बंट रोग का प्रकोप अधि‍क होता है | करनाल बंट रोग से हर वर्ष गेहूं की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है । वैज्ञानिकों ने गेहूं में करनाल बंट रोग...

गेहूँ उत्पादन की आधुनिक सस्य तकनिकी  देश में लगभग 3.02 करोड़ हेक्टेअर क्षेत्रफल से 9.68 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हो रहा है। देश की बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु वर्ष 2030 के अन्त तक 28.4 करोड़ टन गेहूँ की आवश्यकता होगी। इसे हमे प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण, भूमि, जल एवं श्रमिक कमी तथा उत्पादन अवयवों के बढ़ते मूल्य के सापेक्ष प्राप्त करनी होगी। उत्तर प्रदेश के वर्ष 2001-02 से वर्ष 2016-17 के गेहूँ उत्पादन एवं उत्पादकता के आंकड़ो से स्पष्ट है, कि इसमें एक ठहराव सा आ गया है। जिसको हम मुख्य रूप से उन्नतशील बीज, पोषक तत्व, नाशीजीव, खरपतवार एवं जल प्रबन्ध को एक साथ समायोजित कर ही...

वैज्ञानिक खेती के उन्‍नत तरीकों को अपनाकर गेहूं का उत्पादन बढ़ाऐं  भारत में गेहूँ की खेती करीब 27 मिलियन हेक्टेयर में होती हैं, विगत 40 वर्षों में देश में गेहूँ उत्पादन में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की हैं और भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक देश बन गया हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या को ध्यान में रखकर इस बात का अनुमान लगाया जा रहा हैं की अन्न की मांग प्रतिवर्ष 2% बढ़ेगी। इस मांग को पूरा करने के लिए उत्पादकता को बढ़ाना होगा, क्योंकि क्षेत्रफल के बढ़ने की संभावना नहीं के बराबर हैं। राजस्थान में गेहूँ का उत्पादन एवं उसका लाभांश, खेती की लागत के अनुरूप नहीं हैं। उन्नत तकनीको के प्रयोग...