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Tractor maintenance and precautions ट्रैक्टर एक बहुत ही उपयोगी शक्ति का साधन है तथा इसमें लागत भी काफी ज्यादा लगती है जो कि किसानों को हर स्तर पर काम आता है। अतः इसकी देखभाल भी समय-समय पर करनी चाहिए। इससे यह लम्बे समय तक  कार्य करता है, कोई बाधा भी नहीं आती तथा यह जल्दी ख़राब भी नहीं होता है। ट्रैक्टर का रख रखाव प्रतिदिन, साप्ताहिक, एवं मासिक रूप से करना चाहिए। किसान को ध्यान रखना चाहिए कि ट्रैक्टर के साथ ही उसकी परिचालन पुस्तिका को लें तथा उसे पढ़कर उसके प्रमुख बिन्दुओं पर सुझाये गए कार्य का अनुपालन करें। अच्छा होगा यदि ट्रैक्टर उपयोग पुस्तिका (लाग बुक) बनायें, जिससे वर्तमान तथा...

How to choose the right water pump for domestic use वर्षों से पानी के पंप हमारे आवासीय सेटअप का एक अभिन्न हिस्सा साबित हुए हैं। इन शक्तिशाली और कुशल उपकरणों की वजह से जमीन के स्तर से पानी को ऊंची इमारतों की ऊपरी मंजिलों तक ले जाना बिना किसी विशेष मानवीय हस्तक्षेप के संभव हो गया है। भूमिगत स्रोतों से पानी निकालने और इसे ओवरहेड टैंक में स्थानांतरित करने के लिए पानी के पंपों का उपयोग ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहा है। एक कुशल पानी का पंप खरीदना न केवल आपको अधिक दक्षता और अच्छा प्रदर्शन प्राप्त करने में मदद कर सकता है, बल्कि ऊर्जा की बचत भी कर सकता...

Agricultural Weather Forecasting and Crop Management किसी भी क्षेत्र का कृषि उत्पादन उस क्षेत्र विशेष में पाये जाने वाले बहुत से जैविक, अजैविक, भौतिक, सामाजिक व आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है। मुख्यत: जैविक व अजैविक कारकों में मुख्य रूप से मौसमी तत्व, मिट्टी का स्वास्थय, जल संसाधन, फसलों के प्रकार व विभिन्न प्रजातियाँ, फसलों में होने वाली बीमारियाँ, कीट इत्यादि का प्रकोप आते है। सामाजिक व आर्थिक कारकों में कृषि प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कारक जैसे: कृषि लागत, संसाधनों का उपयोग, श्रमिकों की उपलब्धता, उर्वरक, रसायन, सिंचाई के जल की उपलब्धता, सरकारी नीतियाँ इत्यादि आते है। इन सभी उत्पादन के लिए जिम्मेदार कारकों में मौसमी कारक सबसे ऊपर आते है। मौसमी...

Some important points for periodic care and safety of tractor and tractor driver ट्रैक्टर एक स्व-चालित मशीन है जिसका उपयोग कृषि मशीन के संचालन के लिए किया जाता है। ट्रैक्टर कई प्रकार के छोटे-छोटे उपकरणों से मिलकर बना है  जो कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि फार्म पर लगभग 90% काम ट्रैक्टर  से किया जाता है। अपने ट्रैक्टर को लंबे समय तक सबसे कम खर्चों में अच्छी तरह से काम करने के लिए और  ट्रैक्टर की दक्षता को नियमित बनाये रखने के लिऍ ट्रैक्टर का समय-समय पर देख-रेख एवं रख-रखाव अति आवश्यक होता है, ट्रैक्टर की समय-समय पर देख-रेख तथा रख-रखाव 10-12 घंटे के फील्ड वर्क के बाद ट्रैक्टर के लिए दैनिक...

भारत में एकीकृत खेती: कार्यक्षेत्र और सीमाएँ Integrated farming system (IFS) involves integration of two or more enterprises with best use of available resources to satisfy maximum needs of the owner which leads to increase in productivity per unit area, efficient recycling of farm wastes, better utilization of resources, generate employment, reduce the risks and ensure sustainability (Biswas and Singh, 2003). Integrated farming system aims at maximizing yield per area per time by virtue of intensification and diversification of crops with integration of allied enterprises. It also ensures nutrient recycling within the system to economize and sustain the system and minimizes the dependence on chemical fertilizers for crop production to earn more...

भारत में शून्य बजट प्राकृतिक खेती के आर्थिक पहलू Zero Budget Natural Farming, as the name implies, is a method of farming where the cost of growing and harvesting plants is zero. This means that farmers need not purchase fertilizers and pesticides in order to ensure the healthy growth of crops. ZBNF is a unique chemical-free method that relies on agro-ecology. It was originally promoted by noted agriculturist Subhash Palekar, who developed it in the mid-1990s. ZBNF promotes the application of jeevamrutha — a mixture of fresh cow-dung, urine of aged cows, jaggery, pulse flour, water and soil-on farmland. Specific Features of ZBNF:- Zero budget natural farming requires only 10 per cent water and 10 per cent electricity than what is required under...

Importance of seed priming in farming  बीजोंपचार प्रक्रियाओं के कारण, बीज का अंकुरण स्वस्थ, प्रचुर और समान होता है। इन बीज प्रक्रियाओं में विभिन्न कारकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि जैविक या रासायनिक कवकनाशी, जीवाणु उर्वरक और कुछ उर्वरक जैसे गिबरेलिन एसिड, मालिब्लेडियम, आदि। सीड प्राइमिंग के कारण अंकुरण कम और अच्छी तरह से होता है। बीज प्राइमिंग क्या है? बीज प्राइमिंग, बीजोपचार की एक सस्ती और बहुत आसान प्रक्रिया है। प्राइमिंग बीजों का पूर्व उपचार है जिसमे बीज को एक निश्चित समय के लिए पानी में भिगोया जाता है, छाया में सुखाया जाता है और फिर बोया जाता है। बीज प्राइमिंग बीजों के नियंत्रित जलयोजन की एक स्तर की प्रक्रिया है...

Crop diversification: a new dimension to increase farmers' income पिछले पांच दशकों में कृषि उत्पादन में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना कृषि विकास के लिए मुख्य विषय था। भारत की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है जहाँ कृषि मुख्य व्यवसाय है। भारत में लगभग 93 प्रतिशत किसानों की जोत का आकर 4 हेक्टर से भी कम है एवं इसकी 55  प्रतिशत भूमि ही कृषि योग्य है। भारत सरकार द्वारा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का निर्धारित लक्ष्य किसान कल्याण को बढ़ावा देने, कृषि संकट को कम करने और किसानों की आय और गैर-कृषि व्यवसाय के श्रमिको के बीच समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कृषि विकास...

राजस्थान मे सतत आय व रोजगार के लिये एकिक्रत कृषि प्रणाली Present context of changing climate, crop production is the most vulnerable enterprise in agriculture to natural disasters. Integration of various agricultural enterprises viz.. crop production, animal husbandry Fishery, forestry etc. have great potentials in the agricultural economy. These enterprises not only supplement the income of the farmers but also help in increasing the family labor employment. A major section of farming community in the country is in the category of small and marginal farmers with limited resources. These resource poor farmers are most affected by the changing climatic conditions like delayed, low and erratic rainfall. India is a hot spot of variability in...

औषधि के रूप में प्याज का प्राकृतिक और अद्भुत उपयोग प्याज एक महत्वपूर्ण फसल है जिसका उपयोग मसालों और सब्जियों के रूप में दुनिया भर में लगभग हर रसोई में किया जाता है। प्राचीन काल से ही मानव जाति में प्याज को प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के उच्च श्रेणी में वर्णित किया गया है। प्याज की उत्कृष्ट विशेषता इसका  तीखापन है, जो कि एक वाष्पशील तेल के कारण है, जिसे एलिल-प्रोपाइल  डायसल्फ़ाइड के रूप में जाना जाता है। प्याज विभिन्न ऑर्गन-सल्फर यौगिकों में समृद्ध हैं, जैसे एस-मिथाइल सिस्टीन सल्फ़ोक्साइड, ट्रांस-एस- (1-प्रोपेनिल) सिस्टीन सल्फ़ोक्साइड, एस-प्रोपाइल सिस्टीन सल्फ़ोक्साइड और डीप्रोपाइल डिसल्फ़ाइड, जो इसके विशिष्ट स्वाद, गंध, तीखेपन और औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं। कार्बनिक सल्फर...