Ways of hygienic milk production
दूध यदि गंदगी, दुर्गंध तथा हानिकारक जीवाणु रहित है तो ऐसे दूध को हम स्वच्छ दूध कहते हैं। दूध जब थन से निकलता है तो स्वच्छ रहता है, पर थन से निकलने के बाद यदि साफ सफाई का ध्यान सही से न रखा जाए तो बाहरी आवोहवा के संपर्क मे आकर दूषित हो जाता है।
दूषित दूध का सेवन करने से कई बीमारियाँ हो जाती हैं। अतः स्वच्छ दूध का उत्पादन अति आवश्यक है। स्वच्छ दूध के उत्पादन के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है
- जिस पशु से दूध निकाला जा रहा है वो स्वस्थ होना चाहिए। पशु मे टी. बी. तथा ब्रूसेलोसिस का परीक्षण साल मे एक बार करवा लेना चाहिए।
- पशुओं के शरीर पर किसी प्रकार की गंदगी नहीं होना चाहिए।
- पशुओं को साफ सुथरी जगह पर रखना चाहिए।
- दूध दुहने के लिए साफ बर्तन का उपयोग करना चाहिए।
- दूध दुहने वाला ब्यक्ति साफ सूथड़ा होना चाहिए।
स्वच्छ दूध के उत्पादन के लिए पशु घर मे निम्नलिखित सावधानी बरतनी चाहिए
- पशु घर या पशु शेड को किसी ऊंची जगह पर बनाना चाहिए ताकि पानी की निकासी मे सुविधा हो।
- दूध दुहने वाले शेड के आस पास गोबर या अन्य अवशिष्ट पदार्थ रखने की जगह नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे शेड की हवा प्रदूषित होती हैं तथा ये मक्खियों के प्रजनन केन्द्र का काम करते हैं। मक्खियों से कई प्रकार की बीमारी फैलती है।
- शेड का फर्श सोखने वाला नहीं होनी चाहिए जिससे की साफ सफाई मे आसानी हो।
- जहां तक संभव हो शेड धूलकण रहित होना चाहिए क्योंकि वे जीवाणु को ले जाने के कारक होते हैं।
स्वच्छ दूध का उत्पादन दूध दुहने वाले वयक्ति पर बहुत हद तक निर्भर करता है। अतः दूध दुहने वाला व्यक्ति स्वस्थ होना चाहिए एवम किसी भी प्रकार के संक्रामक रोग से मुक्त होना चाहिए। दूध दुहने के समय किसी भी प्रकार के तंबाकू एवम पान का सेवन नहीं करना चाहिए। उसका हाथ साफ एवम सूखा होना चाहिए।
पशु के थन को पानी से धोकर तुरंत नहीं दुहना चाहिए क्योंकि दूध दुहने के समय छीमी का छेद खुल जाता है। इस कारण गंदगी के साथ मौजूद जीवाणु एवं विषाणु थन मे प्रवेश कर जाते है जिससे की पशुओं मे थनेला होने की संभावना बढ़ जाती है ।
इसलिए अगर छीमी सख्त हो तो उन्हे धोकर साफ कपड़े से पोछकर सूखा देना चाहिए। उसके बाद वेसलिन लगाकर उन्हे मुलायम बनाया जा सकता है। दूध दूहते समय दूध या लार छीमी पर नहीं लगाना चाहिए। दूध दुहने के बाद सभी छीमी की कमजोर एंटीसेप्टिक के घोल जैसे की पोटासियम परमेगनेट के घोल मे अच्छी तरह डूबकर धो देना चाहिए।
दूध रखने के लिए साफ एवं छोटे मुह के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। बर्तनों मे किसी प्रकार का जोड़ एवं किनारा नहीं होना चाहिए। दूध दुहने के समय डस्टी फीड का उपयोग नहीं करना चाहिए। दूध दुहने के सही तरीके का उपयोग करना चाहिए।
दूध दुहने के लिए फुल हैंड मेथड जिसमे छीमी को अंगूठे एवं पहली अंगुली के बीच पकड़कर पूरी हथेली से दूहना चाहिए। दूध दुहने के लिए नकलिंग मेथड का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसमे अंगूठे को मोड़कर छीमी मे सटा दिया जाता है जिससे की दूहते समय चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है और थनेला होने का खतरा अधिक हो जाता है।
स्वच्छ दूध के उत्पादन के लिए दूध दुहने के बाद निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है
- दूध दुहने के तुरंत बाद दूध को शेड से हटकर रखना चाहिए।
- दूध को साफ कपड़े अथवा छन्ने से छानकर बाल अथवा अन्य अशुद्धियाँ हटा देने चाहिए।
- दूध को ग्राहक के बेचे जाने तक सही रूप से ठंडाकर रखना चाहिए।
- कितनी भी सावधानी बरतने के वावजूद दूध को पूरी तरह जीवाणु रहित बनाना असंभव है। अतः इस बात का ध्यान रखना छहिए की जीवाणु की संख्या मे बढ़ोतरी न हो। अगर दूध को चालीस डिग्री फारेनहाइट से नीचे रखा जाये तो जीवाणु की संख्या मे वृद्धि बहुत धीमी हो जाती है और दूध अपेक्षाकृत अधिक समय तक ठीक रहता है।
लेखक:
शंकर दयाल1 एवं रजनी कुमारी2
1वरीय वैज्ञानिक,2 वैज्ञानिक
पूर्वी क्षेत्र के लिए भा. कृ. अनु. प. का अनुसंधान परिसर, पटना -800014, बिहार
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