Crop Cultivation

Essential elements of the vegetable production वर्तमान में हमारे देश में लगभग 92 लाख क्षेत्र में सब्जियों की खेती की जाती है, जिसका सफल उत्पादन 16.2 करोड़ टन है। इस प्रकार भारत, चीन के बाद विश्व का सर्वाधिक सब्जी उत्पादक देश हैं। सब्जी उत्पादन से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने हेतु कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं का ध्यान रखना अति आवश्यक है। जैसे कि‍– सब्जियों को उनके उपयोग तथा बाज़ार से दुरी के अनुसार कम पकी अवस्था या पूर्ण पकने पर तोडना चाहिए। सब्जी यदि जल्दी खराब होने वाली है तो उसको कुछ कम पकी अवस्था में ही तोडना चाहिए। नजदीक के बाज़ार में सब्जियों को बेचना हो तो उन्हें शाम के समय ही तोड़े। कददू...

Zero calories medicinal plant- Stevia or sweet leaf Cultivation आजकल मधुमेह व मोटापे की समस्या के कारण न्युन कैलोरी स्वीटनर्स हमारे भोजन के आवश्यक अंग बन चुके है। बाजार मे उपलब्‍ध कृत्रि‍म उत्पाद सेहत के लि‍ए पुर्णतया सुरक्षित न होने के कारण, मधु तुलसी या स्‍टीवि‍या (Stevia) के पौधे को न्‍यून क्‍ैलोरी मि‍ठास का उत्‍तम प्राकृतिक स्त्रोत माना जाता है। यह शक्कर से लगभग 25 से 30 गुना अधिक मीठा , केलोरी रहित है व मधुमेह व उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए शक्कर के रूप मे पुर्णतया सुरक्षित है । इसके पत्तों मे पाये जाने वाले प्रमूख घटक स्टीवियोसाइड, रीबाडदिसाइड व  अन्य योगिकों में इन्सुलिन को बैलेन्स करने के गुण पाये जाते है। जिसके...

Advanced production technology of aromatic Pamaroja grass in Arid regions  रोशा घास या पामारोजा एक बहुवर्षीय सुगंधित घास है, जिसका वानस्पतिक नाम सिम्बोपोगान मार्टिनाई प्रजाति मोतिया है। जो पोएसी कुल के अन्तर्गत आता है। पामारोजा की खेती पामारोजा तेल केे आर्थिक उत्पादन के लिए उगाया जाता है | पूर्णतया शुष्क क्षेत्रों में उगाये जा सकने वाले इस पौधे के लिए ज्यादा पानी एवं खाद की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार भारत के शुष्क क्षेत्रों वाले भागों में पामारोजा की खेती करके पर्याप्त लाभ कमाया जा सकता है। पामारोजा एक सुगन्धित पौधा है जो एक बार लगा देने के उपरान्त 4 से 6 वर्ष तक उपज देता है। पामारोजा 4 वर्ष तक अधिक...

How to grow strawberries स्ट्राबेरी एक महत्वपूर्ण नरम फल है। जिसको विभिन्न प्रकार की भूमि तथा जलवायु में उगाया जा सकता है। इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल दे सकता है। इस फसल का उत्पादन बहुत लोगों को रोजगार दे सकता है। स्ट्रॉबेरी  एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन 'सी' , प्रोटीन और खनिजों का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोतों है। स्ट्राबेरी की किस्में स्ट्राबेरी की बहुत सी किस्में उगाई जाती हैं। परन्तु मुख्यत: निम्नलिखित किस्मों का उत्पादन हरियाणा में किया जाता है। कैमारोजा यह एक कैलीफोर्निया में विकसित की गई किस्म है व थोड़े दिन में फल देने वाली किस्म है। इसका फल बहुत बड़ा व मजबूत होता है। इस फल की महक अच्छी होती है। यह किस्म लंबे समय...

रसभरी या केप करौदा: भारत में एक नई नकदी फसल Introduction and adaptations of new crops contribute to an increase in diversity of agricultural systems. It offers new opportunity and alternatives to farmers and markets. New crops can result in an increase of income for farmers. The Cape gooseberry (Physalis peruviana L.) करौदा is a new herbaceous crop which comes under minor fruit. The genus Physalis, of the family Solanaceae, contains around more than 100 species of annual and perennial herbs. Several species of Physalis are grown for their edible fruits like, P. peruviana L. (Cape gooseberry) , P. pruinosa L. (strawberry tomato), or P. ixocarpa Brot. (husk tomato). This crop can be grown successfully in kitchen garden....

Improved technology for cluster bean cultivation ग्वार, लेग्युमिनेसी कुल की, खरीफ ऋतु में उगाई जाने वाली एकवर्षीय फसल है। ग्वार यानि‍ क्‍लस्‍ट्रबीन का वैज्ञानिक नाम साइमोपसिस टेट्रागोनोलोबा  है। इसका पौधा बहु-शाखीय व सीधा बढ़ने वाला है। पौधे की लम्बाई 30-90 सेमी तक होती है। इसकी जड़ें मृदा में काफी गहराई तक जाती हैं। ग्वार के फूल आकार में छोटे व गुलाबी रंग के होते हैं। फलियां लम्बी व रोएंदार होती हैं। ग्वार एक स्वपरांगित फसल है। ग्वार की फसल में बुवाई के 70-75 दिनों बाद फलियां आनी शुरू हो जाती हैं। सामान्यतः 110-133 फलियां प्रति पौधा आ जाती हैं। ग्वार की खेती कम वर्षा और विपरीत परिस्थितियों वाली जलवायु में भी आसानी की जा...

Scientific cultivation of Cowpea and its integrated disease and pest management. लोबिया एक महत्वपूर्ण सब्जी की फसल है लोबिया की खेती मैदानी क्षेत्रों में फरवरी से अक्टूबर तक सफलतापूर्वक की जाती है। दलहनी फसल होने के कारण यह वायुमण्डलीय नत्रजन को भुमि में संचित करती है जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती है एवं आगामी फसल को इस नत्रजन का लाभ मिलता है। लोबिया प्रोटीन के लिहाज से एक उत्तम फसल है तथा इसकी खेती दानें, सब्जी (हरी फली), चारे एवं हरी खाद के  लिये की जाती है। कुपोषण दूर करने के लिए शाकाहारी भोजन में लोबिया का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अन्य हरी सब्जियों की तुलना में प्रोटीन, फास्फोरस एवं...

अलसी (फ्लैक्‍स रेशा फसल) की खेती कैसे करें? Flax is a fibre crop, which is a member of the genus Linum and belongs to the family Linaceae. Botanically, flax and linseed are same but when it is cultivated for oil then it is known as Linseed and when it is cultivated for fibre it known as Flax. Oilseed and fiber varieties are specialized development of this species. The flax cultivars grown primarily for seed/ oil purpose are relatively short in height and possess more secondary branches and seed capsule. The flax cultivars grown for fiber purpose are tall growing with straight with 100-125 cm height and have fewer secondary branches. Flax or linseed...

Cultivation of Kusumi Natural Resin (Kusumi Lac) लाख (Lac) एक प्राकृतिक राल है जो मादा लाख कीट द्वारा मुख्य रुप से प्रजनन के पश्‍चात स्त्राव के फलस्वरुप बनता है। लाख कीट की दो प्रजातियां होती हैं जिन्हें कुसमी और रंगीनी कहते हैं। प्रत्येक प्रजाति से वर्ष में दो फसलें ली जाती हैं लेकिन पष्चिम बंगाल के कुछ समुद्री क्षेत्र के आस-पास बिलायती सिरिस पर एक वर्ष में तीन फसलें भी ली जाती हैं। लाख की खेती ग्रामीणों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है। हमारे देष में कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहोॅं लाख का उत्पादन नियमित रुप से होता आ रहा है तथा दूसरे क्षेत्र भी हैं जहाॅं संसाधन तो उपलब्ध हैं लेकिन...

Cultivation technique of Swarnamukhi or Sonamukhii or Senna सोनामुखी या सनाय बहुवर्षीय कांटे रहित झाड़ीनुमा, औषधीय पौधा है जो लैग्यूमीनेसी (दलहनी) कुल के अन्तर्गत आता है। पूर्णतया बंजर भूमि में उगाये जा सकने वाले इस पौधे के लिए ज्यादा पानी एवं खाद की आवश्यकता नहीं होती है। इस प्रकार भारत के बंजर भूमि वाले भागों में सोनामुखी की खेती करके पर्याप्त लाभ कमाया जा सकता है। सोनामुखी एक औषधीय पौधा है जो एक बार लगा देने के उपरान्त 4-5 वर्ष तक उपज देता है। इसका पौधा 4 डिग्री से 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहन करने की क्षमता रखता है। एक बार लगा देने के बाद इस फसल के पौधों को न तो कोई जानवर एवं पशु...