Animal husbandry

Camel milk contribution to milk production and its beneficial properties ऊंट रेगिस्तान का एक महत्वपूर्ण पशुधन है और उसके दूध में मानव के लि‍ए लाभकारी पोषक तत्त्व पाए जाते है। साल 2012  के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में ऊंट की जनसँख्या 4 लाख पाई गई थी जो कि औसतन 22.63 प्रतिशत गिरावट दर्शाता है। अच्‍छी नस्‍ल के ऊंट की दुग्ध उत्पादन क्षमता 7  - 8 लीटर दूध प्रति दिन होती है। लेकिन जैसलमेरी या बिकानेरी नस्लों की औसतन उत्पादन  प्रति दिन केवल 5 - 6 लीटर है जो कि काफी कम है। ऊंट के पास किसी अन्य पशुधन की तुलना में रेगिस्तान की कठोर परिस्थितियों में लम्बे समय की अवधि तक अधिक से...

Ways of hygienic milk production दूध यदि गंदगी, दुर्गंध तथा हानिकारक जीवाणु रहित है तो ऐसे दूध को हम स्वच्छ दूध कहते हैं। दूध जब थन से निकलता है तो स्वच्छ रहता है, पर थन से निकलने के बाद यदि साफ सफाई का ध्यान सही से न रखा जाए तो बाहरी आवोहवा के संपर्क मे आकर दूषित हो जाता है। दूषित दूध का सेवन करने से कई बीमारियाँ हो जाती हैं। अतः स्वच्छ दूध का उत्पादन अति आवश्यक है। स्वच्छ दूध के उत्पादन के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है जिस पशु से दूध निकाला जा रहा है वो स्वस्थ होना चाहिए। पशु मे टी. बी. तथा ब्रूसेलोसिस का परीक्षण साल...

Goat rearing: a profitable business बकरी पालन प्राचीन समय से ही किसानों के लिए एक प्रचलित ब्यबसाय है। बकरी को मांस के साथ साथ दूध उत्पादन के लिए भी पाला जाता है। बकरियों के बहुआयामी उपयोग के कारण ही इसका महत्व गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन के लिए बढ़ जाता है। बकरी को गरीब आदमी की गाय की संज्ञा भी दी जाती है।  बकरीपालन के लाभकारी ब्यबसाय होने के निम्नलिखित कारण है बकरी को किसी भी जलवायु मे पाला जा सकता है। बकरी पालने मे कम खर्च की आवश्यकता होती है। बकरी पालने मे कम श्रम की आवश्यकता होती है। बूढ़े एवं बच्चे जो और कोई श्रम नहीं कर सकते उनका भी उपयोग बकरी पालन...

Care of newborn dairy calf  नवजात  बछड़ो  की देखभाल या नवजात  बछड़ो का वैज्ञानिक प्रबंधन करके डेरी यवसाय में  फायदा हो कमाया जा सकता हैं । गाय ब्याने के बाद उसके बच्चे को दो तरीके से पाला जा सकता है एक पशु के साथ रखकर और दुसरा बच्चे को दूसरे बच्‍चों के साथ रखकर (वीनिंग). वीनिंग ज्यादा फययेदेमन्द होता है उसको आवश्यकता अनुसार खानपान दिया सकता है और बच्चा मरने पर भी माँ दूध देती रहती है। बच्चा पैदा होने के बाद टाट भूसा रगड़कर अच्छे से साफ़ करना चाहिए। और उसके पिछले पैरो  को पकड़कर उल्टा लटका दे ताकि नाक से स्लेश्मा बाहर निकल जाए अौर वो ठीक से  सांस लेने...

अधि‍क दूध उत्पादन के लिये पोषक पशु आहार का महत्व  भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में डेरी उद्योग आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है । डेयरी कृषि का एक प्रकार है जो दूध उत्पादन पर केंद्रित है। दूध उत्पादन या डेयरी फार्मिंग भारत में, छोटे  व बड़े स्तर दोनों पर सबसे ज्यादा विस्तृत रूप  में फैला हुआ व्यवसाय है।अपने पशुओं का बेहतर रख-रखाव और उन्हें पौष्टिक चारा खिलने से किसान की आय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है डेयरी गायों को दूध उत्पादन, शरीर के रख-रखाव और अच्छे स्वास्थ्य के लिए एक संतुलित आहार की आवश्यकता होती है।जानवरों के पास हर समय पर्याप्त मात्रा में जल  होना चाहिए ताकि वह अपनी आवश्यकता के अनुसार...

Use of Hydroponic in Fodder Production हाइड्रोपोनिक्स या जल कृषि शब्द ग्रीक शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है पानी में कार्य करना अत: इस तकनीक में पौधों को बिना मिट्टी के सिर्फ खनिज घोल वाले जल में उगाया जाता है। इसमें की जाने वाली कृषि नियंत्रित वातावरण में की जाती है, जिन्हें ग्रीन हाउस कहते हैं। भारत में पशुधन की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा है। यहां 299.9 मिलियन बोवाइन, 65.06 मिलियन भेड़ें, 135.17 मिलियन बकरियां, 0.62, मिलियन घोड़े, 0.40 मिलियन ऊंट एवं 729.2 मिलियन पोल्ट्री पाई जाती है, जो कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था एवं लोगों के जीवन यापन का एक मुख्य भाग बनाते हैं। आज के समय में हमारा देश 61.1...

दूधारू पशुओं में बाँझपन की समस्या के कारण एवं उनका निवारण  पिछले कई दशकों से यह पाया गया है कि जैसे-जैसे दूधारू पशुओं के दुग्ध उद्पादन में वृद्धि हुई है वैसे-वैसे प्रजनन क्षमता में गिरावट हुई है । दूधारू पशुओं की दूध उत्पादन की क्षमता प्रत्यक्ष रूप से उनकी प्रजनन क्षमता पर निर्भर करती है । दूधारू पशुओं में बाँझपन की स्थिति पशुपालकों के लिए बहुत बड़े आर्थिक नुकसान का कारण  है । पशुओं में अस्थायी रूप से प्रजनन क्षमता के घटने की स्थिति को बाँझपन कहते है । बाँझपन की स्थिति में दुधारू गाय अपने सामान्य ब्यांत अंतराल  (12 माह) को क़ायम नहीं रख पाती । सामान्य ब्यांत अंतराल को क़ायम...

खरगोशों में प्रजनन: शुरुआती खरगोश पालकों के लिए मूल बातें  Rabbitrearing is an enterprise which has limitless scope in a developing country like India where large population is involved in subsistence farming. Being a second most populous country in the world, feeding the population with a nutritious food remains a priority for the governments. Rabbit, a small plant-eating animal, has tremendous potential to convert the inedible plant material to high protein meat. Rabbit is the highly prolific domesticated species gaining popularity in the recent decades. Rabbit meat is consumed in certain parts of world and India traditionally. But majority of the population is yet to taste the rabbit meat. Rabbit rearing is not...

पशुओं में प्रजनन सम्बन्धी रोग एवं प्रवंधन  पशुपालन को लाभकारी बनाने के लिए पशुओं में होने वाली प्रजनन सम्बन्धी समस्याओं का प्रवंधन अति आवश्यक है। प्रजनन सम्बन्धी प्रमुख समस्याओं में पशु का समय पर  हीट में  न आना (एनेस्ट्रस), बार बार कित्रिम गर्भाधान के बाद भी गर्भ धारण नहीं होना (रिपीट ब्रीडिंग), बच्चेदानी में सूजन होना, उसमे मवाद का भर जाना, प्रसव के दौरान बच्चा फँस जाना, जेर का समय से न गिरना, गर्भावस्था के शुरुवात में ही भ्रूण की मृत्यु हो जाना, गर्भपात हो जाना इत्यादि शामिल है। विदेशी नस्ल की गायों (जैसे जर्सी, होल्सटीन फ़्रिसियन आदि) में प्रजनन सम्बन्धी समस्याएँ देसी नस्ल की गायों (जैसे साहीवाल, गिर, थारपारकर आदि) की...

खेती वाले खरगोशों में रोग- एक सिंहावलोकन Rabbits are highly prolific animals which have enormous reproduction potential. They have the capacity to convert 20% of their feed protein to meat protein second to broiler chicken which has 23% conversion. Rabbit rearing is expected to be a viable alternative to broiler poultry industry as virtually there is zero competition between them for feed resources. Like all other domesticated species, rabbits are also susceptible for various ailments. They are afflicted by number of infectious and non-infectious diseases. The success of rabbit industry relies upon reduction in the mortality, increase in the fryer production per maternity cage, reduction in operation / feeding cost. To run a Rabbitry...