Crop Cultivation

अमरूद के पुराने वृक्षों तथा बागो का जीर्णोद्धार अमरूद पोषक तत्त्वों से भरपूर एवं स्वादिष्ट फल है। देश के प्राय: सभी उष्ण तथा उपोष्ण क्षेत्रों में अमरूद की खेती की जाती है। अमरूद के पौधे लगाने के 3-4 वर्षों के बाद फल देने लगते हैं और 25-30 वर्षों तक फल देते रहते हैं। अमरूद के बाग , पुराने होने पर उत्पादन कम होने के साथ ही घने भी हो जाते हैं। ऐसे में ये वृक्ष किसानों के लिए लाभदायक नहीं रह जाते हैं। पुराने एवं अनुत्पाद्क वृक्षों को दो वर्ष में जीर्णोद्धार द्वारा ठीक किया जा सकता है। जीर्णोद्धार के माध्यम से पुन: आगामी 10-15 वर्षों तक उत्पादन ले सकते हैं। अमरूद के...

 लोकप्रिय दलहनी फसल मसूर की खेती  मसूर बिहार की बहुप्रचलित एवं लोकप्रिय दलहनी फसल है तथा इसका कुल क्षेत्रफल 1.71 लाख हे0 एवं औसत उत्पादकता 880 किलोग्राम/हे0 है। मसूर की खेती, भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखने मेें सहायक होती है। असिंचित क्षेत्रों के लिए अन्य रबी दलहनी फसलाेें की उपेक्षा मसूर अधिक उपयुक्त हैं। मसूर उगाने के लि‍ए मि‍ट्टी- दोमट मिट्टी मसूर के लिए सर्वोतम पायी जाती है। मिट्टी भुरभूरी होना आवश्यक है। इसलिए 2-3 बार देशी हल अथवा कल्टीवेटर से जुताई कर ऐसी अवस्था प्राप्त किया जा सकती है। उन्नत प्रभेद या प्रजाति‍यॉं: ऽ     छोटे दाने वाले प्रजातियाँ: पी.एल.-406, पी.एल. 639, एच.यु.एल. 57 ऽ     बड़े दाने वाले प्रजातियाँ: अरूण, मल्लिका, आई.पी.एल.406 ऽ     अन्य प्रभेद: शिवालिक,...

मुख्य दलहनी फसल चने की खेती चना बिहार के मुख्य दलहनी फसल है। इसकी खेती रबी के मौसम में होती है। चना की  बिहार में 58 हजार हे0 क्षेत्र में खेती की जाती है एवं इसकी औसत उत्पादकता 1015 किलोग्राम प्रति हे0 है। चना प्रोटीन का प्रमुख स्त्रोत है। इसके उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि लाकर कुपोषण की समस्या के समाधान में भी चना महत्वपुर्ण योगदान करने में समर्थ है। उन्नत किस्मों का चयन, ससमय बुआई, उन्नत तकनीक वाली सस्य क्रियाओं का उपयोग, राइजोबियम कल्चर एवं पी0एस0बी0से बीजोपचार, समुचित उर्वरता प्रबंधन, कीट ब्याधि एवं खरपतवार प्रबंधन तथा आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई सेे इसकी उत्पादकता में दुगूनी तक वृद्धि लायी जा सकती है। चना उगाने के...

अगेती फूलगोभी में उत्तम पौध उत्पादन की तकनीकी  फूलगोभी जाड़े के मौसम में उगायी जाने वाली एक प्रमुख सब्जी फसल है। यह विभिन्न पोषक तत्वों (पोटेशियम, सोडियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस आदि) और जैव-सक्रिय पदार्थो (ग्लूकोसिनोलेट्स) की एक प्रमुख स्त्रोत है। यह पाया गया है कि कुछ ग्लूकोसिनोलेट्स कैंसर से बचाने में सहायक हैं। भारत में फूलगोभी खेती 452 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती हैं और उत्पादन 8499 हजार मीट्रिक टन हैं। अगेती फसल की पैदावार तो थोड़ी कम होती हैं लेकिन अधिक बाजार भाव, कम फसल अवधि और मौजूदा फसल प्रणाली में उत्तम समावेश होने के कारण इसकी लोकप्रियता किसानों में निरंतर बढ़ती जा रही हैं। अगेती फूलगोभी की नर्सरी उगाना एक कठिन कार्य...

विलक्षण गुण सम्पन्न दलहनी फसल अरहर की खेती  अरहर की दाल को तुवर भी कहा जाता है। जो खरीफ की फसल के साथ बोई जाती है।इसकी हरी पत्तियां पशुओं के चारे के रूप में खिलाई जाती है तथा फसल के पकने पर इसकी लकड़ी ईधन के रूप में काम आती है। इसमें खनिज, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, कैल्शियम आदि पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके दानों के ऊपर का छिलका पशुओं के खिलाने के काम आता है। दलहन प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है जिसको आम जनता भी खाने में प्रयोग कर सकती है, लेकिन भारत में इसका उत्पादन आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। यदि प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ानी है तो दलहनों का...

उच्चहन (डॉड़) भूमि में सूरन की खेती  जिमी कंद को सूरन या ओल के नाम से जाना जाता है। इसकी खेती सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में आसानी से हो सकती है। असिंचित भूूूूमि‍ में भी इसकी खेती की जा सकती है और सिंचाई सुविधा होने पर अन्य फसलों की तुलना में अत्यधिक लाभदायक है। इसकी खेती करने के लाभ निम्न हैं। यह 9-12 महीनों की फसल है। इसे सब्जी वाली फसल, कंदीय फसल या औषधीय फसल तीनों रूप में उपयोग कि‍या जा सकता है। इसकी मांग हमेशा बनी रहती है अतः दाम अच्छा मिलता है। यह एक ऐसी फसल है जिसे किसान अपनी आवश्यकतानुसार कभी भी विक्रय कर सकता है। मेड़ो में लगाने के लिये यह अत्यंत उत्तम फसल है। इसके...

प्रचुर मात्रा में मसूर उत्पादन के लिए उन्नत खेती  रबी मौसम में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में मसूर का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इसके दानों में 24-26% प्रतिशत प्रोटीन, 3% प्रतिशत वसा, 2% प्रतिशत रेशा, 57% प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, कैल्सियम 68 मिली ग्राम/ 100 दाने, स्फुर 300 मिलीग्राम / 100 दाने, लौह तत्व 7 मिलीग्राम / 100 दाने, विटामिन C 450 IU पाई जाती है।  इन विशेषताओ के कारण इसका उपयोग दाल के अलावा अन्‍य कई प्रकार के व्यंजनों में , पूर्ण दाने या आटे के रूप, में किया जाता हैं। मसूर की खेती के लि‍ए भूमि एवं खेत की तैयारीः- मसूर की खेती प्रायः सभी प्रकार की भूमियों मे की जाती है। किन्तु दोमट एवं बलुअर दोमट भूमि सर्वोत्तम होती...

 गेहूं की प्रचुर फसल के लिए वि‍शेषज्ञ सलाह  1. यदि खेत पूर्ण रूप से समतल नही है तो लेज़र लैंड लेवेलेर की सहायता से खेत को समतल कर लेना चाहिए| कम पानी उपलब्धता की स्तिथि में भी समतल खेतो में फसल रक्षक सिंचाई की जा सकती है | यदि प्रयाप्त सिंचाई जल उपलब्ध भी है तो खेत समतलीकरण पानी, सिंचाई का समय, बिजली इत्यादि बचाने और पैदवार बढ़ाने में मददगार साबित होता है | 2. यदि खेत में नमी कम है तो बिजाई से पहले बीज को पानी में भिगोकर फिर सुखाकर (नल के पानी में रात भर भिगोकर) उपयोग करें। यह प्रकिर्या जिसे बीज प्रईमिंग कहते है,  अंकुरण की सुविधा प्रदान करेगा और...

साइलेज: वर्ष भर हरे चारे का विकल्प  हरे चारे की कुट्टी करके वायु रहित (एनारोबिक) परिस्थितियों में 45 से 50 दिन तक रखने पर किण्वन प्रक्रिया द्वारा हरे चारे को संरक्षित करना ही “साइलेज” बनाना कहलाता है । आम भाषा में इसे “चारे का अचार” भी कहा जाता है क्योंकि इससे हरे चारे को साल भर संरक्षित करके रखा जा सकता है । साइलेज की पौष्टिकता भी चारे की तरह बरकरार रहती हैं क्योंकि किण्वन प्रक्रिया से चारे में उपस्थित चीनी या स्टार्च लैक्टिक अम्ल में बदल जाता है, जो चारे को कई वर्षो तक ख़राब होने से बचाए रखता है। दुधारू पशुओं को वर्ष भर हरे चारे की आवश्यकता होती है परन्तु...

गेहूँ में पूर्व-प्रजनन: संभावनाएं एवं चुनौतियां Pre‐breeding refers to all the activities designed to identify desirable characteristics and/or genes from un-adapted materials that cannot be used directly in breeding populations and to transfer these traits to an intermediate set of materials that breeders can use further in developing new varieties. Crop wild relatives have a high level of genetic diversity with rare alleles that enabled them to survive in natural and adverse environments. Most plant breeders fear in using exotic or un-adapted material due to its initial detrimental effects like linkage drag on elite breeding material. It is a necessary first step in the use of diversity arising from wild relatives and...