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Importance of Integrated Farming System समन्वित कृषि प्रणाली, न्यूनतम प्रतिस्पर्धा और अधिकतम पूरकता के सिद्धान्त पर आधारित है और इसमें कृषि-अर्थशास्त्रीय प्रबन्धन के परिष्कृत नियमों का उपयोग करते हुए किसानों की आमदनी, पारिवारिक पोषण के स्तर और पारिस्थितिकीय प्रणाली सम्बन्धी सेवाओं का टिकाऊ और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल विकास करने का लक्ष्य रखा जाता है। समन्वित कृषि प्रणाली कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने परिवार के लिये सन्तुलित पौष्टिक आहार जुटाने, पूरे साल आमदनी व रोजगार का इन्तजाम करने तथा मौसम और बाजार सम्बन्धी जोखिम कम करने में भी मदद मिलती है। इससे खेती में काम आने वाली वस्तुओं के लिये किसानों की बाजार पर निर्भरता भी कम होती है। भारत...

Nitrate leaching and ground water contamination in maize based cropping system of Bihar मक्का, चावल और गेहूं के बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल है। मक्का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए नाइट्रोजन और पानी दो महत्वपूर्ण कारक हैं। उच्च उत्पादन को आगे बढ़ाने के लिए, उत्पादकों द्वारा अत्यधिक नाइट्रोजन उर्वरक (400 से 600 किग्रा नाइट्रोजन/ हेक्टेयर) को वर्तमान रोटेशन प्रणाली में लागू किया गया है, जो फसल की मांग से अधिक है। फसल में दिया गया, नाइट्रोजन उर्वरक या तो फसलों द्वारा अवशोषित या जड़ क्षेत्र में संग्रहीत किया जाता है, या अमोनिया वाष्पीकरण, नाइट्रोजन लीचिंग, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन गैस उत्सर्जन से कम होजाता है। जड़ क्षेत्र में जमा नाइट्रोजन मिट्टी से,पानी...

Wheat a sustainable alternative for nutrition and food security भारत वर्ष भौगोलिक विविधताओंसे परिपूर्ण एक कृषि प्रधान देश है, जो कि सभी प्रकार की फसलों, फल, फूलों एवं सब्जियों के उत्पादन की दृष्टि से अति उत्तम है। इस तरह की खूबियाँ अन्य देशों में शायद ही देखने को मिलती हों। फसल सत्र 2020-21 के दौरान हमारा देश 108.8 मिलियन टन गेहूँ का उत्पादन करके विश्व में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। गेहूँ दुनिया भर के सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से एक है। यह लगभग 250 करोड़ से अधिक लोगों का मुख्य भोजन है, इससे दुनिया भर में खपत होने वाले प्रोटीन के 20 प्रतिशत हिस्से की पूर्ति होती है।...

Organic farming - the need of the day हम आजादी के समय खाने के लिए अनाज विदेशो से लाते थे, खेतों में बहुत कम पैदा होता था क्योंकि किसानो के खेतो की उर्वरा शक्ति बहुत कमजोर थी। फिर साठ सत्तर के दशक में हरित क्रांति का दौर आया। हरित क्रांति कें समय विभिन्न फसलों के नए-नए संकर बीज आए, बहुत सारे रसायनिक उर्वरक आए, विभिन्न प्रकार के कीडों व बीमारियों को रोकने के लिए नई-नई दवाईयाँ आई। भरपूर अनाज पैदा होना लगा। देश में आज गोदाम गेंहू, चावल, बाजरे इत्यादि से भरे पडे़ है, लेकिन यह दौर कई बुराईयाँ भी साथ लाया। इस दषक में हमारा फसलों का उत्पादन तो बढा पर...

पेड़ का चयन, वंश-वृद्धि, रोपण योजनाएं और कैनोपी प्रबंधन Tree is a perennial plants with an elongate stem or trunk, supporting branches and leaves in most species. Trees provide additional necessities such as shelter, medicine, tools, etc. They create a peaceful, aesthetically pleasing environment. They balance between oxygen and carbon dioxide which is essential for the life of fauna.  Trees serve as natural air conditioner specially in hot and dry climate by increasing humidity around them through transpiration, lower down temperature and thus change microclimate of surroundings. Trees regulate the rainfall and check the spread of desert. They are also the guardian of soil and check soil erosion by binding the soil particles with their roots.  They improve...

आधुनिक तकनीक की ओर आगे बढ़ रहे भारतीय किसान Agriculture is the first solar-powered factory in the world. It coordinates human effort to capture the life force concealed in seed and sunlight, as well as to transform the ingredients found in soil, air, and water into produce. Agriculture transforms hard natural components into stuff that can be used by humans. Agriculture is a very tangible physical process, not a computerised one. Electronic equipment, tools, and a fusion of digital systems are increasingly being used to manage agricultural processes, just as they are in other aspects of life. As a result, the recently formed catchphrase "Digital Agriculture" appears to be a misnomer –...

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana: Small premium, big protection शुष्क एवं अति शुष्क क्षेत्रो मे कृषि करना किसानो के लिए बड़ा ही जोखिम भरा कार्य है। राज्य मे इस समय किसान खरीफ फसलों जैसे मूंग, बाजरा, तिल, ग्वार इत्यादि की बुवाई कर रहे है। कई किसानो ने क्षेत्र मे बारिश के अनुसार पहले ही बुवाई कर चुके है। इन क्षेत्रो मे प्राकृतिक आपदाओ जैसे कि सूखा पड़ना, बारिश मे अनिश्चितता, आँधी, तूफान, ओले पड़ना आदि से अधिक सामना करना पड़ता है। राज्य के किसानों की उन्नति के लिए सरकार द्वारा काफी सारी योजनाएं चलायी जा रही है। फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आरंभ की गई...

भारत में कृषि मशीनीकरण का दायरा और विकास The technological improvements in Indian agriculture since mid sixties have brought about revolutionary increase in agricultural production. The country was facing acute food shortages till eighties has now become not only self sufficient but also a net exporter of food grains. This has been made possible due to evolution of high yielding crop varieties, increased use of chemical fertilizers, development of irrigation facilities and plant protection measures accompanied by effective price support programmes of farm products. The increased use of purchased inputs in agriculture necessitated to raise their use efficiencies though mechanization. The productivity of farms depends greatly on the availability and judicious use of...

Pollution reduction and wealth creation from agricultural crop wastes with the help of briquetting plant ब्रिकेटिंग प्लांट वानिकी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट जैसे विविध अवशेषों को जैव-ईंधन के ठोस ब्लॉकों में परिवर्तित करने के लिए एक पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है। बेलनाकार आकार के ब्रिकेट्स (white coal) उच्च यांत्रिक दबाव के साथ बाइंडर रहित तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। इसके लिए किसी बाइंडर या केमिकल की जरूरत नहीं है। जैव-ब्रिकेट गैर-नवीकरणीय जीवाश्म ईंधन (Non- renewable fossil fuels) के विकल्प हैं और इसका उपयोग कई विनिर्माण उद्योगों जैसे भट्टों, भट्टियों और बॉयलरों में किया जा सकता है। ब्रिकेटिंग का अर्थ थोक घनत्व वाले कच्चे माल के आकार को कॉम्पैक्ट रूप में...

Increase in sugarcane production in Bihar with improved techniques ईख की खेती बिहार के किसानों की अर्थव्‍यवस्‍था का आधारभूत स्‍तम्‍भ है। इस आधुनकि युग में गन्‍ना किसान, गन्‍ना शोध संस्‍थान, चीनी उद्योग व्‍यवस्‍था एवं गन्‍ना विकास विभाग के सामुहिक सक्रिय प्रयास से ही लक्ष्‍य को प्राप्‍त करना संभव है। किसानों के साथ चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति में वृद्धि की काफी प्रबल संभावनाऐं हैं। गन्‍ने का उत्‍पादन प्रति एकड़ कम हो रहा है, आय घट रही है तथा उत्‍पादन लागत बढ़ रहा है। इसका मुख्‍य कारण आधुनकि तकनीक से खेती करने की विस्‍तृत जानकारी का अभाव है। अभी भी गन्‍ने की खेती पुरानी पद्धति से बड़े पैमाने पर किसान बँधुओं द्वारा किया...