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Agricultural work to be carried out in the month of May दलहनी फसल: इस समय मूंग, उर्द, लोबि‍या की फसल में 12 से 15 दि‍न के अन्‍तराल पर सि‍ंचाई करें। मूंग में पत्‍ति‍यों के धब्‍बा रोग की रोकथाम के लि‍ए कॉपर ऑक्‍सीक्‍लोराईड 0.3 प्रति‍शत का घोल बनाकर 10 दि‍न के अंतराल पर छि‍डकाव करें। दलहनी फसल में धब्‍बा रोग के लि‍ए कार्बेन्‍डाजि‍म 500 ग्राम / हैक्‍टेयर के हि‍साब से घोल बनाकर छि‍डकाव करें। पीला मौजैक रोग की रोकथाम के लि‍ए एक लि‍टर मेटासि‍स्‍टाक्‍स दवा को 1000 लि‍टर पानी में घोलकर प्रति‍ हैक्‍टेअर की दर से छि‍डकाव करें।  गेंहूॅ: गेहूॅ में मढाई का कार्य शीघ्र पूरा कर ले। अनाज के भण्‍डारण से पहले गेंहूॅ को धूपं में इतना सुखाऐं...

Agricultural work to be carried out in the month of June धान फसल: यदि‍ मई के अन्‍ति‍म सप्‍ताह में धान की नर्सरी नही डाली हो तो जून के प्रथम पखवाडे तक पूरा कर ले। सुगंधि‍त धान की प्रजाति‍यों की नर्सरी जून के तीसरे सप्‍ताह मे ही डालनी चाहि‍ऐ। एक हैक्‍टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई के लि‍ए 800 से 1000 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र की आवश्‍यकता होती है। प्रमुख कि‍स्‍मे - पूसा 1509, 1612, पूसा बासमती 5,6, पूसा 1121, पूसा आरएच 10  सब्‍जि‍यॉं : बै्ंगन, मि‍र्च व अगेती फूलगोभी की नर्सरी तैयार करें। बैंगन की कि‍स्‍मे: गोल फल- पूसा उत्‍तम, पूसा संकर 6 व 9, लम्‍बे फल- पूसा श्‍यामला, पूसा कौसल, पूसा संकर 5 व 20, छोटे...

Agricultural work to be carried out in the month of July धान फसल: धान की मध्‍यम व देर से पकने वाली प्रजाति‍यों की रोपाई पहले पखवाडे में, शीघ्र पकने वाली कि‍स्‍मों की रोपाई दूसरे पखवाडे में तथा सुगन्‍धि‍त कि‍स्‍मों की रोपाई अन्‍ति‍म पखवाडे मे कर दें। धान की रोपाई से पूर्व 25 कि‍ग्रा / हैक्‍टेअर की दर से जि‍ंक सल्‍फेट खेत में मि‍ला दें परन्‍ते ध्‍यान रखें कि‍ फास्‍फोरस वाले उर्वरकों के साथ जि‍ंक सल्‍फेट कभी भी ना मि‍लाऐं। धान में खैरा रोग के लक्षण दि‍खाई देने पर प्रति‍ हैक्‍टेयर 5 कि‍ग्रा जि‍ंक सल्‍फेट व 2.5 कि‍ग्रा चूना 800 लि‍टर पानी में घोलकर छि‍डकाव करें। सब्‍जि‍यॉं : भि‍ण्‍डी, सेम, लोबि‍या, चौलाई तथा कद्दू वर्गीय सब्‍जि‍यों की...

Agricultural work to be carried out in the month of August धान फसल: गैर बासमती धान की अधि‍क उपज वाली कि‍स्‍मों में रोपाई के 25 से 30 दि‍न बाद 30 कि‍लो नाइट्रोजन यानि‍ 65 कि‍लो यूरि‍या प्रति‍ हैक्‍टेअर तथा बासमती कि‍स्‍मों मे 15 कि‍लोग्राम नाइट्रोजन (33 कि‍ग्रा यूरि‍या) प्रति‍ हैक्‍टेयर की टापॅ ड्रेसि‍ंग कर दें। इतनी ही मात्रा से दूसरी व अन्‍ति‍म टॉप ड्रेसि‍ंग रोपाई के 50-55 दि‍न बादे करें  ध्‍यान रखे की टॉप ड्रेसि‍ंग करते समय खेत मे पानी 2-3 सेमी से अधि‍क ना हो। धान के तना छेदक कीट की रोकथाम के लि‍ए, जब खेत में 4.5 सेंमी पानी हो, प्रति‍ हैक्‍टेयर 20 कि‍ग्रा कार्बोफयूरान दवा का प्रयोग करें अथवा क्‍लोरोपायरीफास 20...

Agricultural work to be carried out in the month of September धान फसल:  धान का भंडारण करते समय आद्रता स्‍तर 10-12 प्रति‍शत से कम होनी चाहि‍ए।  धान का भण्‍डारण कक्ष को तथा जूट के बोरों को वि‍संक्रमि‍त करके ही भंडारण करे। धान भण्‍डारण के कीडों के नि‍यंत्रण के लि‍ए फोस्‍टोक्‍सीन दवा का प्रयोग करें। कीडों से बचाव के लि‍ए स्‍टॉक को तरपोलि‍द से ढक दें। सब्‍जि‍यॉं : गोभी की पूसा सुक्‍ति‍, पूसा पौषजा प्रजाति‍यों की नर्सरी तैयार करें। बन्‍द गोभी की कि‍स्‍म गोल्‍डन एकर, पूसा कैबेज हाईब्रि‍ड 1 की नर्सरी तैयार करें। पालक की पूसा भारती कि‍स्‍म की बुआई आरम्‍भ कर सकते हैं। बैंगन की पौध पर 3 ग्राम मैंकोजेब और 1 ग्राम कार्बेन्‍डाजि‍म को एक लि‍टर पानी में घोलकर...

Agricultural work to be carried out in the month of October पुष्‍प फसलें:  इस माह में गलैडि‍योलस की  पूसा शुभम, पूसा कि‍रन, पूसा मनमोहक, पूसा वि‍दुषि‍ पूसा सृजन व पूसा उन्‍नती कि‍स्‍मों की बुआई करें।  गलैडि‍योलस के लि‍ए बीज दर 1.5 लाख कंद प्रति‍ हैक्‍टेयर रखें। गलैडि‍योलस में चैफर से बचाव के लि‍ए 20-25 कि‍ग्रा / है. की दर से थीमेट–जी ग्रैन्‍यूलस भूमि‍ मे मि‍ला दें। नाइट्रोजन-फासफोरस-पोटश (NPK)  को 25:16:25 ग्राम/ वर्गमीटर की दर से भूमि‍ मे मि‍ला दें। सब्‍जि‍यॉं : टमाटर की नर्सरी तैयार करें। पूसा रोहि‍णी, पूसा हाईब्रि‍ड 1,2,4,8 कि‍स्‍मों की बुआई करें फूलगोभी की पछेती कि‍स्‍में पूसा स्‍नोबाल, के-1 पूसा स्‍नोबाल के टी 25, पूसा स्‍नोबाल हाईब्रि‍ड 1 की बुआई करें। अगेती फसल के लि‍ए मटर की...

Cyber expansion is synonymous with a modern agricultural information system कृषि विस्तार आत्मनिर्भरता और अन्य कृषि संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है वर्तमान समय में कृषि की तकनीकी प्रगति के लिए सूचना संचार प्रौद्योगिकी का होना जरुरी है | खेती साधन में प्रौद्योगिकी “जिस तरह से यह किया जाता है” | कृषि प्रौद्योगिकी को दो प्रमुख प्रकारों में संहिताबद्ध किया जा सकता है जिसमें सामग्री प्रौद्योगिकी और ज्ञान आधारित प्रौद्योगिकी शामिल है | ज्ञान आधारित प्रौद्योगिकी के अंतर्गत, कृषि विस्तार सेवाओं और सूचना प्रौद्योगिकी के सहयोग से "साइबर विस्तार” का शब्द आता है | साइबर विस्तार एक कृषि जानकारी का आदान प्रदान तंत्र है, परस्पर कंप्यूटर के...

Correct and effective use of biofungicide Trichoderma हमारे मिट्टी में कवक (फफूदीं) की अनेक प्रजातियाँ पायी जाती है जो फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनमें से एक ओर जहाँ कुछ प्रजातियाँ फसलों को हानि (शत्रु फफूदीं) पहॅचाुते हैं वहीं दूसरी ओर कुछ प्रजातियाँ लाभदायक (मित्र फफूंदी) भी हैं। जैसे कि द्राइकोडरमा । प्रकृति ने स्वयं जीवों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया है जिससे कि किसी भी जीव की संख्या में अकारण वृध्दि न होने पाये और वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी समस्या का कारण न बनें।  ट्राईकोडर्मा एक मित्र फफूदीं है जो विभिन्न प्रकार की दालें, तिलहनी फसलों , कपास , सब्जियों  तरबूज , फूल के कार्म आदि की फसलों...

किसान क्रेडिट कार्ड: एक किसान अनुकूल वित्तीय उपकरण Agriculture is the backbone of Indian economy. Majority of farming communities earn their livelihood from agriculture and allied activities. They have small and marginal land holding resulting less saving and follow traditional practices. Generally, they used to invest money, borrowed from money lenders for meeting the cost of agricultural activities. The terms of lending by these money lenders were unfavourable and inimical to the interest of the farmers. Before independence, several steps were taken up in our country by the government agencies to help the farming communities. In independent India, major break through took place in 1969 after nationalisation of commercial banks  to make...

Importance of information technology in agriculture भारत विश्व मंच पर तेजी से बढ़ता हुआ ‘‘अर्थव्यवस्था‘‘ है। अर्थव्यवस्था की गति को बरकरार रखना चुनौतीपुर्ण है, क्योंकि भारत की जनसंख्या 1.27 अरब को पार कर गई है जो भविष्य के लिए चिंताजनक है और ज्यादा दवाब खाद्यान उत्पादन पर बढ़ गया है। कृषि योग्य भुमि अब सीमित होती जा रही है, मौसम के प्रतिकुल प्रभाव एवं उन्नत तकनीक के अभाव से किसानों को कृषि क्षेत्र से लाभ कम होता जा रहा है। इसका सबसे मुख्य कारण किसानों द्वारा परम्परागत खेती पर निर्भर रहना है। अतः किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती कर तथा सूचना प्रौधोगिकी का प्रयोग कर, अपने सीमित क्षेत्र से ज्यादा मात्रा...