Animal husbandry

पशुओ में ऋणात्मक और घनात्मक आहार का महत्त्व खनिज, हड्डी के निर्माण से लेकर इलेक्ट्रोलाइट संतुलन तक सभी जैविक प्रक्रियाओं में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं। खनिज, घनायन और ऋणायन के रूप में आहार में पाये जाते हैं और आहार में खनिजों का सही अनुपात, विशेष रूप से जानवरों के उत्पादन के लिए घनायन और ऋणायन के बीच संतुलन आवश्यक होता है। जानवरों द्वारा ग्रहण किए गए खनिज आयन तेजी से परिसंचरण (रक्त) में पहुच जाते हैं और रक्त के समग्र पीएच को प्रभावित करते हैं। घनायन रक्त को थोड़ा क्षारीय करते हैं (पीएच को बढ़ाते हैं), जबकि ऋणायन रक्त को थोड़ा अम्लीय करते हैं (पीएच में कमी)। पशु...

Treatment of microbial diseases in cattle during the rainy season by herbal methods भारत की अर्थव्यवस्था ज्यादातर पशुधन पर निर्भर करती है, जो हर साल भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 4.8-6.5 प्रतिशत का योगदान करता है। भारत कृषि प्रधान देश है, पशुधन विभिन्न साधनों के रूप में भारत के लोगों के सामाजिक उत्थान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में गाय, भैंस, बकरी और भेड़ों का ज्यादातर पालन किया जाता है। 2012 की पशुधन जनगणना के अनुसार भारत में 19 करोड़ गाय 10.8 करोड़ भैंस, 65 करोड़ भेड़ तथा 135 करोड बकरियाँ हैं। 2012 वर्ष के आकड़ों के अनुसार, बड़े जुगाली करने वाले पशु (गाय व भैंस) 50.5 प्रतिशत तथा...

Backyard Poultry: a permanent source of livelihood मुर्गीपालन आय का एक महत्वपूर्ण पूरक स्रोत है तथा यह ग्रामीण पशुपालकों में लगभग 89 प्रतिशत द्वारा पाला जाता है। मुर्गीपालन अलग-अलग कृषि-जलवायु वातावरण में व्यापक रूप से संभव है, क्योंकि मुर्गियों ने शारीरिक अनुकूलनशीलता को चिह्नित किया है। इसके लिए छोटे स्थान, कम पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है, मुर्गीपालन में भी साल भर त्वरित वापसी और अच्छी तरह से वितरित आवर्त होती हैं, जो इसे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पारिश्रमिक बनाता है। भारत में पारंपरिक घर के पीछे मुर्गीपालन उत्पादन का प्रचलन पुराने समय से है, जो कि पशुओं के प्रोटीन का प्राथमिक स्रोत था और ग्रामीण इलाकों में मुर्गी पालन गरीबों के...

पशु घरों के लिए निस्संक्रामक और इनका कार्यान्वयन As the world human population increases, it also increases demand for milk, meat and animal products which resulted in changes in livestock farming practices. The farmers are more interested in intensive farming causes enhancement in stock densities which leads to more disease problems and consequently greater financial losses to the farmer. Now a days, the whole world is facing problems of infectious diseases that affect man and animals, and their effective control is crucial for human and animal health, for safeguarding and securing national and international food supplies and for benefits of animal rearing farmers. Prevention and control of infectious disease in animals mainly relies...

बकरियों में होने वाले 9 प्रमुख रोग और उनके नियंत्रण के उपाय पालतुु पशुओं के रोगग्रस्त होने की पहचान के लिए उनका बारीकी से निरिक्षण करना चाहिए। बकरियों के हाव-भाव, चाल ढाल तथा व्यवहार मेे बदलाव जैसे लक्षण से रोगग्रस्त बकरी को पहचाना जा सकता है। बीीमार बकरी अकसर दूसरों से अलग हटकर खड़ी, बैठी या सोती पाई जाती है। इसके अलावा  खाना कम कर देना या छोड़ देना, जुगाली न करना। थूथन पर पसीना नही रहना और सूख जाना। शरीर के तापमान सामान्य (102.5 डिग्री फारेनहाइट या1 डिग्री सेन्टीग्रेट) से ज्यादा या कम होना। नाड़ी तथा सास के गति में बदलाव आना। पैखाना और पेशाब के रूप रंग में बदलाव आना। इनमें से कोई...

Cage layer fatigue : a common problem in cage reared poultry केज लेयर फटीग पिजरे में पाली जाने वाली पोल्ट्री जैसे मुर्गी, बतख एवं  टर्की में होने वाली ऐसी पोषण सम्बन्धी बीमारी है जिसमे उनके पैर की हड्डियां मुलायम या कमजोर हो जाती है । इस बीमारी  में पैर की हड्डियां धनुषाकार हो जाती है जिससे इन पंछियों को खड़े होने तथा चलने में दिक्कत होती है । अनेक बैज्ञानिको ने इस सिंड्रोम का कारण  हड्डीओं में डीमिनेरेलाइजेसन (मिनरल्स का निकल जाना) बताया है जिससे ये पंछियां अपने पैर पर खड़ी नहीं हो पाती है । अंडे देने वाली युवा मुर्गिओं में जो अधिकतम उत्पादन के समय बैटरी केज में रहती है आजकल...

कुक्कुट चारा (पोल्ट्री फीड) में टिड्डी प्लेग का उपयोग Large swarms of desert locust (Schistocerca gregaria) threatened agriculture crops in most of the parts of world including India, this loom happened worst ever before in past two and half decades. “Locust feeding to poultry birds” is an innovative technique evolved in neighboring countries of India offers a way to amass the crop-destroying pests instead of using insecticides that harm people and the environment. Huge swarms darkened the sky in recent days and it appears being overtaken by aliens.  It was biggest blow upon poor farmers and rural communities who are already hit hard economically by COVID-19 pandemic. Climate change has played a crucial...

Important Disease occurring in Goat and its control रोगग्रस्त बकरियों की पहचान के लिए उनका ध्यान से अवलोकन करना चाहिए। बीमार बकरी केे हाव-भाव, चाल तथा बर्ताव में बदलाव आता है वह दूसरों से अलग हटकर खड़ी, बैठी या सोती मिलती है । बकरी का खाना कम कर देना या छोड़ देना, जुगाली न करना। थूथन पर पसीना नही रहना और सूख जाना भी बीमारी के संकेत है।  इसके अलावा शरीर के तापमान सामान्य (102.5 डिग्री फारेनहाइट या1 डिग्री सेन्टीग्रेट) से ज्यादा या कम होना। नाड़ी तथा सास के गति में बदलाव आना। तथा पैखाना और पेशाब के रूप रंग में बदलाव आना। इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देने पर उसे अलग...

मैस्टाइटिस पशुओं के उपचार के लिए मेसेनकाइमल कोशिकाओं की भूमिका  Stem cells are the undifferentiated and uncommitted cells that give rise to deferent cell types or lineage on dividing. These stem cells are used as regenerative medicine for the treatment of various diseases in human and animals. In the present study mesenchymals Stem cells (MSC) used for the treatment of mastitis animal and it found that diseased animal treated with MSC has been cured which suggest that stem cell therapy use as regenerative medicine providing a promising area for the treatment of various diseases in animals. Stem cells “the hope cells”: A stem cell is a specialized cell which has the unique characteristic to develop...

Vertical Farming: Current Status and Future Prospects विश्व की जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है साथ ही साथ बहुत बड़ी तादात में लोग कृषि छोड़कर बड़े शहरों की और पलायन कर रहे है । कृषि छोड़ने के कई कारणों में से एक कारण खेती योग्य भूमि में कमी है। खेती योग्य भूमि की कमी को देखते हुए भविष्य में आने वाले भुखमरी एवं कुपोषण का अनुमान लगाया जा सकता है । इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन ने परम (एक्सट्रीम) मौसम घटनाओं की आवृत्तिओ को बढ़ा दिया है जोकि परंपरागत कृषि के लिए ख़तरा पैदा करता है । वर्टीकल फार्मिंग (खड़ी खेती) जैसी आधुनिक तकनीक संभावित रूप से लोगों के लिए पर्यावरण-सतत, आसानी से...