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स्वास्थ्य और स्वाद से भरपूर मशरूम के मूल्य संवर्धित उत्पाद Mushrooms are an edible fungus typically grown above the soil. Mushrooms grow at temperatures ranging 15 - 23 0c. There are different types of mushrooms like milky mushrooms, White button mushroom, Crimino Mushroom, Portabello Mushroom, Shiitake Mushroom, Maitake Mushroom, Oyster Mushroom, Enoki Mushroom, Beech Mushroom, Black Trumpet Mushroom, King Trumpet Mushroom, Chanterelle Mushroom, Hedgehog Mushroom, Morel Mushroom, Porcino Mushroom. The three majorly grown mushrooms in India are button mushrooms, milky mushrooms, oyster mushrooms. Mushrooms are nutritious, medicinal and functional food. It is considered as a health food as it contains low calories, high protein, dietary fiber, vitamins, and minerals (Barros et al.,...

FPO A boon for farm women empowerment and livelihood security भारतीय कृषि में महिलाओं का योगदान सर्वविदित है | एक आंकलन के अनुसार आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाओं में से  80 प्रतिशत महिलाओं की जीविका कृषि सम्बन्धी गतिविधि पर निर्भर करती है | हाल में ही, (मई, 2020) फिक्की लेडीज ऑर्गनाइज़ेशन ने देश में महिलाओं के कृषि में योगदान के समीक्षा कर उनके सशक्तिकरण के लिए महिलाओं आधारित कृषक उत्पादन संघ की वकालत की है | उनके अनुसार यह महिलाओं को  वाजिब हक तथा मान्यता प्रदान करने में मददगार होगी | देश के बहुसंख्यक कृषक (लगभग 86%) लघु एवं सीमांत श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जिनके पास औसतन 1.10 हैo से कम...

Problems, Solutions and Prospects of Sugar Industry in Bihar State गन्ना बिहार की एक महत्वपूर्ण नगदी औद्योगिक फसल है  । राज्य में 28 चीनी मिलें हैं जिसमें 11 कार्यरत है और 17 (सतरह) बंद हो चुके है। चीनी मिल मुख्यतः उत्तरी बिहार के पश्चिमी एवं पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, सितामढ़ी तथा समस्तीपुर जिलों में स्थित है।  इनके अलावा बिहार के भागलपुर तथा साहेबगंज क्षेत्र में 11 गुड़ के मिलें है तथा विभिन्न भागों में खाँडसारी का भी उत्पादन होता है। राज्य बँटवारे के बाद गन्ना आधारित अद्योग ही सबसे बड़ा उद्योग बन गया है। गन्ना उत्पादन पर ही चीनी उद्योग के साथ-साथ गुड़, खंडसारी, कागज, इथेनॅाल, पशु आहार एवं विद्युत-ऊर्जा, कार्बनिक खाद जैसे...

सोमाक्लोनल वेरिएशन: फसल सुधार के लिए एक तकनीक Plant tissue culture procedures give a substitute strategy for vegetative propagation of horticultural crops. Clonal propagation through tissue culture (popularly known as micro propagation) can be acknowledged generally quickly inside a little space. The consistency of individual plants inside a clone population is a significant bit of choice of clonal cultivars in business creation. However, genetic variations do happen in undifferentiated cells, detached protoplasts, calli, tissues and morphological qualities of in vitro raised plants. In 1981, Larkin and Scowcroft begat an overall term ''somaclonal variation'' for plant variations got from any type of cell or tissue cultures. Somac1onal variation has been used in an enormous...

Miscellaneous uses of neem in farming भारत भूमि में पैदा होने वाले लोक मंगलकारी एवं सर्व व्याधि निवारक बहु-उपयोगी वृक्ष नीम भारत की ग्रामीण सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान बन चुका है। नीम ग्रमीण समाज में इस कदर रच बस गया है कि इसके बगैर हमारे नित्य प्रतिदिन के कार्य करना भी कल्पना के बाहर हैं। नीम 40 से 50 फुट ऊँचा शीतल वृक्ष है। नीम की छाल स्थूल, खुरदरी तथा तिरछी लम्बी धारियों युक्त होती है। नीम की छाल बाहर से भूरी परंतु अंदर से लाल रंग की होतीहै। इसमें बसंत ऋतु में सफेद छोटे-छोटे फूल मंजरी गुच्छों के रूप में खिलते हैं। नीम के फल 1.5 से 1.7 सेमी लम्बे,...

Motivating and Attracting Youth in Agriculture Entrepreneurship भारत मे 25 वर्ष से कम आयु के युवाओं की जनसंख्या लगभग पचास प्रतिशत है और 15 से 29 वर्ष के युवाओं का भारत के सकल राष्ट्रीय आय (GNI) में योगदान लगभग 34% है। कृषि गतिविधियों में उनकी भागीदारी और भी बढ़ाने और रचनात्मक रूप से उन्हें संलग्न करके इस समूह के योगदान को और अधिक बढ़ाने की एक बड़ी क्षमता मौजूद है । भारत सरकार ने इस महत्वपूर्ण समूह पर ध्यान दिया है, जिसे राष्ट्र निर्माण में लगाया जा सकता है, यदि वे कौशल प्रशिक्षण पाकर और कौशल उन्मुख नौकरियों में संलग्न हो सकें। ICAR ने 2015-16 में युवाओं को आकर्षित करने और कृषि में बने...

Prime Minister Crop Insurance Scheme - Brief Description प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत सरकार ने किसानों की हो रही फसल की बर्बादी की पूर्ति के लिए और फसल बर्बादी की वजह से किसानों के द्वारा हो रही आत्महत्या को रोकने के लिए लागू किया गया। सन 1965 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश को ‘‘जय जवान जय किसान‘‘ नारा दिया था  परन्‍तू इतना समय बीत जाने के बावजूद आज भी कि‍सानो की हालत बहुत अच्‍छी नही है। इसका एक प्रमुख कारण खेती मे मौसम संबधि‍त जोखि‍म तथा खेती का अनिश्चितताओं से भरा होना है। कभी सूखा , कभी बाढ तो कभी बीमारी या टि‍ड्डी प्रकोप जैसी...

Lac production in India - brief introduction भारत में फसलों की खेती के साथ-साथ कीटों का पालन भी बडे पैमाने पर कि‍या जाता है। कीटों की खेती में मुख्यतः मधुमक्खी पालन, रेशम कीट पालन और लाख कीटों की खेती प्रमुख  है। लाख कीट का पालन थोड़ा तकनीकी ज्ञान के साथ सीमित समय में आसानी से कि‍या जा सकता है। लाख शब्द संस्कृत के शब्द ‘‘ लाक्षा ’से व्युतपन हुआ  है जिसका अर्थ है  सौ हज़ार और इसके उत्पादन में बड़ी संख्या में कीड़े शामिल होते हैं। वैदिक कल से लाख कीट और उसके मेजबान पौधे का वर्णन- बटिया मोनोस्पर्म (लाक्षारु) अथर्ववेद में दर्ज है। महाभारत में यह भी उल्लेख किया गया है कि कौरवों ने लाक्षागृह...

Precision Agriculture, Present Status & Scope: A Review भारत में 328.7 मिलियन हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें से 182 मिलियन हेक्टेयर भूमि, भूमि क्षरण से प्रभावित होती है, 141.33 मिलियन हेक्टेयर भूमि जल के क्षरण के साथ-साथ हवा के कटाव, जल-जमाव और रासायनिक क्षरण अर्थात लवण और क्षरण के कारण प्रभावित होती है। प्रौद्योगिकी में क्रांति ने भारतीय परिवेश को बदल दिया है और साथ ही साथ खेती के लिए नई उम्मीदें पैदा की हैं। इसलिए, स्थिरता और आर्थिक दृष्टिकोण से, इन विकासशील नई तकनीकों पर काबू पाने और कृषि क्षेत्र में संसाधनों के समुचित उपयोग के साथ कुशलतापूर्वक लागू किया जाना आवश्यक है। सटीक कृषि एक ऐसी नई और अत्यधिक आशाजनक तकनीक...

Zero Budget Natural Farming जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग मूल रूप से महाराष्ट्र के एक किसान सुभाष पालेकर द्वारा विकसित रसायन मुक्त कृषि का एक रूप है।सुभाष पालेकर के नाम पर इसे सुभाष पालेकर नेचुरल फार्मिंग यानी जीरो बजट प्राकृतिक खेती कहा जाता है. यह विधि कृषि की पारंपरिक भारतीय प्रथाओं पर आधारित है। इस खेती के पैरोकारों का कहना है कि यह खेती देसी गाय के गोबर और मूत्र पर आधारित है. इस विधि में कृषि लागत जैसे कि उर्वरक, कीटनाशक और गहन सिंचाई की कोई आवश्यकता नहीं होती है। जिससे कृषि लागत में आश्चर्यजनक रूप से गिरावट आती है, इसलिये इसे ज़ीरो बजट नेचुरल फार्मिंग का नाम दिया गया है।इस विधि...