Crop Cultivation

भारत में आलू के आनुवंशिक संसाधन आलू की उत्पत्ति दक्षिणी पेरू के ऊंचाई वाले इलाकों में 10,000 साल पहले जंगली प्रजाति सोलनम ब्रेविकॉउल से हुई है। आलू, जीनस सोलनम और खंड पेटोटा से संबंधित है जिसमें लगभग 2000 प्रजातियाँ सम्‍मिलित हैं। आलू की वन्य प्रजातियाँ दक्षिण पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका से मध्य अर्जेंटीना और चिली के बीच 2000 से 4000 मीटर की ऊँचाई मौजूद पर हैं। ऑटो और एलोपॉलीप्लोईडी और अंतर-विशिष्ट संकरण के कारण आलू का वर्गीकरण जटिल है। वर्तमान में चार संवर्धित (क्ल्टीवेटिड) और लगभग 110 वन्य/जंगली कंद- धारक सोलनम प्रजातियां उपलब्ध हैं। आज, आलू 149 देशों में  समुद्र तल से 4000 मीटर की ऊंचाई पर उगाए जाते हैं। वन्य आलू में...

मिर्च की पौध की तैयारी व देखभाल मिर्च की खेती पौध तैयार कर के की जाती है। अच्छे और स्वस्थ पौध अच्छी खेती का आधार होती है। पौध की तैयारी पौधशाला या नर्सरी में की जाती है। इसके लिए जगह का चुनाव बहुत मत्वपूर्ण है। पौधशाला ऐसी जगह पर होना चाहिए जहाँ छाँव न हो और पर्याप्त मात्रा में धूप उपलब्ध हो। पौधशाला का क्षेत्र सीमित होना चाहिए ताकि देखभाल आसान हो। पौधशाला की मिट्टी उपजाऊ और दोमट होनी चाहिए जहाँ जल निकासी की व्यवस्था हो। अगर पौधशाला की भूमि ऊंचाई पर हो तो अच्छा है जिससे वर्षा काल में पानी ठहरने का भय न हो साथ ही साथ सिंचाई की व्यवस्था...

सहजन (मोरिंगा ओलीफेरा): भेंड़ व बकरी के लिए पौष्टिक हरा चारा विकासशील देशों में जुगाली करने वाले छोटे पशु जैसे भेंड़ व बकरी की मांग बढ़ रही है। भारत  में भेड़ और बकरी की आबादी विश्व में तीसरे और दुसरे स्थान पर है। चरागाह भूमि के सिकुड़न और छोटे जुगाली करने वाले पशुओं की आबादी में वृद्धि, गुणवत्ता वाले हरे चारे की सीमित या अनुपलब्धता है जो इन पशुओं की उत्पादकता में बाधा उत्पन्न करने वाला एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा, उपलब्ध चारा पोषक तत्वों में बहुत खराब है, इनमे रेशा की मात्रा सर्वाधिक होती है, जिससे इसका स्वैच्छिक सेवन और इसे पचाने की शक्ति कम हो जाती है जिसके परिणाम...

बदलते परिदृश्य मे धान की सीधी बुवाई खाद्यान्न फसलों में धान अनाज वाली फसलों में दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है। देश की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए देश में धान का उत्पादन लक्ष्य बढ़ाना अति आवश्यक है। भारत विश्व का सबसे अधिक क्षेत्रफल में धान उगाने वाला देश है। जिसका कुल उत्पादन 117 मिलियन टन है देश में लगभग 43.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। धान की फसल भारत में मुख्य रूप से वर्षा आधारित होती है। धान की खेती मुख्य रूप से पौध तैयार कर रोपण विधि से की जाती है। रोपित धान में निश्चित रूप से...

ग्वार की वैज्ञानिक खेती तकनीक दलहन फसलों में ग्वार (क्लस्टर बीन) का विशेष योगदान है। यह गोंद (गम) और अन्य उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण औद्योगिक फसल है। ग्वांर का उपयोग हरे चारे एंव इसकी कच्ची फलियों को सब्जी के रूप में किया जाता है। इसकी खेती राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में की जाती है। भारत में राजस्थान ग्वार के क्षेत्र और उत्पादन में पहले स्थान पर है। ग्वार से ग्वार गम का उत्पादन होता है और जिसका निर्यात किया जाता है। इसके बीजों में 18 प्रतिशत प्रोटीन, 32 प्रतिशत फाइबर और भ्रूणपोष में लगभग 30-33 प्रतिशत गम होता है । खेत का चुनाव एंव तैयारी ग्वार की खेती मध्यम से हल्की बनावट...

बाजरे की वैज्ञानिक तरीके से खेतीे बाजरा गरीब का भोजन कहा जाता है। मोटे दाने वाली खाद्यान फसलों में बाजरे का महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी खेती दाने व चारे दोनो के लिए कि जाती है। शुष्क व कम वर्षा वाले क्षैत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है। और यह राजस्थान की मुख्य फसल है। बाजरे का 90 प्रतिशत क्षैत्रफल राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उतर प्रदेश, एवं हरियाणा राज्यों के अन्तर्गत आता है। बाजरे के दानों में लगभग 12.4 प्रतिशत नमी, 11.6 प्रतिशत प्रोटीन, 5.0 प्रतिशत वसा, 67.0 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट एवं 27.0 प्रतिशत लवण होते है। खेत कि तैयारी:- खेत की तैयारी फसल की समय से बुवाई सुनिश्चित करती है। खेत की तैयारी इस प्रकार...

आधुनिक पशु आहार में अजोला का योगदान  राजस्थान की अर्थव्यस्था में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है तथा पशुपालन कृषि का एक महत्वपूर्ण भाग है। पशुपालन किसानो को विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर प्रदान करता है  जिससे किसानो की आय में वर्द्धि होती है एवं उनकी अर्थवयवस्था में भी  सुधार होता है। अजोला पशुओ के लिये जैविक चारे का काम करता है जिससे उनके दूध में बढ़ोतरी होती है और दूध की गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होती है अजोला एक जलीय फर्न है, जो पानी में तेजी से  बढ़ती है एवं पानी की सतह पर तैरती रहती है धान की फसल में अजोला को भी नील हरित शैवाल की तरह हरी...

गेलार्डीया की उन्नत खेती  मानव जीवन में फूलो का जो महत्व है, वो किसी से भी छिपा हुआ नहीं है | मानव जीवन की शुरुआत फूलो के साथ होती है, मानव फूलो के साथ रहता है तथा मरता भी फूलो के साथ ही है | मानव जीवन में फूलो का उपयोग कई रूपों में किया जाता है | फूलो के उपयोग धार्मिक रीती रिवाजो में घर आँगन को सजाने में तथा मानव शरीर को सजाने के लिए भी किया जाता है | भारत में फूलो की खेती की अपार संभावनाएं है ऐसे में यदी किसान भाई अन्य फसलों के साथ साथ फूलो को भी उगाते है तो किसानो को अधिक मुनाफा हो...

गागर निम्बू की खेती गागर निम्बू जिसे अंग्रेजी में पोमेलो कहा जाता है, तथा जिसका वैज्ञानिक नाम साइट्रस मैक्सिमा है, साइट्रस जाति का सबसे बड़ा फल है| साइट्रस फलों का एक बड़ा जाति है| जिसमे कई प्रमुख फलों कि प्रजाति शामिल हैं, उनमे से संतर और गागर निम्बू प्रमुख प्रजाति हैं| जीन अनुक्रम के आधार पर संतरा (साइट्रस चीनेंसिस),  गागर निम्बू (साइट्रस मक्सिमा) तथा मैंडरिन (साइट्रस रेटिकुलाटा) के बीच का एक संकर है| इसकी संरचना मूलतः संतरा जैसी होती है जो पूर्णतः पक जाने पर बाहरी छिलका पीला तथा अन्दर की पेशियां गुलाबी,लाल अथवा उजाले रंग की होती हैं| परन्तु इसका बाहरी छिलका संतरा की तुलना में मोटा होता है और पेशियां...

चारे की पौष्टिकता बढाने हेतु महत्वपूर्ण घरेलु चारा उपचार विधियां पशुओं से अधिकतम दुग्ध उत्पादन प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रर्याप्त मात्रा में पौष्टिक चारे की आवश्यकता होती है। इन चारों को पशुपालक या तो स्वयं उगाता हैं या फिर कहीं और से खरीद कर लाता है। गायो को केवल सुखा चारा विशेषतौर से गेहू का सुखा चारा खिलाकर स्वस्थ नहीं रखा जा सकता है। सूखे चारे में पोष्टिक तत्वों का अभाव रहता है । स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर से सम्बद्ध कृषि विज्ञान केन्द्र, पोकरण के डॉ रामनिवास ढाका,विषय विशेषज्ञ (पशुपालन) ने बताया की ऐसा चारा खिलाने से पशुओ में उर्जा व अन्य पोषक तत्वों की कमी आने लगती है...